Telangana Election 2023: क्या तेलंगाना बीजेपी के लिए ओबीसी पॉलिटिक्स की प्रयोगशाला साबित होगी?
Telangana Elections 2023: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 27 अक्टूबर को सूर्यापेट में एक रैली को संबोधित करते हुए घोषणा की थी कि अगर बीजेपी सत्ता में आती है तो मुख्यमंत्री ओबीसी समुदाय से बनाया जाएगा.
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Telangana Election 2023 Date: पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी अलग-अलग तरह के प्रयोग कर रही है. पार्टी ने जहां एक तरफ मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में कई सांसदों को विधायक चुनाव के लिए मैदान में उतारकर सभी को हैरान कर दिया, तो वहीं दूसरी तरफ बीजेपी तेलंगाना में 30 नवंबर को होने वाले चुनाव के लिए ओबीसी राजनीति पर प्रयोग कर रही है. पार्टी का यह प्रयोग अगर यहां सफल होता है तो इसे दूसरे राज्यों में भी लागू किया जा सकता है.
दरअसल, तेलंगाना की कुल आबादी में ओबीसी और दलित का सामूहिक रूप से 68 प्रतिशत हिस्सा है. इसमें ओबीसी की बात करें तो वह 51 प्रतिशत और दलित 17 पर्सेंट हैं. भाजपा इन दोनों को एक साथ लुभाने की कोशिश कर रही है. बीजेपी का यह प्रयोग कितना सफल होगा, ये तो 3 दिसंबर को ही साफ हो सकेगा, लेकिन इतना तय है कि इसने दूसरे दलों की परेशानी जरूर बढ़ा दी है.
बीजेपी पूरे देश में ओबीसी सर्वे का कर रही दावा
तेलंगाना चुनाव में बीजेपी विपक्ष की जाति जनगणना की मांग का जवाब देने के लिए पूरे देश में ओबीसी सर्वे कराने की भी योजना बना रही है. ओबीसी को लुभाने के लिए भाजपा लगातार घोषणाएं कर रही है और यह साबित करने की कोशिश कर रही है कि कांग्रेस और बीआरएस ओबीसी विरोधी हैं. 27 अक्टूबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सूर्यापेट में एक रैली को संबोधित करते हुए घोषणा की थी कि अगर राज्य विधानसभा चुनाव में बीजेपी सत्ता में आती है तो मुख्यमंत्री ओबीसी समुदाय से बनाया जाएगा.
कांग्रेस को तेलंगाना में टिकट वितरण पर घेर रही भाजपा
कांग्रेस पर हमला करते हुए, भाजपा ने कहा कि सबसे पुरानी पार्टी, जो जनसंख्या आधारित अधिकारों का मुद्दा उठा रही है, ने राज्य विधानसभा चुनावों के लिए घोषित कुल 114 उम्मीदवारों में से ओबीसी समुदाय के केवल 23 लोगों को टिकट दिया है. बीजेपी नेता कांग्रेस को घेरते हुए कहते हैं कि ओबीसी राज्य की आबादी का 51 पर्सेंट है, लेकिन सबसे पुरानी पार्टी ने उन्हें धोखा देते हुए महज 20 पर्सेंट ओबीसी को ही टिकट दिया है.
किसी भी कीमत पर तेलंगाना जीतना चाहती है पार्टी
कर्नाटक विधानसभा चुनावों में हार का सामना करने के बाद भाजपा किसी भी कीमत पर तेलंगाना विधानसभा चुनाव जीतना चाहती है और यही कारण है कि उसने मतदाताओं को उनकी जातियों के आधार पर लुभाना शुरू कर दिया है. भाजपा का मानना है कि तेलंगाना विधानसभा चुनाव जीतने से उसके "मिशन साउथ" को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे पार्टी को केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में फायदा होगा.
लोकसभा चुनाव 2024 पर भी है पार्टी की नजर
भाजपा इस रणनीति पर भी काम कर रही है कि बेशक पार्टी को तेलंगाना विधानसभा चुनाव में सत्ता न मिले, लेकिन उसे कांग्रेस की तुलना में अधिक वोट मिले. इससे राज्य में सबसे पुरानी पार्टी के अस्तित्व पर सवालिया निशान लग जाएगा. इसके अलावा जनसंख्या गाथा पर राहुल गांधी के अधिकार भी समाप्त हो जाएंगे, जिससे 2024 के लोकसभा चुनावों में भगवा पार्टी को फायदा होगा.
मडिगा समाज को लुभाने के लिए फेंका यह कार्ड
यही नहीं, दलितों और ओबीसी को लुभाकर बीजेपी राज्य में अपने लिए एक ठोस जनाधार तैयार करने की कोशिश कर रही है. शनिवार (11 नवंबर) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिकंदराबाद में मडिगा रिजर्वेशन पोराटा समिति (एमआरपीएस) की ओर से आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए मडिगा लोगों को लुभाने की कोशिश की, जो राज्य की दलित आबादी का 60 फीसदी हिस्सा हैं. उन्होंने कहा कि केंद्र जल्द ही एक समिति बनाएगा जो अनुसूचित जातियों के वर्गीकरण की उनकी तीन दशक से लंबित मांग का समाधान करेगी. जब प्रधानमंत्री ने कहा कि वह समिति और उसके उद्देश्यों का समर्थन करते हैं, तो मडिगा रिजर्वेशन पोराटा समिति की नेता मंदा कृष्णा मडिग फूट-फूट कर रोने लगे. इसका एक वीडियो भी वायरल हो रहा है, जिसमें प्रधानमंत्री मंदा कृष्णा मडिगा को सांत्वना देते दिख रहे हैं. बता दें कि तेलंगाना विधानसभा की 24 सीटों पर मडिगा समुदाय का प्रभाव है.
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