Maharashtra Assembly Elections: महाराष्ट्र में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, उससे पहले एकनाथ शिंदे सरकार ओबीसी वर्ग को आकर्षित करने के लिए बड़े कदम उठाने वाली है. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने गुरुवार (10 अक्टूबर) को कहा कि वह केंद्र सरकार से अनुरोध करेंगे कि वह गैर क्रीमी लेयर के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए आय सीमा को मौजूदा 8 लाख से बढ़ाकर 15 लाख प्रतिवर्ष करें. 


गैर क्रीमी लेयर प्रमाण पत्र का अर्थ होता है, ‘संबंधित व्यक्ति की पारिवारिक आय निर्धारित सीमा से कम है. ओबीसी श्रेणी में आरक्षण लाभ प्राप्त करने के लिए इस कागजात की आवश्यकता होती है’. राज्य सरकार के बयान के मुताबिक महाराष्ट्र राज्य अनुसूचित जाति आयोग को संवैधानिक दर्जा देने के लिए एक मसौदा अध्यादेश को भी कैबिनेट की बैठक में मंजूरी दी गई. 


हरियाणा में लिया गया था फैसला


ठीक ऐसा ही फैसला हरियाणा विधानसभा चुनाव के कुछ महीनों पहले नायब सिंह सैनी सरकार ने लिया था. उन्होंने आरक्षण के लिए पिछड़े वर्गों में क्रीमी लेयर में शामिल लोगों की पहचान करने के लिए सालाना इनकम लिमिट को 6 लाख से बढ़ाकर 8 लाख करने की घोषणा की थी. भाजपा को इस फैसले से पहले भी फायदा हुआ है. जहां राज्य में सत्ता विरोधी लहर देखने को मिल रही थी वहीं इस फैसले ने उस लहर को दरकिनार किया और राज्य में तीसरी बार भाजपा की सत्ता में वापसी कराई. 


फैसले से भाजपा को हुआ फायदा


सैनी सरकार ने हरियाणा अनुसूचित जाति आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने माना था कि राज्यों को संवैधानिक रूप से अनुसूचित जातियों के भीतर उपवर्गीकरण करने का अधिकार है. बता दें कि हरियाणा की 17 अनुसूचित जाति सीटों में से भाजपा ने आठ विधानसभा सीटों, नीलोखेड़ी, पटौदी, होडल, बवाल, नरवाना, इसराना और बवानी खेड़ा पर जबरदस्त जीत हासिल की.


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