Tripura Election 2023: त्रिपुरा विधानसभा की 60 सीटों के लिए 16 फरवरी को मतदान हुआ था. पूर्वोत्तर राज्यों में सबसे पहले चुनाव कराने वाला राज्य त्रिपुरा है. वहीं मेघालय और नगालैंड में कल यानी (27 फरवरी) को मतदान होना है. तीनों राज्यों के नतीजे 2 मार्च को घोषित किए जाएंगे. 2018 में जीत हासिल करके सरकार बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी और राज्य में 25 साल तक शासन करने वाली माकपा के नेतृत्व वाले वाम मोर्चा के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है.
चुनाव आयोग के अनुसार त्रिपुरा में कुल 28,14,584 मतदाता हैं. इसमें कुल 13,99,289 लाख महिलाएं हैं और 14,15,233 पुरुष हैं, जो 259 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे. 2018 में भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव जीतकर राज्य में सरकार बनाई थी. इसमें बिप्लब कुमार देब मुख्यमंत्री बने, लेकिन मई 2022 में देब ने इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद डॉ. माणिक साहा ने त्रिपुरा के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली थी. वहीं उपमुख्यमंत्री जिष्णु देव वर्मा बने थे.
कोई भी आपराधिक नहीं है दर्ज
त्रिपुरा के उपमुख्यमंत्री जिष्णु देव वर्मा चारिलम निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ रहे हैं. इस बार वर्मा का मुकाबला कांग्रेस के अशोक देबबर्मा से है. जिष्णु देव के खिलाफ कोई भी आपराधिक मामला दर्ज नहीं है. जिष्णु देव ने मार्च 2018 में त्रिपुरा के उपमुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला था. 65 वर्षीय राजनेता त्रिपुरा के शाही परिवार से ताल्लुक रखते हैं. जिष्णु देव प्रद्योत बिक्रम माणिक्य देबबर्मा के चाचा हैं.
2018 के त्रिपुरा विधानसभा चुनावों में, जिष्णु देव वर्मा ने चारिलम निर्वाचन क्षेत्र से 25,000 से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की थी. उन्होंने कांग्रेस के अर्जुन देबबर्मा को हराया था. जिष्णु देव को उपचुनाव में डाले गए 29,753 मतों में से 89% मत प्राप्त हुए थे. जिष्णु देव के पास 150gm गोल्ड है जिसकी कीमत छह लाख रुपये है. वहीं इनकी पत्नी के पास 100gm गोल्ड है जिसकी कीमत 4 लाख रुपये है. वर्मा के नाम एक नॉन एग्रीकल्चर लैंड भी है. उन्होंने अपनी अन्य संपत्ति का जिक्र नहीं किया है.
जिष्णु देव वर्मा ने बी.ए. तक कलकत्ता विश्वविद्यालय से पढ़ाई की है. वर्मा ने 1996 में बीजेपी उम्मीदवार के रूप में पूर्वी त्रिपुरा आदिवासी-आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ा था. इसके बाद 1998 के त्रिपुरा विधानसभा चुनाव और 1999 के लोकसभा चुनाव भी लड़े, लेकिन वे तीनों बार हार गए थे. तब वर्मा ने 29 फीसदी वोट हासिल किए थे जो त्रिपुरा में बीजेपी को मिले वोटों में सबसे अधिक था.