Rajasthan Assembly Election 2023: चुनावी राज्य राजस्थान में कांग्रेस ने गुरुवार (20 जुलाई) को 29 सदस्यीय प्रदेश चुनाव समिति का गठन किया जिसका नेतृत्व इकाई प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा करेंगे. साथ ही इसमें राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट दोनों शामिल है. इस चुनाव समिति का गठन साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए उम्मीदवारों के नामों की सिफारिश करना और इसे केंद्रीय चुनाव समिति को सौंपना है.
राजस्थान में चुनाव समिति की घोषणा कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं और राज्य इकाई के बीच कई दौर की बातचीत के बाद की गई है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, एआईसीसी राजस्थान प्रभारी सुखजिंदर रंधावा और कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बीते 6 जुलाई को इसके गठन को लेकर एक बैठक की थी जिसमें डोटासरा, गहलोत और पायलट सहित राज्य के 29 नेता मौजुद थे.
चुनाव समिति में गहलोत कैबिनेट से 16 मंत्री
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के लिए चुनाव समिति के गठन को स्वीकृति प्रदान की. इस 29 सदस्यीय पैनल में सीएम गहलोत के कैबिनेट से कुल 16 मंत्री शामिल हैं. इसके अलावा, पूर्व केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह, मोहन प्रकाश, रामेश्वर दुदी, रघुवीर मीणा और कई वरिष्ठ नेताओं को स्थान दिया गया है.
राजस्थान में कांग्रेस पार्टी गहलोत और पायलट के बीच तनाव को कम करने की कोशिश में भी लगा हुआ है. दोनों के रिश्तों में जुलाई 2020 से कुछ न कुछ मनमुटाव रहा है, जब उपमुख्यमंत्री पायलट और 18 विधायकों ने गहलोत के नेतृत्व के खिलाफ विद्रोह किया था. हालांकि कांग्रेस के शिर्ष नेतृत्व ने दोनों को हमेशा साथ में रखा है.
पार्टी के बाहर बोलने की आजादी नहीं- वेणुगोपाल
एक सीनियर कांग्रेस नेता ने कहा कि सभी को राजस्थान में दोबारा सरकार बनाने के लिए और चुनाव को बेहतर समझने के लिए एक संयुक्त मोर्चा जरूरी है. उन्होंने कहा, खासकर गहलोत और पायलट के बीच तालमेल जरुरी है. कांग्रेस नेता ने आगे कहा “समिति में अधिकतर नाम गहलोत कैबिनेट से हैं. हालांकि पार्टी ने अभी तक राजस्थान अभियान समिति की घोषणा नहीं की है.
बीते 6 जुलाई को हुई बैठक में राजस्थान के सभी नेताओं ने सर्वसम्मति से निर्णय लिया कि कांग्रेस विधानसभा चुनाव जीत सकती है, लेकिन इसके लिए एकता जरुरी है. वहीं कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा था कि, 'पार्टी ने निर्णय लिया है कि सभी को सख्त अनुशासन का पालन करना चाहिए. किसी भी मुद्दे पर पार्टी के भीतर चर्चा की जानी है, और किसी को भी पार्टी की आंतरिक राजनीति के बारे में पार्टी के बाहर बोलने की आजादी नहीं है.'
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