Rajya Sabha Election: उत्तर प्रदेश की 10 राज्यसभा सीटों के लिए 27 फरवरी को मतदान होना है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आठ और समाजवादी पार्टी ने तीन उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है. 403 सदस्यों वाली यूपी विधानसभा में इस समय 399 विधायक हैं. ऐसे में संख्याबल के लिहाज बीजेपी के सात उम्मीदवारों का जीतना लगभग तय है.
हालांकि, लेकिन पार्टी ने 8वां उम्मीदवार घोषित करके चुनाव को दिलचस्प बना दिया है. इतना ही नहीं इससे सपा की तीसरे सीट पर पेच भी फंस गया है, जहां एक ओर बीजेपी इस सीट को अपने पाले में करने में कोशिश कर रही है, तो वही सपा भी तीसरी सीट को हासिल करने के लिए संख्याबल जुटी है.
किंग मेकर बने राजा भैया
ऐसे में दो विधायकों वाली रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल लोकतांत्रिक (JDL) और एक विधायक वाली बहुजन समाज पार्टी किंग मेकर की भूमिका में आ गई हैं. इसके चलते बीजेपी और सपा दोनों ही इन पार्टियों के साथ साठ-गांठ में लग गए हैं.
सपा-बीजेपी से मेल-मिलाप
इस संबंध में पहले सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने राजा भैया से मुलाकात की और फिर अगले ही दिन यूपी बीजेपी के अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी राजा भैया के पास पहुंचे. इस बीच चौधरी और राजा भैया की मुलाकात के बाद सपा चौकन्नी हो गई है.
2018 जैसी परिस्थितियां
गौरतलब है कि साल 2018 में भी ऐसी ही परिस्थितियां बनीं थी. उस समय 8 सीटों पर बीजेपी और 2 सीटों पर सपा की जीत तय मानी जा रही थी, लेकिन बीजेपी ने इस बार की तरह तब भी अपना एक एक्स्ट्रा उम्मीदवार मैदान में उतार दिया. इसके बाद अखिलेश यादव ने पार्टी का समर्थन कर रहे अन्य दलों के नेताओं के साथ मीटिंग की.
इनमें राजा भैया भी शामिल थे. इस बैठक में राजा भैया ने अखिलेश यादव को आश्वासन दिया था कि वह सपा के पक्ष में वोटिंग करेंगे, लेकिन मतदान के दिन राजा भैया पलटी मार गए और उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार के पक्ष में वोट कर दिया और यह सीट बीजेपी के खाते में चली गई.
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