Tripura Elections Result: चुनाव से ठीक पहले CM बदलना बीजेपी के लिए फायदे का सौदा, त्रिपुरा समेत इन राज्यों में हिट रहा फॉर्मूला
Tripura Elections Results 2023: पिछले साल यानी 2022 में उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव हुए. जिनमें बीजेपी ने इतिहास रचते हुए राज्य में लगातार दूसरी बार सरकार बनाई.
Tripura Elections Results 2023: कुछ ही महीने में विधानसभा चुनाव होने वाले हों और इसी बीच पिछले चार सालों काम कर रहे मुख्यमंत्री को हटा दिया जाए...ऐसे फैसलों को राजनीति में पहले घातक समझा जाता था. कहा जाता था कि इससे विपक्षी दल सीएम और सरकार के कामकाज पर खुलकर सवाल उठा सकता है और जनता भी नाराज हो सकती है, लेकिन बीजेपी ने ऐसी तमाम बातों को झूठा साबित कर दिया है. त्रिपुरा में आए चुनाव नतीजे भी इसी बात की गवाही देते दिख रहे हैं. जहां चुनाव से करीब 9 महीने पहले बीजेपी ने मुख्यमंत्री बदला और अब जीत भी दर्ज कर ली है.
सीएम बदलने का फॉर्मूला बीजेपी के लिए पिछले लंबे समय से हिट रहा है. त्रिपुरा पहला राज्य नहीं है जहां बीजेपी ने इस फॉर्मूले का इस्तेमाल कर सत्ता में वापसी की हो. इससे पहले भी कई राज्यों में ये फॉर्मूला बीजेपी का सक्सेस मंत्रा रहा है.
त्रिपुरा में हटाए गए बिप्लब देव
सबसे पहले ताजा मामले की बात करते हैं. त्रिपुरा में 2018 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बड़ी जीत दर्ज की और लेफ्ट को सत्ता से बाहर फेंक दिया. इसके बाद बिप्लब देव को सीएम बनाया गया. लेकिन बिप्लब देव के बयानों और उन्हें लेकर पार्टी के अंदर मची कलह के चलते चार साल बाद उन्हें हटाकर माणिक साहा को मुख्यमंत्री बना दिया गया. विपक्षी दलों ने इस फैसले को भुनाने की खूब कोशिश की, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया. तमाम चुनौतियों के बावजूद बीजेपी ने अब चुनाव में एक बार फिर बहुमत का आंकड़ा हासिल कर लिया है.
उत्तराखंड में सुपरहिट रहा फॉर्मूला
पिछले साल यानी 2022 में उत्तराखंड के विधानसभा चुनाव हुए. जिनमें बीजेपी ने इतिहास रचते हुए राज्य में लगातार दूसरी बार सरकार बनाई. ऐसा किसी भी दल ने पहले इस राज्य में नहीं किया था, लेकिन ऐसा तब हुआ जब बीजेपी पांच साल के कार्यकाल में तीन मुख्यमंत्री बदल दिए गए. जब 2017 में चुनाव हुए तो बीजेपी सत्ता में आई. तब त्रिवेंद्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन हालात ऐसे बने कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को कुर्सी से हटाना पड़ा. उनके बाद तीरथ सिंह रावत के हाथों में कमान गई. लेकिन चुनाव से कुछ ही महीने पहले उन्हें भी हटा दिया गया. आखिरकार पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनाया गया.
पांच सालों में तीन मुख्यमंत्री बदलने के फैसले को बीजेपी के लिए घातक बताया गया. कहा गया कि नए चेहरे के साथ चुनावी मैदान में उतरने से बीजेपी को नुकसान हो सकता है. इसके साथ ही विपक्षी दल कांग्रेस को उत्तराखंड में हर बार सरकार बदलने वाले मूड पर भी भरोसा था. लेकिन इस सबके बीच बीजेपी इस बात को लेकर काफी कॉन्फिडेंट थी कि चुनाव में कुछ अच्छा होने जा रहा है. सभी चुनावी पंडितों को चुप कराकर बीजेपी ने उत्तराखंड में भारी बहुमत के साथ सरकार बनाई और धामी फिर से मुख्यमंत्री बन गए.
गुजरात में दोहराया फॉर्मूला
उत्तराखंड के बाद बीजेपी ने गुजरात में भी ये फॉर्मूला दोहराया. जहां एंटी इनकंबेसी झेल रही पार्टी को जीत की दरकार थी. गुजरात पीएम मोदी और अमित शाह का गढ़ है, ऐसे में यहां जीत दर्ज करना पार्टी के काफी अहम था. इसके बावजूद बीजेपी ने चुनाव से पहले विजय रुपाणी को हटाकर भूपेंद्र पटेल को मुख्यमंत्री बना दिया. साथ ही पूरा मंत्रिमंडल भी बदल दिया गया. ये फैसला भी पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हुआ और बीजेपी ने रिकॉर्ड जीत दर्ज कर एक बार फिर गुजरात में सरकार बनाई.
कर्नाटक में भी बदला गया सीएम
उत्तराखंड और गुजरात के बाद बीजेपी ने कर्नाटक में भी मुख्यमंत्री बदलने का फैसला किया. चुनाव से करीब दो साल पहले बीजेपी ने बीएस येदियुरप्पा को हटाकर बसवराज बोम्मई को सीएम की कुर्सी दे दी. अब ये फैसला भी बीजेपी के लिए फायदे का सौदा माना जा रहा है. कर्नाटक में चुनाव होने वाले हैं और बीजेपी जीत दर्ज करने की तैयारी कर रही है. बाकी राज्यों की तरह यहां भी सीएम बदलने का फॉर्मूला बीजेपी के लिए हिट साबित हो सकता है.
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