(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Tripura-Nagaland-Meghalaya Elections Result: हिमंत बिस्व सरमा ने नॉर्थ-ईस्ट में फिर दिखाया जादू, जानें कैसे दिलाई बीजेपी को जीत
North East Election Result: पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में एक बार फिर से बीजेपी की सत्ता में वापसी हो रही है. इस जीत की असल रणनीति जिसने रची वो हिमंत बिस्व सरमा हैं.
Tripura-Nagaland-Meghalaya Elections Result : पूर्वोत्तर के तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों से बीजेपी के हौसले बुलंद हैं. त्रिपुरा और नगालैंड में बीजेपी गठबंधन सरकार की वापसी हो चुकी है जबकि मेघालय में कोरनाड संगमा के साथ एक बार फिर सरकार में शामिल होने जा रही है. इन चुनावों में पीएम मोदी का जादू चला है लेकिन इस जीत का सूत्रधार एक ऐसा शख्स रहा जिसने नॉर्थ ईस्ट में ऐसा चक्रव्यूह रचा जिसमें सभी विपक्षी फंसकर ढेर हो गए.
कोई उन्हें 'नॉर्थ ईस्ट का चाणक्य' कहता है, तो कोई उन्हें 'बीजेपी का मिस्टर डिपेंडेबल' कहता है. हम बात कर रहे हैं, नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक एलाएंस (NDEA) के चीफ और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा की.
बीजेपी के लिए सरमा ने रची रणनीति
त्रिपुरा, मेघालय और नगालैंड के विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई थे. इन तीनों ही राज्यों बीजेपी के लिए रणनीति रचने की जिम्मेदारी हिमंत बिस्व सरमा पर ही थी. पिछले 2 महीने से हिमंत बिस्व सरमा लगातार इन तीनों राज्यों में घूम रहे थे.
मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 2 महीने में, हिमंत बिस्व सरमा ने इन तीनों में से हर राज्य में 20 सभाएं की हैं. इस हिसाब से देखें तो हर दिन कहीं न कहीं, उनकी एक रैली रही है. दिन में अभियान के बाद वह रात में 2 बजे तक जागकर अगले दिन की रणनीति बनाया करते थे.
टिपरा मोथा तक भी पहुंचे
हिमंत बिस्व सरमा को त्रिपुरा में आदिवासी वोटों पर टिपरा मोथा के असर का अंदाजा पहले से ही हो गया था. वे सबसे पहले बीजेपी की तरफ से टिपरा मोथा के चीफ प्रद्योत देबबर्मा के पास पहुंचे थे. जब टिपरा मोथा के साथ बात नहीं बनी तो उन्होंने पहले से चले आ रहे इंडीजेनस पीपुल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) के साथ बीजेपी के गठबंधन को बनाए रखा. इसके साथ ही टिपरा मोथा के साथ भी पीछे के दरवाजे से रिश्ते बनाकर रखे ताकि बाद में जरूरत पड़ने पर साधा जा सके.
मेघालय और नगालैंड में बीजेपी के लिए स्थितियां अलग तरह से थीं. दोनों ईसाई बहुल राज्य हैं और बीजेपी पर हिंदूवादी पार्टी होने का ठप्पा है. ऐसे में सरमा ने इन दोनों राज्यों में गठबंधन की राजनीति का विकल्प रखा. नगालैंड में पार्टी नेशनल डेमोक्रेटिक पोग्रेसिव पार्टी के साथ उतरी. मेघालय में पार्टी भले अकेले चुनाव लड़ी पर अपने पूर्व सहयोगी नेशनल पीपल्स पार्टी के कोनराड संगमा के साथ बातचीत जारी रही. सूत्रों के मुताबिक, नतीजों से एक दिन पहले दोनों के बीच मुलाकात भी हुई थी.
यह भी पढ़ें