Rajasthan Assembly Election 2023: इस साल के अंत में पांच राज्यों और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव की तैयारियों में सभी राजनीतिक दल लगे हुए हैं. जीत के लिए बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही नए-नए फॉर्मूले पर काम कर रहे हैं. इस बीच राजस्थान को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है. राजनीतिक गलियारों के साथ ही सोशल मीडिया पर चर्चा है कि कांग्रेस की सरकार को हराने के लिए बीजेपी यहां एक बड़ा मास्टरस्ट्रोक खेलने जा रही है.


सोशल मीडिया पर पिछले कुछ दिन से चल रहे ट्रेंड के मुताबिक, संसद के विशेष सत्र में केंद्र सरकार तीन नए प्रदेशों के लिए बिल ला सकती है. जिन तीन नए प्रदेशों के बनने की चर्चा है उनमें अयोध्या, मरूप्रदेश और मुंबई के नाम शामिल हैं. इसमें मरूप्रदेश सबसे अहम इसलिए हो जाता है क्योंकि इसे राजस्थान से अलग करके बनाया जा सकता है और राजस्थान में नवंबर-दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं.


कांग्रेस सरकार को लग सकता है बड़ा झटका


सोशल मीडिया पर मरूप्रदेश को लेकर लगातार होती चर्चाओं से माना जा रहा है कि केंद्र सरकार अगले विधानसभा चुनाव को देखते हुए ही इसकी घोषणा कर सकती है और इससे मौजूदा कांग्रेस सरकार को बड़ा झटका लग सकता है. अगर ऐसा होता है तो चुनावी नतीजों में भी बड़ा उलटफेर हो सकता है. दरअसल, मरूप्रदेश की मांग लंबे समय से चल रही है.


19 नए जिले बनाकर गहलोत ने सबको चौंका दिया


राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने बजट सत्र में 19 नए जिलों का गठन किया था. इस फैसले ने सबको हैरान कर दिया था. तब राजनीतिक एक्सपर्ट का कहना था कि गलहलोत ने यह कदम वोटरों को लुभाने के लिए किया है. ऐसे में माना जा रहा है कि इसके जवाब में मोदी सरकार नए प्रदेश की ही घोषणा करके वोटरों के बड़े वर्ग को बीजेपी की तरफ खींच सकते हैं.


भैरोंसिंह शेखावत ने भी की थी इस राज्य की मांग


राजस्थान में मरूप्रदेश बनाने की मांग लंबे समय से चली आ रही है. उपराष्ट्रपति रहते हुए भैरोंसिंह शेखावत ने भी पत्र लिखकर मरुप्रदेश बनाने की मांग उठाई थी. इस प्रदेश में श्रीगंगानगर, अनूपगढ़, हनुमानगढ़, बीकानेर, चूरू, झुंझुनू, डीडवाना, कुचामन, नीमकाथाना, नागौर, फलोदी, जैसलमेर, जोधपुर, जोधपुर ग्रामीण, बाड़मेर, बालोतरा, जालौर, सांचौर और सिरोही जैसे जिलों को शामिल करने की मांग है.


इसलिए भी होती है मरूप्रदेश की मांग


जिस हिस्से को मरूप्रदेश बनाने की चर्चा है वह पश्चिमी राजस्थान में पड़ता है. यहां की भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक और संस्कृत स्थिति अलग है. जलवायु, कृषि, उद्योग और जनसंख्या घनत्व के कारण यह हिस्सा विकास में काफी पीछे छूटा हुआ है. जानकार बताते हैं कि अगर अलग से मरूप्रदेश बनता है तो इस हिस्से में भी तेजी से विकास होगा.


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