Telangana Election 2023 News: तेलंगाना में आज (30 नवंबर) वोटिंग है. सत्ता की दौड़ में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस), कांग्रेस और बीजेपी शामिल है. हालांकि कई एग्जिट पोल में कांग्रेस और बीआरएस के बीच कड़े मुकाबले की बात सामने आई है. चुनाव की तारीख के ऐलान के बाद से लेकर अब तक यहां तीनों पार्टियों के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला है.


बात चाहे कांग्रेस की हो या भारतीय जनता पार्टी के नेताओं की, दोनों ही दलों के निशाने पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी रहे हैं. पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से लेकर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी तक ने ओवैसी पर खूब हमला किया, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि जो AIMIM 119 विधानसभा सीटों वाले चुनाव में सिर्फ 9 सीट पर ताल ठोक रही है, उससे आखिर बीजेपी और कांग्रेस को क्या दिक्कत है. इस सवाल का जवाब है ओवैसी फैक्टर, जो तेलंगाना के मुस्लिम बहुल हर इलाके में मौजूद है. आइए इसे विस्तार से समझते हैं.


45 सीटों पर मुस्लिम वोटर निर्णायक


तेलंगाना में मुस्लिम आबादी करीब 45 लाख है. यह तेलंगाना की कुल आबादी का करीब 13 प्रतिशत हैं. तेलंगाना की 119 विधानसभा सीटों में से 45 सीट पर मुस्लिम वोटर निर्णायक भूमिका रखते हैं. तेलंगाना में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM सिर्फ हैदराबाद सिटी के मुस्लिम बहुल इलाकों में चुनाव लड़ती है. बाकी सीटों पर वह BRS का समर्थन करती है. इस बार भी यही स्थिति है. इस चुनाव में ओवैसी की पार्टी सिर्फ 9 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. ऐसे में बाकी 110 सीटों पर जहां AIMIM मैदान में नहीं है, वहां भी अधिकतर मुस्लिम वोट ओवैसी की इशारे पर जा सकते हैं.


कांग्रेस को पहुंचा चुकी है नुकसान


119 विधानसभा सीट वाले तेलंगाना में कांग्रेस को 2014 विधानसभा चुनाव में 21 सीट मिली थी, जबकि 2018 में कांग्रेस ने 19 सीटों पर जीत दर्ज की. 2018 के विधानसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी AIMIM को 2.71 फीसदी वोट मिले थे. उसने 7 सीटों पर जीत दर्ज की थी. कई सीटों पर ओवैसी की पार्टी ने कांग्रेस का खेल बिगाड़ा था. हैदराबाद और उसके आसपास के एरिया ओवैसी के गढ़ माने जाते हैं.


ये भी पढ़ें


Chhattisgarh Election 2023: मतपत्र पेटियों में बीजेपी ने गड़बड़ी की जताई आशंका, जगदलपुर में निर्वाचन अधिकारी से सुरक्षा बढ़ाने की मांग