नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव प्रचार के दौरान बीएसपी प्रमुख मायावती और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कथित रूप से विद्वेष फैलाने वाले भाषणों का सोमवार को संज्ञान लिया और निर्वाचन आयोग से जानना चाहा कि उसने इनके खिलाफ अभी तक क्या कार्रवाई की है.
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ ने चुनाव प्रचार के दौरान जाति-धर्म को आधार बना कर विद्वेष फैलाने वाले वाले भाषणों से निबटने के लिये आयोग के पास सीमित अधिकार होने के कथन से सहमति जताते हुये निर्वाचन आयोग के एक प्रतिनिधि को मंगलवार को तलब किया है.
पीठ ने निर्वाचन आयोग के इस कथन का उल्लेख किया कि वह जाति और धर्म के आधार पर विद्वेष फैलाने वाले भाषण के लिये नोटिस जारी कर सकता है, इसके बाद परामर्श दे सकता है और अंतत: ऐसे नेता के खिलाफ आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन के आरोप में शिकायत दर्ज करा सकता है.
पीठ ने कहा, ‘‘ चुनाव आयोग ने कहा कि उनके हाथ में कुछ नहीं है. उन्होंने कहा कि वे पहले नोटिस जारी करेंगे, फिर परामर्श जारी होगा और फिर शिकायत दर्ज की जाएगी.’’पीठ ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान इास तरह के विद्वेष फैलाने वाले भाषणों से निबटने के आयोग के अधिकार से संबंधित पहलू पर वह गौर करेगा.
सुनवाई के दौरान पीठ ने आयोग के अधिवक्ता से मायावती और योगी आदित्यनाथ के कथित नफरत फैलाने वाले भाषणों के कारण उनके खिलाफ उठाए कदमों के बारे में भी जानकारी मांगी. आयोग के अधिवक्ता ने कहा कि वे पहले ही दोनों नेताओं को नोटिस जारी कर चुका है.
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पीठ ने कहा, ‘‘ हमें मायावती और योगी आदित्यनाथ के खिलाफ उठाए कदमों के बारे में बताएं.’’ इस मामले पर सुनवाई के लिए उसने कल की तारीख मुकर्रर की है.
पीठ संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में शारजाह के रहने वाले एनआरआई योग प्रशिक्षक की याचिका पर सुनवाई कर रहा था. अपनी याचिका में उन्होंने आम चुनाव के मद्देनजर राजनीतिक पार्टियों के प्रवक्ताओं के मीडिया में धर्म एवं जाति के आधार पर की जाने वाली टिप्पणियों पर चुनाव आयोग को ‘‘कड़े कदम’’ उठाने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है.