नई दिल्ली: बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर यादव ने वाराणसी से अपना नामांकन रद्द होने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. उन्होंने चुनाव आयोग के फैसले को गलत बताया और इस मामले में जल्द सुनवाई की मांग की.


तेज बहादुर यादव की याचिका :-
* 24 अप्रैल को भरे नामांकन में नौकरी से बर्खास्तगी के सवाल पर गलती से हां लिख दिया.
* सवाल था कि क्या आप भ्रष्टाचार या सरकार के विश्वास हनन के लिए बर्खास्त हुए. मेरी बर्खास्तगी अनुशासनहीनता के चलते हुई थी.
* 29 अप्रैल को दोबारा भरे नामांकन में इस गलती को सुधारा. नौकरी से बर्खास्तगी का पत्र नए नामांकन के साथ लगाया.
* 30 अप्रैल को शाम 6 बजे निर्वाचन अधिकारी ने चुनाव आयोग से चुनाव लड़ने की योग्यता पर सर्टिफिकेट लाने को कहा.
* 1 मई को मेरा नामांकन ये कहते हुए खारिज कर दिया कि मेरी बर्खास्तगी अप्रैल 2017 में हुई थी. मैं इसके 5 साल तक चुनाव लड़ने के अयोग्य हूं.
* सुप्रीम कोर्ट निर्वाचन अधिकारी के आदेश पर रोक लगाए. मुझे चुनाव लड़ने की इजाज़त मिले.


वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव लड़ रहे हैं. तेज बहादुर यादव ने जवानों को दिए जाने वाले भोजन के बारे में शिकायत करते हुए एक वीडियो ऑनलाइन पोस्ट किया था जिसके बाद 2017 में उसे बल से से बर्खास्त कर दिया गया था.


इससे आहत तेज बहादुर यादव ने वाराणसी से पीएम मोदी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया. हालांकि नामांकन दाखिल करने से ठीक पहले समाजवादी पार्टी ने उन्हें टिकट दे दिया.


हालांकि, निर्वाचन अधिकारी ने तेज बहादुर यादव का नामांकन पत्र यह कहते हुए खारिज कर दिया कि उसने वह प्रमाणपत्र जमा नहीं किया जिसमें यह स्पष्ट किया गया हो कि उसने भ्रष्टाचार या विश्वासघात की वजह से बर्खास्त नहीं किया गया. तेज बहादुर यादव ने अपनी याचिका में कहा है कि आयोग का निर्णय भेदभावपूर्ण और अतार्किक है तथा इसे खारिज किया जाना चाहिए.