Tripura Exit Polls: त्रिपुरा में बीजेपी के पक्ष में कैसे बदल गए समीकरण, क्या टिपरा मोथा से मिला फायदा? जानिए
Tripura Exit Polls: त्रिपुरा में एक बार फिर बीजेपी सरकार बनती दिख रही है. बीजेपी के विरोध में जाते दिख रहे समीकरण कैसे उसके पक्ष में आए, आइए जानते हैं.
Tripura Election Exit Polls: त्रिपुरा में पिछले विधानसभा चुनाव 2018 में बीजेपी ने वामपंथी किले को ढहाकर इतिहास रच दिया था. अब पांच साल बाद एक बार फिर राज्य में विधानसभा चुनाव हुए. 16 फरवरी को त्रिपुरा में मतदान हुआ था, जिसके नतीजे 2 मार्च को मेघालय और नगालैंड के साथ आएंगे. इससे पहले एग्जिट पोल के नतीजे आ गए, जिसमें त्रिपुरा में बीजेपी को फायदा होता दिख रहा है.
त्रिपुरा का चुनाव इस साल बहुत दिलचस्प तरीके से लड़ा गया. त्रिपुरा में पहली बार चार फ्रंट नजर आए थे. बीजेपी ने अपनी सहयोगी आईपीएफटी के साथ चुनाव लड़ा था, तो कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां एक साथ मैदान में थीं. त्रिपुरा के पूर्व राजपरिवार के वारिस प्रद्योत देबबर्मा ने टिपरा मोथा के साथ मैदान में उतरकर लड़ाई को रोचक बना दिया था. वहीं, टीएमसी भी बंगाली वोटरों पर उम्मीद लगाए चुनाव मैदान में उतरी थी.
बीजेपी की वापसी
चार फ्रंट पर मुकाबला होने के चलते राजनीतिक पंडित त्रिपुरा की लड़ाई में बीजेपी को फंसता हुआ देख रहे थे लेकिन एग्जिट पोल इन अनुमानों को गलत साबित कर रहे हैं. सभी एग्जिट पोल त्रिपुरा में एक बार फिर से वापसी की बात कह रहे हैं. बीजेपी के विरोध में जाते समीकरण, उसके पक्ष में कैसे आ गए, ये समझना जरूरी है.
क्या कह रहे एग्जिट पोल
27 फरवरी को जारी किए एग्जिट पोल के नतीजों में बीजेपी त्रिपुरा में सबसे बड़ी पार्टी बनती नजर आ रही है. इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के सर्वे में बीजेपी को 36-45 सीट मिल रही हैं. टिपरा मोथा को 9-16 सीटें मिल रही हैं, जबकि लेफ्ट और कांग्रेस गठबंधन 6-11 सीट पर सिमट गया है. जी-मैटराइज के एग्जिट पोल में बीजेपी को 36 से 45 सीट मिलती दिख रही है.
टाइम्स नाउ एग्जिट पोल के अनुसार भी बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनती दिख रही है. हालांकि, यहां सीटें कम होकर 21-27 के बीच दिखाई गई हैं. लेफ्ट के खाते में 18 से 24 सीट जबकि टिपरा मोथा को 12-17 सीटें मिल सकती हैं. टाइम्स नाउ-ईटीजी ने राज्य में त्रिशंकु विधानसभा का अनुमान लगाया है.
कैसे बीजेपी के पक्ष में बदले समीकरण
अलग-अलग एग्जिट पोल को देखें तो त्रिपुरा में बीजेपी ने सभी को पीछे छोड़ा है. त्रिपुरा में बीजेपी को 45 प्रतिशत वोट शेयर मिल सकता है. हालांकि, पिछले चुनाव में मिले 51 प्रतिशत के मुकाबले यह कम है. 6 प्रतिशत वोट कम होने के बाद भी बीजेपी ने सभी दलों पर बढ़त बनाई है. इसकी वजह इस बार प्रद्योत देबबर्मा की टिपरा मोथा भी बड़ा फैक्टर है.
इस बार लेफ्ट ने कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और वह सरकार पलटने की उम्मीद लगाए बैठी थी लेकिन टिपरा मोथा के उभरने से कांग्रेस को झटका लगा है. टिपरा मोथा को सभी एग्जिट पोल 10-15 सीट देते नजर आ रहे हैं. ऐसा लगता है कि बीजेपी के विरोध में जो भी वोट था वो लेफ्ट गठबंधन की जगह टिपरा मोथा को ट्रांसफर हुआ है.
CM का चेहरा बदलना
2018 में ऐतिहासिक जीत के बाद बीजेपी ने बिप्लव देब को सीएम बनाया था. चार साल बाद 2022 में बीजेपी ने राज्य नेतृत्व में बदलाव करते हुए माणिक साहा को सीएम बनाया. इसका फायदा भी मिलता दिखा है. इंडिया टुडे-माय एक्सिस इंडिया के सर्वे में 27 प्रतिशत लोगों ने माणिक साहा को सीएम के रूप में पसंद किया है. 14 फीसदी ने ही लेफ्ट गठबंधन के जितेंद्र चौधरी को समर्थन दिया था.
सभी वर्गों का समर्थन
बीजेपी की जीत में सबसे बड़ी वजह उसे सभी वर्गों का समर्थन मिलना भी है. एग्जिट पोल के मुताबिक, बीजेपी को एससी और ओबीसी के 50 फीसदी से ज्यादा जबकि सामान्य के 60 फीसदी से ज्यादा वोट मिल रहे हैं. हालांकि, आदिवासी वोटों में टिपरा मोथा ने बड़ी सेंध लगाई है और इस वर्ग का बीजेपी को 30 प्रतिशत वोट ही मिल रहा है. साफ है कि बीजेपी जातीय वोटों के मामले में भी विरोधियों पर भारी पड़ रही है.
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