Rajasthan Assembly Election 2023 News: राजस्थान में यूं तो को कई जिले पर्यटन के लिए पूरी दुनिया में मशहूर हैं, लेकिन यहां के रणथंभौर की अलग ही पहचान है. यहां देश और विदेश से लोग बाघों और प्रकृति की सुंदरता को देखने आते हैं, लेकिन पर्यटन से अलग इन दिनों रणथंभौर किसी और वजह से चर्चा में है. इस चर्चा की वजह है राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर यहां की सवाई माधोपुर विधानसभा सीट पर बन रहे राजनीतिक समीकरण.


सवाई माधोपुर सीट पर इस बार मुकाबले में जातिगत समीकरण काफी निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं. इस चुनाव की बात करें तो यहां बीजेपी की तरफ से राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा मैदान में मौजूदा हैं, जबकि उनके सामने कांग्रेस के विधायक दानिश अबरार हैं, लेकिन यहां मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है बीजेपी की बागी आशा मीना ने जो टिकट न मिलने के बाद निर्दलीय ताल ठोक रहीं हैं. आइए जानते हैं यहां का जातिगत समीकरण क्या है.


पहले यहां की स्थिति को समझें


सवाई माधोपुर में कुल 2,36,199 रजिस्टर्ड वोटर हैं.  2018 में हुए विधानसभा चुनाव में 1,63,584 2018 मतदाता मतदान करने पहुंचे थे. कांग्रेस के अबरार को 85,655 वोट मिले थे और उन्होंने भाजपा की आशा मीना को 25,000 वोटों के अंतर से हरा दिया था.


ऐसा है यहां का समीकरण


इस क्षेत्र में मीना, मुस्लिम और गुर्जरों की अच्छी खासी संख्या है. ये तीनों नतीजों को प्रभावित करते हैं. 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में अबरार को मुस्लिमों, गुर्जरों और अन्य समुदायों का अच्छा खासा वोट मिला इसलिए अबरार ने इस सीट पर अच्छी जीत दर्ज की.


इस बार कैसे फंस सकता है मुकाबला


इस चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी के साथ निर्दलीय आशा मीना भी फोकस में हैं. यहां त्रिकोणी मुकाबला बना हुआ है. बीजेपी प्रत्याशी किरोड़ी लाल मीणा को पहले तो अपने समुदाय का वोट ठीक ठाक मिलेगा. इसके बाद उन्हें बीजेपी के पारंपरिक वोटर ब्राह्मणों का भी साथ मिलेगा. कांग्रेस से नाराज गुर्जर भी उनके साथ जा सकते हैं.


अब कांग्रेस की बात करें तो उसके साथ प्लस पॉइंट ये है कि उसने मौजूदा विधायक अबरार को ही मौका दिया है. स्थानीय लोग बताते हैं कि मौजूदा विधायक ने काफी काम किया है, ऐसे में उनकी फिर से जीत की दावेदारी मजबूत है. 2018 के चुनाव में उन्हें मुस्लिम, मीणा और गुर्जरों का अच्छा सपोर्ट मिला था. इस बार मीणा वोट बंटने की वजह से यहां समर्थन थोड़ा कमजोर हो सकता है.


आशा मीणा पर फोकस क्यों?


2018 में बीजेपी ने यहां से आशा मीणा को टिकट दिया था. उन्होंने इस बार भी टिकट की दावेदारी की थी, लेकिन पार्टी ने इस पर ध्यान नहीं दिया. टिकट न मिलने से नाराज आशा निर्दलीय मैदान में हैं. बताते हैं कि आशा मीना की इलाके में अच्छी पकड़ है, खासकर मीणा वोट पर. अगर मीणा वोट बंटता है तो इसका नुकसान बीजेपी को लग सकता है.


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