Telangana Election 2023 News: तेलंगाना विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, वैसे-वैसे यहां का मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है. यहां कांग्रेस और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के बीच जबरदस्त टक्कर देखने को मिल रही है. कांग्रेस तेजी से बीआरएस इलाकों में अपनी पकड़ बना रही है, जबकि बीजेपी पिछड़ रही है.
कुछ समय पहले तक बीआरएस का गढ़ माने जाने वाले उत्तरी तेलंगाना में कई विधानसभा सीटें अब स्विंग सीटों के रूप में उभर रही हैं. यहां लोकल मुद्दे नतीजों को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे. कुल मिलाकर बीआरएस और कांग्रेस की चुनावी किस्मत हैदराबाद एरिया और उत्तरी तेलंगाना की स्विंग सीटों पर निर्भर है. आइए जानते हैं क्या है यहां की स्थिति.
उलझा चेन्नूर सीट का समीकरण
तेलंगाना में पड़ने वाले एससी निर्वाचन क्षेत्र चेन्नूर से बीआरएस के सुमन मंचेरियल मौजूदा विधायक हैं. कुछ समय पहले तक वह जीत को लेकर आश्वस्त थे, लेकिन अचानक अब इस सीट पर कड़ा मुकाबला देखने को मिल रहा है. यहां समुन मंचेरियल के सामने पूर्व सांसद जी विवेकानंद ताल ठोक रहे हैं, जो इस महीने अपने बेटे वामसी के साथ कांग्रेस में लौटे हैं. इस सीट पर इन्हें भी जीत का दावेदार बताया जा रहा है.
तीन से 10-15 सीट पर पहुंच सकती है कांग्रेस
उत्तरी तेलंगाना के 10 जिलों आदिलाबाद, कोमाराम भीम आसिफाबाद, निर्मल, जगतियाल, मंचेरियल, निज़ामाबाद, पेद्दापल्ली, करीमनगर, राजन्ना सिरिसिला और कामारेड्डी में भी अब मुकाबला दिलचस्प होता जा रहा है. इन इलाकों में विधानसभा की 32 सीटें आती हैं. बीआरएस की ऐतिहासिक रूप से पूर्ववर्ती आदिलाबाद, निज़ामाबाद और करीमनगर जिलों में मजबूत पकड़ रही है. यही वजह है कि 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में बीआरएस ने यहां की 32 में से 28 सीटें जीती थीं.
वहीं कांग्रेस के हिस्से में 3 सीटें आईं थीं. तब आसिफाबाद एसटी-आरक्षित सीट से अतराम सक्कू, येलारेड्डी सीट से जाजला सुरेंद्र और मंथनी सीट से श्रीधर बाबू ने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की थी. पर इस बार जीत का आंकड़ा 10 से 15 सीटों पर पहुंच सकता है.
इन मुद्दों से बदल रहा खेल
उत्तरी तेलंगाना में बीआरएस गढ़ में सेंध लगने के पीछे स्थानीय मुद्दे ही हैं, जिन पर बीआरएस पीछे छूटती दिख रही है. यहां एक-एक कर हम आपको उन मुद्दों के बारे में बताएंगे.
1. कृषि - उत्तरी तेलंगाना के इन जिलों में कृषि काफी महत्वपूर्ण है. यहां कम से कम आठ निर्वाचन क्षेत्रों में बीआरएस को चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. गोदावरी नदी और उसकी सहायक नदी मंजीरा की ओर से सिंचित उत्तरी क्षेत्र, कृषि की दृष्टि से विकसित जिलों का दावा करता है, निज़ामाबाद और आदिलाबाद अपनी कृषि अर्थव्यवस्था के लिए जाने जाते हैं, जबकि पूर्व करीमनगर जिले, जिसमें अब जगतियाल, पेद्दापल्ली और राजन्ना सिरिसिला ने कृषि के साथ-साथ औद्योगिक विकास भी देखा है.
2. इंडस्ट्री - बीड़ी बनाना, एक घरेलू उद्योग, निजामाबाद में महिलाओं के बीच आर्थिक गतिविधि में महत्वपूर्ण योगदान देता है. इसके अलावा, गन्ने और धान के विकल्प के रूप में पाम तेल की खेती को बढ़ावा देने के प्रयास चल रहे हैं, आने वाले वर्षों में निर्मल, निज़ामाबाद और कामारेड्डी में तेलंगाना के पाम तेल बागानों का एक तिहाई हिस्सा होने की उम्मीद है. ऐसे में कांग्रेस इनसे जुड़े मुद्दे उठा रही है.
3. धरणी पोर्टल - इस चुनाव में हल्दी भी बीआरएस को रेस से बाहर करने का कारण बन सकती है. इस मुद्दे का महत्व 2019 के आम चुनाव में सामने आया जब बीआरएस के संस्थापक और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव की बेटी कल्वाकुंतला कविता निजामाबाद में हार गईं. ऐसे में बीआरएस का आधार कम हो रहा है. कृषि संबंधी मुद्दे, विशेष रूप से किसानों की समस्याओं के समाधान में धरणी पोर्टल की कथित कमियों का प्रभाव पड़ने की आशंका है. बीजेपी जहां धरणी पोर्टल को खत्म करना चाहती है तो वहीं कांग्रेस ने इसे एक अलग नाम के साथ लाने की बात कही है.
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