नई दिल्लीः समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक 28 जुलाई को लखनऊ में होगी, इसमें किन मुद्दों पर चर्चा हो सकती है ये तय हो रहा है. लेकिन सूत्रों ने बताया कि बीएसपी से सीटों के तालमेल पर मंथन होगा. किन सीटों पर पार्टी चुनाव को लड़ना चाहिए, बैठक में इस पर रिपोर्ट पेश होगी. अखिलेश यादव पहले ही कन्नौज से और मुलायम सिंह यादव के मैनपुरी से चुनाव लड़ने का एलान कर चुके हैं. इन दोनों जगहों के नेताओं को लखनऊ बुला कर वे मीटिंग भी कर चुके हैं.
समाजवादी पार्टी अगला लोकसभा चुनाव बीएसपी के साथ मिल कर लड़ेगी लेकिन क्या इस गठबंधन में कांग्रेस भी शामिल होगी? अभी फ़ैसला नहीं हुआ है. समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव कांग्रेस के बदले आरएलडी से चुनावी समझौते के पक्ष में हैं लेकिन मायावती गठबंधन में कांग्रेस को भी साथ रखना चाहती हैं. यूपी में लोकसभा की 80 सीटें हैं. अब तक तो पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर रही पार्टी को उस सीट से टिकट देने का फ़ार्मूला चल रहा है लेकिन इसमें कई पेंच हैं. समाजवादी पार्टी तो बीएसपी के दबदबे वाले इलाक़े में भी कुछ सीटें चाहती हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में एसपी 31 और बीएसपी 34 सीटों पर दूसरे नंबर पर थीं. कांग्रेस 6 जबकि आरएलडी और आप एक एक सीट पर दूसरे नंबर पर थी. अब तक के फ़ार्मूले के हिसाब समाजवादी पार्टी को 36 सीटें मिलनी चाहिए. पिछले चुनाव में एसपी 5 सीटें जीतने में कामयाब रही थी. इस हिसाब से समाजवादी पार्टी का हक़ 36 सीटों पर बनता है. लेकिन सूत्र बताते हैं कि बीएसपी 40 सीटों से कम पर तैयार नहीं है.
कुछ सीटें ऐसी हैं जहां एसपी पिछली बार दूसरे नंबर पर थी लेकिन अगले चुनाव में पार्टी वहां से टिकट चाहती है. ऐसी ही कुछ सीटों पर बीएसपी की भी नज़र है. जैसे मोहनलालगंज सुरक्षित लोकसभा सीट पर पिछली बार बीएसपी के आर के चौधरी दूसरे नंबर पर थे. अब वे एसपी में चले गए हैं इसीलिए अखिलेश ये सीट उनके लिए चाहते हैं. कांग्रेस से पिछली बार सिर्फ़ सोनिया गांधी और राहुल गांधी ही जीत पाये थे. कांग्रेस को गठबंधन में कितनी सीटें मिल सकती हैं, समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में इस पर भी चर्चा हो सकती है पार्टी की पिछली मीटिंग 4 अक्टूबर 2017 को आगरा में हुई थी.
समाजवादी पार्टी ने मुलायम सिंह यादव के लिए घर ख़रीदने का फ़ैसला किया है. राष्ट्रीय कार्यकारिणी में इस पर भी प्रस्ताव पास होना है. मुलायम का नया घर पार्टी ऑफ़िस के ठीक सामने होगा. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद यूपी के छह पूर्व मुख्य मंत्रियों को सरकारी बंगला ख़ाली करना पड़ा था.