BJP Caste Equation In Rajasthan: राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा का चुनाव होना है. रविवार (2 अप्रैल) को जयपुर मुख्यालय में राजस्थान बीजेपी की विधायक दल की बैठक हुई, जिसमें कुछ दिग्गज नेताओं के पदों में बदलाव किया गया. इसे पार्टी की ओर से जातीय समीकरण साधने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है. 


राजस्थान विधानसभा में 'विपक्ष के उपनेता' की जिम्मेदारी संभालते आ रहे राजेंद्र राठौर को 'विपक्ष के नेता' के तौर पर पदोन्नत किया गया है. वहीं, पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को राठौर का डिप्टी यानी विधानसभा में 'विपक्ष का उपनेता' नियुक्त किया गया है. 


राजेंंद्र राठौर को मिला वसुंधरा राजे का समर्थन


गौरतलब है कि हाल में गुलाब चंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाए जाने के बाद से राजस्थान में विपक्ष के नेता का पद खाली पड़ा था. इस पद के लिए राजेंद्र राठौर के नाम का समर्थन वसुंधरा राजे ने किया. राठौर वसुंधरा राजे के मंत्रिमंडल का हिस्सा रह चुके हैं लेकिन बीते में समय में दोनों के संबंधों में खटास देखी गई. राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, राजे की पहल को गुटों के बीच खाई पाटने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि आने वाले चुनाव में वह खुद को बड़ी भूमिका देख रही हैं. 


कटारिया के डिप्टी रहे राजेंद्र राठौर को बीजेपी के नए प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी, पार्टी के प्रदेश प्रभारी अरुण सिंह और प्रदेश महासचिव (संगठन) चंद्रशेखर की मौजूदगी में विपक्ष का नेता नियुक्त किया गया. बता दें कि सात बार के विधायक राठौर 2018 से विपक्ष के उपनेता का पद संभाल रहे थे. वह 1990 से विधायक हैं. राजे के मुख्यमंत्री के तौर पर पहले और दूसरे कार्यकाल के दौरान राठौर संसदीय मामलों के मंत्री थे.


राजस्थान में बीजेपी का जातीय समीकरण


राजेंद्र राठौर राजपूत समुदाय से आते हैं, जोकि राजस्थान में बीजेपी का कोर वोटबैंक माना जाता है. विधानसभा चुनाव से पहले राठौर को विपक्ष के नेता के तौर पर पदोन्नत किए जाने के फैसले को बीजेपी के जातीय गणित साधने के कदम के तौर पर ही देखा जा रहा है. वहीं, राजस्थान बीजेपी अध्यक्ष सीपी जोशी ब्राह्मण परिवार से आते हैं और विधानसभा में विपक्ष के उपनेता सतीश पूनिया जाट समुदाय से ताल्लुक रखते हैं. 2011 की जनगणना के अनुसार, राजस्थान में ब्राह्मणों की आबादी 7 प्रतिशत, गूजर और राजपूतों की आबादी 9 फीसदी और जाटों की 12 प्रतिशत है. ऐसे में बीजेपी विधायक दल की बैठक में उठाए गए कदम तीनों समुदायों ब्राह्मण, राजपूत और जाटों को खुश रखने की उम्मीद के तौर पर देखे जा रहे हैं.


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