Lok Sabha Elections 2024: किसानों ने किया लोकसभा चुनाव के बहिष्कार का ऐलान, जानें क्या है वजह
Elections 2024: सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व के तहत आने वाली तलावडी और जेरहल्ली हिल्स की फॉरेस्ट रेंज की बाउंड्री के साथ 20 से ज्यादा गांव बसे हैं. यहां जंगली हाथियों के आतंक से लोग दहशत में हैं.
Lok Sabha Elections 2024: तमिलनाडु की 39 लोकसभा सीटों पर पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होगा. चुनावों से पहले वोटरों को रिझाने के लिए सभी दल पुरजोर कोशिश में जुटे हैं. चुनाव आयोग भी मतदाताओं से अपने मत का प्रयोग करने की लगातार अपील कर रहा है, लेकिन तमिलनाडु के इरोड जिला की तलावडी हिल्स में फॉरेस्ट बाउंड्री के साथ बसे गांवों के लोगों खासकर किसानों ने चुनाव का बहिष्कार करने का फैसला किया है. इसके पीछे एक बड़ी वजह ग्रामीणों के जंगली जानवरों के आतंक से हो रही परेशानी है जिससे वह लगातार दहशत में जी रहे हैं.
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, तमिलनाडु के तलावडी हिल्स की फॉरेस्ट बाउंड्री से सटे कई गांव हैं. इन गांवों में रहने वाले लोग लगातार जंगली जानवरों से संघर्ष करने से बहुत दु:खी हैं. इस समस्या का समाधान निकालने के लिए वो अनेकों बार सरकार से गुहार भी लगा चुके हैं. बाजवूद इसके आज तक समस्याओं पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा सकी है. इस सभी से परेशान होने के बाद अब कई गांवों में कुछ ग्रुप्स की ओर से आगामी लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने की चेतावनी दी है. साथ ही चुनाव के विरोध स्वरूप अपने घरों के ऊपर काले झंडे तक लगा दिए हैं.
फॉरेस्ट रेंज की बाउंड्री के साथ बसे करीब 20 गांव
तलावडी में किसानों ने नेगेटिव मानव-पशु संपर्क को कम करने में मदद के लिए बेहतर हाथी-रोधी उपायों की मांग की है. दरअसल, सत्यमंगलम टाइगर रिजर्व (STR)के तहत आने वाली तलावडी और जेरहल्ली की पहाड़ियों की फॉरेस्ट रेंज की बाउंड्री के साथ 20 से ज्यादा गांव बसे हैं. यहां पर अक्सर जंगली हाथियों के बस्तियों में घुसने के आतंक से लोग दहशत में रहते हैं. साथ ही यह किसानों की खड़ी फसलों को भी बहुत नुकसान पहुंचाते हैं. वहीं, अगर किसान अपनी फसलों को बचाने के लिए रखवाली करते हैं तो यह जंगली हाथी हिंसक भी हो जाते हैं. किसानों पर हमले और उनकी मौत के कई मामले सामने आ चुके हैं. इसके अलावा तेंदुएं और बाघ भी लोगों और उनके पशुओं पर हमले करते आए हैं.
पिछले कुछ सालों में बढ़े संघर्ष के मामले
किसानों का दावा है कि पिछले कुछ सालों में इस तरह से संघर्ष में बढ़ोतरी रिकॉर्ड हुई है. इस तरह की घटनाएं खासकर गर्मियों के दौरान ज्यादा देखी गई हैं. इस सीजन में जंगली जानवर खाने की तलाश में गांवों में घुस जाते हैं. हालांकि, हर घटना के बाद पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाता है, लेकिन यह समस्या का समाधान नहीं है. वह लगातार इस तरह की घटनाओं से डरे और सहमे रहते हैं. ग्रामीण सरकार से इस समस्या का स्थायी समाधान चाहते हैं.
नीलगिरी संसदीय सीट के तहत आते हैं यह सब गांव
इन फॉरेस्ट रेंज के साथ बसे गांव खासकर इग्गलुर, नीथलापुरम और शेषन नगर के रेजिडेंट्स ग्रुप का कहना है कि इस तरह के संघर्ष से वो लगातार दो चार होते रहते हैं. यह क्षेत्र नीलगिरी संसदीय सीट के अंतर्गत भवानीसागर विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं. इस समस्या से निजात पाने के लिए कई सुझाव भी दिए गए हैं.
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