Rajya Sabha Election 2024: राज्यसभा चुनाव 2024 में 15 राज्यों की 56 सीटों के लिए 27 फरवरी को मतदान होना है. सभी पार्टियों ने कुल 59 उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश ऐसे राज्य हैं, जहां एक-एक अतिरिक्त उम्मीदवार मैदान में हैं. इन्हीं राज्यों में क्रॉस वोटिंग होने की संभावना है.


उत्तर प्रदेश में बीजेपी और समाजवादी पार्टी को अपने सभी उम्मीदवारों को जीत दिलाने के लिए क्रॉस वोटिंग की जरूरत पड़ेगी. अखिलेश यादव की पार्टी के दो विधायक जेल में बंद हैं, जो उनके लिए चिंता का विषय हो सकता है.


उत्तर प्रदेश में कुल 399 विधायक हैं और यहां 10 राज्यसभा सीटों के लिए वोटिंग हो रही है. ऐसे में हर पार्टी को अपना एक सांसद चुनने के लिए कम से कम 37 विधायकों के मत की जरूरत है.


बीजेपी को क्यों क्रॉस वोटिंग की जरूरत?


बीजेपी ने सबसे ज्यादा आठ उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं. इस पार्टी के पास 252 विधायक हैं. इसके सहयोगी दलों को मिला दिया जाए तो 34 विधायक और बीजेपी के पक्ष में आ जाते हैं. इनमें अपना दल के 13, राष्ट्रीय लोक दल के नौ, निशाद पार्टी और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के छह-छह विधायक शामिल हैं. जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के दो विधायक भी बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में वोट कर सकते हैं. अगर बीजेपी अपने सहयोगियों से 36 वोट हासिल कर पाती है तो उसके पास कुल 288 वोट होंगे, जबकि आठ राज्यसभा सांसद चुनने के लिए उसे 296 वोट चाहिए. ऐसे में बीजेपी को आठ विधायकों से क्रॉस वोटिंग की जरूरत पड़ेगी.


सपा के लिए कहां फंस सकता है पेंच?


समाजवादी पार्टी ने तीन उम्मीदवार उतारे हैं. तीनों उम्मीदवारों को जीत दिलाने के लिए इस पार्टी को कुल 111 विधायक चाहिए. अगर समाजवादी पार्टी के 108 विधायकों के साथ कांग्रेस के दो विधायक और किसी अन्य पार्टी का एक विधायक अखिलेश के उम्मीदवार के पक्ष में वोट कर दे तो बात बन सकती है. हालांकि, अखिलेश यादव के दो विधायक रमाकांत यादव और इरफान सोलंकी जेल में हैं. इस वजह से बात बिगड़ती हुई भी दिख रही है. इन दोनों विधायकों के जेल से आकर वोट डालने की संभावना कम है. अगर ये दोनों विधायक वोट नहीं डाल पाते हैं तो अखिलेश यादव के तीसरे उम्मीदवार की हार हो सकती है. इस स्थिति में सिर्फ क्रॉस वोटिंग ही उनके तीसरे उम्मीदवार को जीत दिला सकती है.


संजय सेठ बन सकते हैं सपा के लिए परेशानी


बीजेपी नेता संजय सेठ पहले समाजवादी पार्टी में थे. वह अखिलेश यादव के करीबी माने जाते थे और पार्टी के अन्य नेताओं से भी उनके संबंध बताए जाते हैं. ऐसे में वह बीजेपी के लिए विधायकों को क्रॉस वोटिंग करने के लिए तैयार कर सकते हैं. माना जा रहा है कि सत्ताधारी एनडीए गठबंधन के लिए विधायकों को अपने पक्ष में करना थोड़ा आसान भी होगा.


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