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Telangana Election 2023: तेलंगाना के सीएम KCR इस बार क्यों लड़ रहे दो विधानसभा सीटों से चुनाव? पार्टी का विस्तार या फिर... जानिए क्या है वजह

Election News: तेलंगाना में विधानसभा चुनाव के लिए 30 नवंबर को वोटिंग होगी. 119 सीटों वाली विधानसभा में अभी बीआरएस बहुमत में है और के. चंद्रशेखर राव सीएम हैं. इस बार कांग्रेस से उसका मुकाबला है.

Telangana Assembly Election 2023: तेलंगाना में 30 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए सत्ताधारी भारत राष्ट्र समिति (BRS) ने कमर कस ली है. पार्टी लगभग सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार चुकी है. उम्मीदवारों की लिस्ट में सबसे अहम और बड़ा नाम पार्टी के अध्यक्ष और मौजूदा मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव का है. के. चंद्रशेखर राव इस बार दो निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ रहे हैं.

इसे लेकर काफी चर्चा हो रही है. कांग्रेस जहां इसे हार का डर बता रही है तो बीआरएस इसकी कुछ और वजह बता रही है. वहीं राजनीतिक एक्सपर्ट भी इसे लेकर अलग-अलग तरह की बातें कर रहे हैं. आइए जानते हैं आखिर क्यों दो विधानसभा सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं केसीआर और क्या हैं इसके मायने.  

गजवेल सीट से हैं अभी विधायक

के. चंद्रशेखर राव अभी गजवेल विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं. यानी पिछली बार हुए चुनाव में वह यहीं से जीते थे. इसके अलावा इस बार उन्होंने कामारेड्डी खंड से भी चुनाव लड़ने का फैसला किया है. कामारेड्डी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र कामारेड्डी जिले के तहत आता है और इस जिले का गठन कुछ समय पहले ही किया गया है.

चेवेल्ला से बीआरएस सांसद रंजीत रेड्डी इसे लेकर कहते हैं, "हम जानते हैं कि वह पार्टी की संभावनाओं को बेहतर बनाने के लिए ऐसा कर रहे हैं." वहीं. दूसरी ओर हाल ही में एक चुनावी रैली के दौरान, तेलंगाना के आईटी मंत्री और केसीआर के बेटे केटी रामाराव ने कहा कि उनके पिता ने कामारेड्डी को चुना क्योंकि निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के साथ उनका अटूट बंधन है.

'महाराष्ट्र में अपनी पहुंच बढ़ाने पर नजर'

राजनीतिक जानकार इस फैसले को किसी और नजरिए से देखते हैं. उनका मानना है कि इस फैसले के पीछे पार्टी को मजबूत करना भी हो सकता है. कामारेड्डी जिला तेलंगाना के उत्तरी भाग में स्थित है और इसकी सीमा महाराष्ट्र और कर्नाटक दोनों से लगती है. ऐसे में हो सकता है कि बीआरएस का फोकस धीरे-धीरे ऐसे इलाकों पर अपना आधार बनाते हुए दूसरे राज्यों की सीमावर्ती सीटों पर भी पार्टी का जनाधार बढ़ाया जाए.

राजनीतिक जानकार ये भी कहते हैं कि केसीआर ने इस साल अचानक अपनी पार्टी का नाम तेलंगाना राष्ट्रीय समिति से बदलकर भारत राष्ट्रीय समिति किया. इसके पीछे उनका मकसद खुद को राष्ट्रीय पार्टी के रूप में स्थापित करना ही था. ऐसे में पार्टी फिलहाल कामारेड्डी सीट के जरिये महाराष्ट्र में अपनी उपस्थिति बढ़ाने की कोशिश कर रही हो.

बीआरएस ने पिछले कुछ महीनों में महाराष्ट्र के सीवा वाले इलाकों में कई रैलियां आयोजित की हैं. पार्टी ने वहां खुद को 'किसान-हितैषी' सरकार के रूप में पेश किया है. महाराष्ट्र में पार्टी ने अपनी पिच तैयार करने के लिए कई बार रायथु बंधु और रायथु भीमा जैसी योजनाओं को गिनाया है, जो फिलहाल तेलंगाना में चालू हैं.

निजामाबाद संसदीय सीट पर भी फोकस

कामारेड्डी विधानसभा क्षेत्र तकनीकी रूप से ज़हीराबाद संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत आता है, तेलंगाना राज्य के गठन के दो साल बाद जिले को निज़ामाबाद जिले से बांटकर बनाया गया था. राजनीतिक एक्सपर्ट बताते हैं कि इस सीट से केसीआर के चुनाव लड़ने की एक वजह निजामाबाद में पार्टी को मजबूत करना भी हो सकता है.

दरअसल, 2019 के लोकसभा चुनावों में केसीआर की बेटी के. कविता को बीजेपी के धर्मपुरी अरविंद ने निज़ामाबाद सीट पर ही हराया था. ऐसे में हो सकता है कि पार्टी अध्यक्ष सिर्फ विधानसभा ही नहीं, बल्कि अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिए भी बीआरएस को मजबूत करने में लगे हों.

'हार का डर, इसलिए ढूंढ रहे सुरक्षित सीट'

केसीआर के दो जगह से चुनाव लड़ने के फैसले पर कांग्रेस का कहना है कि उन्हें इस बार अपनी सीट पर हार का डर है, इसलिए वह ऐसी सुरक्षित सीट ढूंढना चाहते हैं, जहां से आसानी से जीत सकें. इसलिए उन्होंने कामारेड्डी को चुना है. कामारेड्डी से मौजूदा बीआरएस विधायक गम्पा गोवर्धन पांच बार से विधायक हैं. इन्होंने 2012, 2014 और 2018 में पार्टी के लिए यहां से चुनाव जीता है.

कांग्रेस के नेता कहते हैं कि केसीआर को इस बार भरोसा नहीं था कि वह अपने गढ़ गजवेल में जीत हासिल करेंगे. तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रेवंत रेड्डी कहते हैं " केसीआर भागना तो सिद्दीपेट और सिरसिला सीट पर चाहते थे, लेकिन अब कामारेड्डी जा रहे हैं जहां शब्बीर अली जैसा अल्पसंख्यक नेता है. इस सीट पर अल्पसंख्यक आबादी अधिक है. 

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