नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी (एसपी) कैंडिडेट रहे पूर्व जवान तेज बहादुर यादव की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से 9 मई को जवाब मांगा है. बता दें कि वाराणसी से अपनी उम्मीदवारी रद्द किए जाने को तेज बहादुर यादव ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.


तेज बहादुर यादव ने अपनी याचिका में कहा है कि आयोग का निर्णय भेदभावपूर्ण और अतार्किक है, इसे रद्द किया जाना चाहिए. तेज बहादुर यादव से पहले एसपी ने पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से शालिनी यादव को टिकट दिया था, लेकिन बाद में पार्टी ने प्रत्याशी बदल कर, बीएसएफ के बर्खास्त जवान तेज बहादुर को उम्मीदवार बनाया.

चुनाव आयोग ने तेज बहादुर यादव का नामांकन रद्द उनके द्वारा दाखिल दस्तावेजों में विंसंगति पाने के बाद किया था. तेज बहादुर यादव को बीएसएफ से अनापत्ति प्रमाण (एनओसी) जमा करना था, जिसमें बर्खास्तगी के कारण बताए जाने थे. वह यह जमा नहीं कर पाए थे. इसके बाद उनका यहां से नामांकन रद्द कर दिया गया था.

तेज बहादुर यादव ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि उसने चुनाव लड़ने से रोकने के लिए 'तानाशाही कदम' का सहारा लिया. उन्होंने कहा, "मेरा नामांकन खारिज कर दिया गया जबकि मैंने बीएसएफ से एनओसी जमा किया था जिसे आरओ ने जमा करने को कहा था."

तेज बहादुर यादव वही हैं जिन्होंने जवानों को खराब भोजन मिलने की शिकायत करते हुए एक वीडियो ऑनलाइन पोस्ट. इसके बाद 2017 में तेज बहादुर यादव को बीएसएफ से बर्खास्त कर दिया गया था.