Rajasthan Assembly Election 2023 News: राजस्थान में आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधा मुकाबला है. सत्तारूढ़ कांग्रेस लगातार दूसरी जीत का दावा कर रही है, तो बीजेपी राज्य में वापसी को लेकर आश्वस्त है. बीजेपी सत्ता में फिर से आने के लिए कई मुद्दों को उठा रही है. इसी में से एक है पेपर लीक का मुद्दा. यह ऐसा विषय है जो पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है.


भारतीय जनता पार्टी भी इसके महत्व को समझते हुए इसे भुनाने में लग गई है. उसके नेता अपनी जनसभाओं और रैलियों में लगातार लोगों के सामने इसे उठाते हुए अशोक गहलोत सरकार को घेर रहे हैं. जिस तरह भारतीय जनता पार्टी इस मुद्दे पर सरकार को घेर रही है, उससे लग रहा है कि इससे कांग्रेस को नुकसान पहुंच सकता है. आइए समझते हैं कि कैसे पेपर लीक मुद्दा गहलोत सरकार पर भारी पड़ सकता है.


मतदान से एक महीने पहले ईडी की कार्रवाई


पिछले दिनों प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने राजस्थान कांग्रेस प्रमुख गोविंद सिंह डोटासरा सहित विभिन्न कांग्रेस नेताओं के यहां छापेमारी शुरू की. कांग्रेस ने ईडी की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि हम इन घोटालों की निंदा करते हैं, लेकिन ईडी की कार्रवाई राजनीति से प्रेरित है. सचिन पायलट ने ईडी की कार्रवाई की टाइमिंग पर सवाल उठाते हुए कहा, "पेपर लीक अस्वीकार्य है और कोई भी युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकता, पर ईडी पिछले पांच साल से निष्क्रिय थी, लेकिन चुनाव के वक्त अचानक छापेमारी शुरू हो गई है." जाहिर है कि इस तरह की कार्रवाई से कांग्रेस की छवि को नुकसान पहुंच सकता है.


बीजेपी भी इस मुद्दे को भुनाने में जुटी


वहीं बीजेपी रणनीतिक रूप से कांग्रेस के कार्यकाल के दौरान पेपर लीक की घटनाओं को चुनावी जीत के संभावित रास्ते के रूप में देख रही है. बीजेपी नेता राज्यवर्धन राठौड़ कहते हैं, "अगर हम दोबारा चुने गए तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करेंगे." पार्टी हर रैली में इसे मुद्दे को उठाते हुए कांग्रेस और अशोक गहलोत सरकार को घेर रही है.


22 लाख से अधिक फर्स्ट टाइम वोटर का बड़ा रोल


इस मुद्दे पर कांग्रेस को सबसे ज्यादा नुकसान प्रदेश में इस बार के फर्स्ट टाइम वोटर पहुंचा सकते हैं. दरअसल, प्रदेश में इस चुनाव में फर्स्ट टाइम वोटर की संख्या 22 लाख से अधिक है. ये लोग युवा हैं और पहली बार वोट डालेंगे. ऐसे में पेपर को करियर से जोड़कर बीजेपी इन युवा वोटरों को टारगेट कर रही है. पिछले पांच साल में 12 से अधिक बार बड़े पेपर लीक हो चुके हैं. इसे लेकर इन इम्तिहानों की तैयारी कर रहे युवा भी काफी नाराज हैं. बीजेपी इन नाराज युवाओं पर ही फोकस कर रही है.


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