SC Seeks Response On OROP: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से संशोधित सुनिश्चित करियर प्रगति (MACP)पर प्रतिक्रिया मांगी है.  उसने केंद्र से पूछा कि कितने लोगों को इस सुविधा का लाभ दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, सूर्य कांत और विक्रम नाथ की संयुक्त बेंच ने केंद्र सरकार से हलफनामा दायर कर यह बताने को कहा कि उन्होंने सशस्त्र सेनाओं के कितने कर्मियों को एमएसीपी और सुनिश्चित करियर प्रगति (ACP)के जरिये लाभ दिया है.


खर्च का खाका भी पेश करने को कहा


इसके अलावा कोर्ट ने सरकार से इस संबंध में उसके वित्तीय परिव्यय का भी खाका कोर्ट के सामने रखने को कहा और पूछा कि क्या वन रैंक वन पेंशन के लिए एमएसीपी फैक्टरिंग के लिए उनकी तरफ से कोई निर्देश जारी किए गए हैं ? सुनवाई के दौरान, कोर्ट ने ओआरओपी योजना को लेकर  केंद्र की खिंचाई  करते हुये कहा कि ओआरओपी पर सरकार द्वारा पेश की गई सुनहरी तस्वीर वास्तविकता में वैसी नहीं है जैसी कि दिखती है.


कोर्ट ने सरकार से जानना चाहा कि ओआरओपी के क्रियान्वयन से कितने लोगों को व्यवहारिक रूप से लाभ पहुंचा है, उनकी लिस्ट बेच के सामने प्रस्तुत करने को कहा है. कोर्ट ने पूछा कि वित्त मंत्री द्वारा वन रैंक वन पेंशन पर टिप्पणी किये जाने के बाद क्या सरकार और कैबिनेट के पास ऐसी कोई नीति पहले से मौजूद थी जिसको कैबिनेट ने कोई मंजूरी दी हो. 


23 फरवरी को होगी मामले की अगली सुनवाई


फिलहाल इस मामले की अगली सुनवाई 23 फरवरी को होगी. गौरतलब है कि कोर्ट इंडियन एक्स-सर्विसमैन मूवमेंट (IESM) द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई कर रहा था. याचिकाकर्ता ने पांच साल में एक बार सेवानिवृत्त सैन्य कर्मियों की पेंशन की समीक्षा करने की सरकार की नीति को चुनौती दी थी. याचिकाकर्ता का आरोप था कि सरकार ने ओआरओपी और एमएसीपी को जोड़कर ओआरओपी योजना के उद्देश्य को विफल कर दिया है. 


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