Telangana Election 2023 Date: तेलंगाना में विधानसभा चुनाव के लिए 30 नवंबर को मतदान होगा. यहां भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस), कांग्रेस, बीजेपी, एआईएमआईएम और कुछ अन्य दल चुनावी मैदान में हैं. हालांकि इस बार बीआरएस और कांग्रेस के बीच ही कड़ी टक्कर है. इन सबके बीच बीजेपी भी खुद को जीत का दावेदार बता रही है. इन तीनों में कौन बाजी मारेगा इसका पता 3 दिसंबर को नतीजे आने पर ही चलेगा, लेकिन बीजेपी इस बार कई सीटों पर कांग्रेस और बीआरएस का खेल बिगाड़ सकती है.


तेलंगाना की राजनीति पर नजर रखने वाले राजनीतिक जानकार बताते हैं कि पिछले कुछ साल में बीजेपी का वोट शेयर यहां बढ़ा है. पीएम मोदी भी यहां चुनाव प्रचार कर रहे हैं. इसके अलावा हिंदू वोट फैक्टर भी है. इन सबसे बीजेपी शहरी इलाकों में कम से कम 15-20 विधानसभा सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी की मुश्किलें बढ़ा सकती है.


कई सीटों पर बढ़ा है पार्टी का दबदबा


हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, तेलंगाना भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पार्टी ने 2023 के बीच तक लोगों और कैडर के बीच बहुत उत्साह पैदा किया था. ये वो समय था जब बंदी संजय तेलंगाना बीजेपी के अध्यक्ष थे और उन्होंने राज्य भर में "प्रजा संग्राम यात्रा" के जरिये पार्टी में जान फूंकी थी. इसके अलावा जुलाई 2022 में हैदराबाद में भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारी समिति की बैठक आयोजित करने और तेलंगाना में सार्वजनिक रैलियों को संबोधित करने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की लगातार यात्राओं ने लोगों के बीच पार्टी के लिए बहुत सकारात्मक छवि बनाई,  लेकिन मई 2023 में कर्नाटक विधानसभा चुनावों के नतीजों ने तेलंगाना में पार्टी को फिर से बैकफुट पर ला दिया. हालांकि कई सीटों पर पार्टी का दबदबा अब भी है.”


तेलंगाना के कई शहरी सीटों पर अच्छी पकड़


उत्तरी तेलंगाना के कई शहरी निर्वाचन क्षेत्रों मं भाजपा मजबूत स्थिति में नजर आ रही है और वह बीआरएस व कांग्रेस के उम्मीदवारों की जीत-हार को प्रभावित कर सकती है. हैदराबाद स्थित राजनीतिक अनुसंधान समूह पीपुल्स पल्स के साथ काम करने वाले विश्लेषक जी मुरलीकृष्ण ने कहा कि भाजपा कम से कम 20 निर्वाचन क्षेत्रों में कांग्रेस और बीआरएस के उम्मीदवारों की संभावनाओं को बना या बिगाड़ सकती है. उन्होंने कहा, “इन सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला होगा और क्या यह कांग्रेस के सत्ता विरोधी वोटों को विभाजित करेगा या बीआरएस वोट बैंक में सेंध लगाएगा, यह उन निर्वाचन क्षेत्रों में मौजूदा स्थिति पर निर्भर करता है.”


कामारेड्डी सीट पर सबसे ज्यादा असर


उदाहरण के लिए, कामारेड्डी विधानसभा क्षेत्र में जहां बीआरएस अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव (केसीआर) प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) प्रमुख ए रेवंत रेड्डी के खिलाफ कड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं, वहां भाजपा उम्मीदवार के. वेंकट रमण रेड्डी जो पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष हैं, दोनों को कड़ी टक्कर दे रहे हैं. “केसीआर द्वारा अपनी उम्मीदवारी की घोषणा करने और रेवंत रेड्डी के मैदान में आने से पहले भाजपा कामारेड्डी में बहुत मजबूत थी. वास्तव में, अगर बीआरएस और कांग्रेस के बड़े नेता मैदान में नहीं होते तो वेंकट रमण रेड्डी के सीट जीतने की काफी संभावना थी. यदि वह रेड्डी वोटों को विभाजित करते हैं, तो केसीआर सीट जीत जाएंगे, लेकिन अगर वह बीआरएस वोट बैंक में सेंध लगाते हैं, तो यह रेवंत रेड्डी के लिए फायदेमंद होगा.”


इन सीटों पर भी मजबूत है बीजेपी


कुछ इसी तरह की स्थिति बोथ, मुधोले, कोरुतला, निर्मल, निज़ामाबाद (शहरी), परकल, हनमकोंडा, महेश्वरम, राजेंद्रनगर, अंबरपेट, उप्पल, मेडचल, मल्काजगिरी, सेरिलिंगमपल्ली, महबूबनगर, नारायणपेट आदि कई निर्वाचन क्षेत्रों में बनी हुई है. इन सभी निर्वाचन क्षेत्रों में, भाजपा अन्य दो दलों के साथ मजबूत लड़ाई लड़ने में सक्षम है. हो सकता है कि बीजेपी यहां से 2-3 सीटें जीत भी ले.


इन वजहों से रेस में निकली आगे


इसके अलावा तेलंगाना में प्रधानमंत्री मोदी की ओर से लगातार की जा रही जनसभा, मडिगा उप-समूह को लाभ पहुंचाने के लिए अनुसूचित जातियों के वर्गीकरण की घोषणा और एक ओबीसी नेता को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने से भी कई सीटों पर भाजपा के पक्ष में माहौल बना है. वहीं, राजनीतिक विश्लेषक श्रीराम कर्री कहते हैं कि इस बात की पूरी संभावना है कि भाजपा कांग्रेस के बजाय बीआरएस के वोट बैंक में सेंध लगाएग. अभी जो हालात हैं, उससे ऐसा लग रहा है कि लोगों ने अधिकांश सीटों पर बीआरएस के खिलाफ मतदान करने का फैसला किया है. उनके लिए कांग्रेस अगला सबसे अच्छा विकल्प लग रहा है.


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