Rajasthan Election 2023 News: बेशक राजस्थान को लेकर रेगिस्तान की छवि बनती हो और खेती का खयाल न आता हो, लेकिन ऐसा नहीं है. राजस्थान की कुल आबादी (8 करोड़ से अधिक) का बड़ा हिस्सा कृषि गतिविधियों से जुड़ा हुआ है. यही वजह है कि किसान यहां चुनाव में बड़ा फैक्टर है और नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं. कोई भी राजनीतिक दल किसानों को नजरअंदाज या खारिज नहीं कर सकता है. इस वोट को टारगेट करने के लिए सभी राजनीतिक दल अपने-अपने स्तर पर वादा कर रहे हैं, पर किसान अब यह देख रहे हैं कि वादों को पूरा कौन करेगा.


कांग्रेस ने 2018 के चुनावों से पहले पूर्ण कृषि ऋण माफी का वादा किया था. इस वादे का असर भी दिखा. कांग्रेस का किसानों को अच्छा समर्थन मिला. हालांकि कई किसानों का कहना है कि कांग्रेस ने पांच साल बाद भी इन वादों को सही से पूरा नहीं किया है. वहीं, कांग्रेस का कहना है कि पिछले पांच वर्षों में सहकारी समितियों से प्राप्त ऋण पूर्णतः माफ किए गए हैं. राष्ट्रीयकृत और अन्य बैंकों के ऋण, केंद्र सरकार से अपेक्षित समर्थन के कारण अभी तक माफ नहीं हो सके हैं. सचिन पायलट कहते हैं कि "हमें केंद्र से कोई सहयोग नहीं मिला. हमने सभी ऋण माफ कर दिए होते, लेकिन केंद्र सहयोग नहीं करता है, तो हमारे हाथ बंधे हुए हैं."


बीजेपी से भी नाराज हैं किसान


दूसरी तरफ बीजेपी इसे मुद्दा बनाते हुए किसानों को अपनी तरफ करने में लगी है. हालांकि कई किसानों का कहना है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही अपने वादों को पूरा करने के मामले में उन्हें निराश किया है. इसलिए अब उन्हें अब बहुत कम विश्वास है कि दोनों दल अपने किए वादे पूरा करेगी.


किसानों को मनाने में जुटे हैं दोनों दल


बहरहाल, जैसे-जैसे मतदान का दिन नजदीक आ रहा है, कांग्रेस को उम्मीद है कि किसानों को वह अपने खेमे में कर लेगी. पार्टी का कहना है कि कर्ज माफी को हटा दें तो किसानों से किए अपने अधिकतर वादे हम पूरा कर चुके हैं. वहीं भाजपा का अनुमान है कि कांग्रेस सरकार ने किसानों को किए वादे पूरे नहीं किए हैं ऐसे में इसका फायदा बीजेपी को मिल सकता है. कांग्रेस से नाराज किसान वोटर बीजेपी में आ सकता है.


बिजली कटौती से परेशान हैं किसान


राजस्थान के किसान बिजली सप्लाई से भी परेशान हैं. किसान बलविंदर सिंह व मोडूलाल ने बताया कि पांच साल तक किसान परेशान रहा. बिजली भले ही फ्री करने की बात कांग्रेस ने की हो लेकिन चुनावी समय में किए जाने से किसानों कोई लाभ नहीं मिला. समय पर गांव में बिजली आती नहीं है और ट्रांसफॉर्मर की समस्या सालों से बनी हुई है.


पानी की समस्या भी है बड़ी


वहीं, पानी की किल्लत से भी कई किसान कांग्रेस से नाराज है. किसान राम लाल की मानें तो अकाल जैसी स्थिति में सरकार ने समय पर पानी नहीं दिया जिस कारण फसलें बर्बाद हो गई. हर बार यह समस्या आती है, लेकिन इस पर ध्यान कोई नहीं देता है.


इन समस्याओं से भी किसान नाराज



  • एमएसपी पर लहसुन की खरीद नहीं. कई किसानों ने बताया कि केंद्र सरकार के आदेश के बाद भी प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने किसानों का लहसुन एमएसपी पर नहीं खरीदा. न ही किसानों की कोई मदद की. लगातार फसलों के दाम गिरते चले गए. 4 हजार रुपये क्विंटल का चावल 3 हजार पर आ गया.

  • अकाल और ओलावृष्टि में किसानों को मुआवजा नहीं मिला.


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