राफेल सौदे की जांच की मांग पर SC ने फैसला सुरक्षित रखा, राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना मामले पर भी आएगा फैसला
आज करीब 2 घंटे तक चली बहस में याचिककर्ता प्रशांत भूषण ने पूरे सौदे को संदेहजनक बताते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की. भूषण के अलावा याचिकाकर्ता अरुण शौरी ने भी दलीलें रखीं.
नई दिल्ली: राफेल मामले में दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. आज कोर्ट ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के खिलाफ दायर अवमानना याचिका पर भी सुनवाई पूरी कर ली. दोनों पर एक साथ फैसला आएगा. राफेल पुनर्विचार याचिकाओं में कोर्ट से दिसंबर में दिए उस फैसले को बदलने की मांग की गई है, जिसमें कोर्ट ने फ्रांस के साथ हुए लड़ाकू विमान सौदे को सही करार दिया था. जबकि, राहुल गांधी के खिलाफ अवमानना याचिका कोर्ट के आदेश को गलत तरीके से पेश करने के लिए दायर हुई है. राहुल ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने 'चौकीदार को चोर' कहा है. राहुल ने इसके लिए 'बिना शर्त माफी' मांगी है. उन्होंने माना है कि पार्टी के नारे को कोर्ट के आदेश की तरह प्रस्तुत करना उनकी गलती थी.
राफेल पर आज क्या हुआ आज करीब 2 घंटे तक चली बहस में याचिककर्ता प्रशांत भूषण ने पूरे सौदे को संदेहजनक बताते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की. उन्होंने कहा कि सरकार ने सौदे से पहले स्टैंडर्ड प्रोसीजर की 8 ऐसी शर्तें हटा दीं, जो भ्रष्टाचार पर नियंत्रण रखने के लिए बनाई गई थीं. नेगोसिएशन टीम का हिस्सा रहे 3 विशेषज्ञों ने सौदे पर आपत्ति दर्ज करवाई थी. फ्रांस सरकार से सॉवरिन गारंटी नहीं ली गई. सिर्फ लेटर ऑफ कंफर्ट लिया गया, इसका कोई महत्व नहीं है. सौदे का मकसद अनिल अंबानी को लाभ पहुंचाना था.
भूषण के अलावा याचिकाकर्ता अरुण शौरी ने भी दलीलें रखीं. उन्होंने सरकार पर कोर्ट के भरोसे का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया. शौरी ने कहा कि पीएमओ समानांतर सौदेबाज़ी कर रहा था. ये दावा गलत है कि चूंकि ये 2 सरकारों के बीच समझौता था, इसलिए पीएमओ सिर्फ निगरानी कर रहा था.
जवाब में एटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने याचिकाकर्ताओं पर कोर्ट को गुमराह करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता रक्षा मंत्रालय से चुराए के दस्तावेजों को चुनिंदा हिस्सों को कोर्ट में रख रहे हैं. उनकी नीयत कोर्ट को गुमराह करने की है.
वेणुगोपाल ने आगे कहा, "समझौते में गोपनीयता की शर्त है. कीमत पर भी खुलासा करने की मनाही है. फिर भी आप CAG रिपोर्ट देख सकते हैं. प्रति विमान 2.86% का फायदा हुआ है. जो सौदा किया गया, वो देश के लिए बहुत ज़रूरी था. हम सबकी सुरक्षा के लिए इसे किया गया."
3 जजों की बेंच के सदस्य जस्टिस के एम जोसफ ने सवाल किया, "याचिकाकर्ता ललिता कुमारी मामले में आए कोर्ट के फैसले का हवाला दे रहे हैं. उस मामले में कोर्ट ने कहा था कि संज्ञेय अपराध के मामलों में पुलिस को FIR करनी होगी." एटॉर्नी जनरल ने जवाब दिया, "ये फैसला यहां लागू नहीं है. संज्ञेय अपराध में FIR तब होगी जब कोई प्रभावित पक्ष हो. FIR के लिए एक प्रथमदृष्टया केस भी होना चाहिए. किसी भी शिकायत पर FIR नहीं हो सकती."
राहुल मामले में क्या हुआ मामले को कोर्ट तक लेकर आने वाली बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी के वकील मुकुल रोहतगी ने राहुल के माफीनामे का विरोध किया. उन्होंने कहा, "राहुल ने शुरू में माफी नहीं मांगी थी. कोर्ट ने अपने सवालों से मजबूर कर दिया, तब माफी मांग रहे हैं. इसे स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए. कोर्ट को उन्हें उचित सज़ा देनी चाहिए." रोहतगी ने आगे कहा, "कोर्ट के प्रति लोगों के मन में सम्मान है. लोग कोर्ट की कही बातों को सच मानते हैं. राहुल ने इसी भरोसे का इस्तेमाल अपने राजनीतिक नारे को विश्वसनीयता देने के लिए किया. उनसे कोर्ट ही नहीं, लोगों से भी माफी मांगने को कहा जाना चाहिए."
राहुल की तरफ से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "कोर्ट किसी को मजबूर नहीं करता. गलती सुधारने का मौका देता है. पहले भी देर से मांगी गई माफी को कोर्ट ने स्वीकार किया है. राहुल ने औपचारिक नोटिस जारी होने से पहले ही खेद जता दिया था. अब माफी भी मांग रहे हैं. इसलिए, मामला बंद कर दिया जाना चाहिए."
जुलाई में आएगा फैसला आज गर्मी की छुट्टी से पहले कोर्ट का आखिरी दिन था. छुट्टी के दौरान सिर्फ तत्काल सुनवाई की ज़रूरत वाले मामले ही देखे जाएंगे. कोर्ट छुट्टी के बाद जुलाई के पहले हफ्ते में खुलेगा. ऐसे में दोनों मामलों में फैसला करीब 2 महीने बाद ही आने की उम्मीद है.
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