महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव: महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री सावरकर पर कांग्रेस के नेताओं के दिए अलग-अलग बयानों से काफ़ी खफ़ा हैं. दोनों का मानना है कि सावरकर का महाराष्ट्र की राजनीति में काफ़ी बड़ा कद है. चुनाव के बीच पार्टी के कुछ नेताओं ने सावरकर को भारत रत्न दिए जाने का विरोध किया है उससे महाराष्ट्र चुनाव के नतीजों पर काफ़ी फर्क पड़ सकता है.
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, ''सावरकर को समझने और जानने के लिए यशवंत राव चव्हाण की आत्मकथा और शरद पवार के पिछले कुछ दशकों के बयान को देखते तो दिल्ली में बैठे नेताओं को महाराष्ट्र की राजनीति समझ आती.'' यशवंत राव चव्हाण ने अपनी आत्मकथा में लिखा है कि कैसे वो सावरकर के प्रभावशाली व्यक्तित्व से आकर्षित होकर उनसे मिलने रत्नागिरी गए थे. सयुक्त महाराष्ट्र के आंदोलन में महाराष्ट्र की तमाम जनता को सावरकर ने यशवंत राव के पीछे खड़े रहने का आग्रह किया था.
सावरकर और चव्हाण का एक दूसरे के प्रति जो आदर और सम्मान था वो महाराष्ट्र कांग्रेस और सावरकर के बीच सम्बंधों को दिखाता है. बात साल 2003 की है तब के तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष मनोहर जोशी ने संसद की प्रतिमा समिति को लिखा जिसमें सभी बड़े दलों के नेता थे. स्पीकर मनोहर जोशी ने सावरकर की प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव दिया था तो लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता शिवराज पाटिल ने कहा था कि स्पीकर की बात को कैसे ठुकराया जा सकता है. ऐसे में सावरकर की प्रतिमा संसद तक पहुंची थी जिसमें कांग्रेस की भी भूमिका थी.
वहीं 28 मई 1989 को तत्कालिक कांग्रेस के महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शरद पवार ने मुंबई के शिवाजी पार्क में सावरकर स्मारक का लोकार्पण किया. उस लोकार्पण समारोह में बात करते हुए पवार ने सावरकर को वीर स्वतंत्र सेनानी और मज़बूत समाज सुधारक कहा था. शरद पवार ने सावरकर के नासिक आंदोलन को याद करते हुए उनके जाति व्यवस्था पर किए प्रहार की सराहना भी की थी. हाल ही में जो चुनाव चल रहे हैं उसमें बीजेपी ने सावरकर के लिए भारत रत्न का प्रस्ताव रखा है जिसे महाराष्ट्र के किसी भी नेता ने नहीं ठुकराया.
एक पूर्व मुख्यमंत्री ने एबीपी न्यूज़ को कहा कि ''दिल्ली में बैठे हुए कांग्रेस के नेता, यह नहीं जानते कि सावरकर के विचारों और उनकी कविताओं का प्रभाव महाराष्ट्र की जनता पर किस प्रकार से है.'' उन्होंने यह भी कहा कि ''पार्टी ने सावरकर पर अपनी भूमिका बनाने से पहले महाराष्ट्र के किसी भी नेता से कोई भी चर्चा नहीं की.'' एक दूसरे नेता जो महाराष्ट्र से केन्द्र में मंत्री रह चुके है उन्होंने यहां तक कह दिया कि इंदिरा गांधी की जो भूमिका सावरकर के लिए थी वह राजनीतिक तौर पर योग्य थी.
महाराष्ट्र कांग्रेस के नेताओं को लगता है कि भले ही पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने बयान से सावरकर पर हुए नुकसान को कम करने की कोशिश की हो लेकिन कांग्रेस की इस भूमिका से चुनाव में नुकसान होना स्वाभाविक है. इंदिरा गांधी ने सावरकर पर ऐसे ही स्टाम्प जारी नहीं कराया था उसके कुछ तो मायने रहे होंगे.
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