उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में दोनों पार्टियों ने साथ चुनाव लड़कर बीजेपी को बड़ा झटका दिया था. लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि क्या यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में भी सपा और कांग्रेस का साथ बरकरार रहेगा. हालांकि, कांग्रेस ने बुधवार को जो लिस्ट जारी की, उससे तो दोनों पार्टियों के बीच बात बिगड़ने का संकेत मिलता दिख रहा है. 


दरअसल, कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में 10 विधानसभा सीटों के उपचुनाव को लेकर लिस्ट जारी की है. इस लिस्ट में रैली और मीडिया इंचार्ज का ऐलान किया गया है. 




क्या यूपी में भी बिगड़ेगी बात?

लोकसभा चुनाव में सपा और कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था. हालांकि, इसके बाद अन्य राज्यों में दोनों पार्टियों के बीच कोई बात बनती नहीं दिख रही है. हरियाणा में कांग्रेस ने सपा को एक भी सीट नहीं दी. इतना ही नहीं जम्मू कश्मीर में भी सपा और कांग्रेस के बीच बात नहीं बनी. इसके बाद सपा ने कई सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए.सपा अन्य राज्यों में विधानसभा सीटें जीतकर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त करना चाहती है. 


महाराष्ट्र में भी गठबंधन पर संकट

उधर, महाराष्ट्र में भी सपा और कांग्रेस के गठबंधन पर संकट के बादल नजर आ रहे हैं. दोनों के बीच अभी कोई बातचीत नहीं बनी है. ऐसे में अलग अलग राज्यों में सपा को मिले झटकों के बाद माना जा रहा है कि अखिलेश यूपी विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस को झटका दे सकते हैं. यूपी में वैसे भी सपा की स्थिति कांग्रेस के कई गुणा मजबूत मानी जाती है.  

 लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी. पार्टी ने 37 सीटों पर जीत हासिल की थी. जबकि उसकी सहयोगी कांग्रेस को 6 सीटों पर जीत हासिल हुई. जबकि बीजेपी को 2019 की तुलना में बड़ा झटका लगा था और पार्टी सिर्फ 33 सीटों पर सिमट गई, जबकि उसकी सहयोगी आरएलडी को 2 और अपना दल को 1 सीट पर जीत मिली थी. एक सीट चंद्रशेखर आजाद की पार्टी आजाद समाज पार्टी के हिस्से में गई. वे नगीना से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे.