हैदराबाद: पांच साल पहले आंध्र प्रदेश से अलग करके गठित किये गये तेलंगाना में दूसरी बार विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित करने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं. आज तय हो जाएगा कि के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) दूसरी बार सत्ता में वापसी करते हैं या फिर प्रदेश की कमान किसी अन्य सियासी चेहरों के हाथों में जाती है. जून 2014 में गठित हुए तेलंगाना में हुए पहले चुनाव में कल्वाकुंतला चंद्रशेखर राव ने रिकॉर्ड जीत दर्ज करते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल की थी. लेकिन उन्होंने तय समय से एक साल पहले ही अपना पद छोड़कर चुनाव में जाने का फैसला किया.
तेलंगाना राज्य का गठन लंबे आंदोलनों के बाद से हुआ था. माना जाता है तेलंगाना शब्द तेलगु भाषा के तेलु शब्द के बहुवचन रूप तेलूंगा से लिया गया है. इसका मतलब "सफेद चमड़ी लोगों" होता है. वहीं कुछ जगह कहा गया है कि यह संस्कृत शब्द त्रिलंगा से लिया गया है. 119 सदस्यों वाली तेलंगाना विधानसभा में जीत दर्ज के लिए टीआरएस, कांग्रेस, बीजेपी, टीडीपी और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन मैदान में है. आज आने वाले परिणाम के बाद ये तय हो जायेगा की राज्य की कमान किस के हाथों में जाती है.
चुनाव परिणामों से पहले हम आपको इस चुनाव से जुड़ी कुछ खास बातें बताते हैं.
119 सदस्यों वाली तेलंगाना विधानसभा चुनाव में सरकार बनाने के लिए 59+1 सदस्यों की जरूरत होती है.
तेलंगाना के गठन के बाद हुए चुनावों में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) ने सबसे ज्यादा सीटें जीत कर सरकार बनाई थी.
तेलंगाना के गठन के बाद राज्य में दूसरी बार विधानसभा चुनाव हो रहे हैं.
इस बार के चुनाव में लगभग 73 फीसदी वोटिंग की गई जो पिछले बार के मुकाबले 1 फीसदी कम था.
तेलंगाना में इस बार पीएम मोदी ने 3, राहुल गांधी ने 16, अमित शाह ने 12, योगी आदित्यनाथ ने 4 और सोनिया गांधी ने 1 रैली की थी.
इस बार के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में नेताओं ने एक दूसरे पर जम कर निशाना साधा. यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चुनाव जीतने पर हैदराबाद का नाम बदलकर भाग्यनगर करने का वादा किया. साथ ही योगी ने हैदराबाद की रैली में कहा था कि अगर बीजेपी तेलंगाना में सत्ता में आती है तो एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी उसी तरह राज्य छोड़कर भागना पड़ेगा जिस तरह हैदराबाद के निजाम भाग गए थे. हालांकि निजाम के हैदराबाद छोड़ कर भाग जाने का दावा गलत है.
स्वामी परिपूर्णानंद ने लोगों से हिंदुओं के कल्याण के लिए बीजेपी को वोट देने की अपील की. उन्होंने कहा, "कांग्रेस पार्टी राज्य में यीशु को शासन करने का वादा कर रही है, जबकि टीआरएस पार्टी निजाम के शासन की प्रशंसा कर रही है." तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर ने एक चुनावी रैली में नरेंद्र मोदी और बीजेपी को 'मतापारायण पिची' (सांप्रदायिक पागलपन) की बीमारी बता दिया था.
अकबरुद्दीन ओवैसी ने पीएम मोदी को चाय वाली बात पर खूब तंज कसा था. उन्होंने कहा था "आज, आप हमारे साथ मुकाबला कर रहे हैं और हमसे पूछ रहे हैं कि हमने क्या किया है? लेकिन तुमने क्या किया है?" अकबरुद्दीन ने मोदी संबोधित करते हुए हैदराबाद में एक रैली में कहा, "हर बार, आप चाय, चाय और सिर्फ चाय के बारे में बात करते हैं" उन्होंने कहा, "कठोर चाय, मुलायम चाय, चाय केतली, चाय का पानी, चाय का स्टोव कहते हो. क्या वो [मोदी] प्रधानमंत्री हैं या कुछ और? वह वक्त गया जब एक चाय बेचते थे."