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जिसने मठ का किला ध्वस्त किया उसकी 'सियासी कमर' योगी ने तोड़ दी
विजय मिश्रा योगी कैंप में इतनी आसानी से इसलिए भी चले गये क्योंकि विधानसभा चुनाव के वक्त अखिलेश ने इनका टिकट काट दिया था .
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नई दिल्ली: निषाद पार्टी के इकलौते विधायक विजय मिश्रा को उत्तर प्रदेश राज्यसभा चुनाव में बीजेपी पक्ष में क्रॉस वोट करना महंगा पड़ा है. पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखाया है. हालांकि उनकी सदस्यता पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा.
पिछले साल विधानसभा चुनाव से पहले पत्नी और बेटी की कसम खाकर वोट या कफन मांगने वाले विजय मिश्रा ने राज्यसभा चुनाव का गणित बदल दिया. कुछ ही दिन पहले ही एबीपी न्यूज से बातचीत में विजय मिश्रा ने एलान कर दिया था कि उनका वोट बीजेपी को जाएगा. आज उन्होंने अपना दिया हुआ बयान पूरा भी कर दिखाया.
विजय मिश्रा का वोट बीजेपी के खाते में जाना इसलिए अहम है क्योंकि विजय मिश्रा उस निषाद पार्टी के विधायक हैं जिस निषाद पार्टी के प्रमुख संजय निषाद के बेटे प्रवीण ने गोरखपुर लोकसभा उपचुनाव में जीत हासिल की है. यानी गोरखपुर का बदला लेने के लिए योगी ने सबसे पहले निषाद पार्टी को तोड़ दिया और उसके इकलौते विधायक को अपने खेमे में कर लिया.
विजय मिश्रा योगी कैंप में इतनी आसानी से इसलिए भी चले गये क्योंकि विधानसभा चुनाव के वक्त अखिलेश ने इनका टिकट काट दिया था . तब एबीपी न्यूज के कैमरे पर विजय मिश्रा ने अखिलेश यादव से अपनी जान को खतरा तक बता दिया था.
आज विधानसभा चुनाव में टिकट काटने का बदला विजय मिश्रा ने अखिलेश यादव से ले लिया है. विजय मिश्रा भदोही की ज्ञानपुर सीट से विधायक हैं. 2002 से लगातार विजय मिश्रा जीत रहे हैं. विजय मिश्रा की पत्नी विधान परिषद सदस्य हैं. बेटी 2014 का लोकसभा चुनाव भी लड़ चुकी हैं.
पूर्वांचल में विजय मिश्रा की गिनती बाहुबली नेताओं में होती है. इनके कद का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि राज्य में जब बीजेपी की लहर चल रही थी तब विजय मिश्रा ने निषाद पार्टी के टिकट पर लड़कर जीत हासिल कर ली.
2012 में विजय जेल से ही चुनाव जीत गये थे. योगी सरकार में मंत्री नंद गोपाल नंदी पर रिमोट बम से हमला करने का आरोप विजय मिश्रा पर है. इस राज्यसभा चुनाव ने नंदी और मिश्रा को एक कैंप में लाकर खड़ा कर दिया है.
विजय मिश्रा पर दो दर्जन से ज्यादा केस चल रहे हैं. विजय पर आय से अधिक संपत्ति का भी मामला चल रहा है. विजय मिश्रा के बीजेपी के करीब आने की शुरुआत पिछले महीने 6 फरवरी को हुई थी. इलाहाबाद में नितिन गडकरी के कार्यक्रम में विजय मिश्रा न सिर्फ पहुंचे बल्कि पैर छूकर गडकरी से आशीर्वाद लिया. इसके बाद बीजेपी ने उन्हें अपने पाले में कर लिया.
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गुंजन मिश्रापर्यावरणविद्
Opinion