लोकसभा चुनाव में हुए हर्जाने की भरपाई की जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 30 मजबूत कंधों पर डाल दी है. 'टीम 30' राज्य की 10 विधानसभा सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव पर जीत के मिशन की तैयारी पर निकल पड़ी है और हर समीकरण पर बारीकी से नजर रखते हुए काम कर रही है. वर्तमान में देखें तो इन 10 सीटों में से 5 बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए और 5 समाजवादी (SP) पार्टी के कब्जे वाली सीटें हैं और तीन सीट ऐसी हैं, जिन्हें सपा का किला माना जाता है. ये सीटें हैं करहल, कुंदरकी और कटहरी. इनके अलावा, फैजाबाद की मिल्कीपुर विधानसभा सीट भी खास मायने रखती है और बीजेपी की इस पर खास नजर है.
सपा के अवधेश प्रसाद यहां से विधायक थे, जिन्होंने फैजाबाद में बीजेपी का राम मंदिर मुद्दा फेल करके तीन बार के सांसद लल्लू सिंह को शिकस्त दी इसलिए पार्टी ऐसे उम्मीदवार की फिराक में है, जो इस हार की भरपाई कर सके. ऐसे में जानते हैं कि इन सीटों का इतिहास क्या है और बीजेपी की जीत के कितने आसार हैं-
करहल सीट
मैनपुरी जिले की करहल सीट यादव बहुल है और सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कन्नौज से सांसद बनने के बाद यह सीट खाली की है. योगी आदित्यनाथ ने उपचुनाव के लिए उत्तर प्रदेश सरकार में मंत्री जयवीर सिंह, योगेंद्र उपाध्याय और अजीत पाल सिंह को जिम्मेदारी सौंपी है. करहल सीट पर तीन लाख मतदाता हैं, जिनमें से सबसे ज्यादा संख्या यादवों की हैं, जबकि 35 हजार शाक्य और 30-30 हजार पाल और ठाकुर समुदाय के वोटर हैं. 40 हजार दलित और 20 मुस्लिम, 15-15 हजार ब्राह्मण, लोध और वैश्य हैं. सपा यहां से हमेशा यादव उम्मीदवार को ही लड़वाती रही है और अब यादव परिवार के तेज प्रताप सिंह यादव को उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा है. उधर, बीजेपी में फिलहाल किसी यादव कैंडिडेट की तो चर्चा नहीं है, बल्कि पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष स्वर्गीय मदन चौहान के पुत्र शिवम चौहान ने टिकट मांगा है. अगर वह ये सीट जीतते हैं तो यह ऐतिहासिक जीत होगी.
मिल्कीपुर विधानसभा सीट
फैजाबाद (अयोध्या) लोकसभा के अंतर्गत मिल्कीपुर विधानसभा सीट आती है. लोकसभा चुनावों में यह सीट सबसे ज्यादा चर्चा में रही. सपा के अवधेश प्रसाद को फैजाबाद की पांच विधानसभा सीटों में से चार पर बढ़त मिली, जबकि बीजेपी के लल्लू सिंह को सिर्फ एक सीट पर ही बढ़त मिली थी. मिल्कीपुर विधानसभा सीट पर समाजवादी पार्टी चार बार और बीजेपी दो बार चुनाव जीती है, जबकि सपा की सहयोगी पार्टी कांग्रेस ने तीन बार जीत दर्ज की. योगी आदित्यनाथ ने सूर्य प्रताप शाही, मयंकेश्वर शरण सिंह गिरीश यादव और सतीश शर्मा को इस सीट की जिम्मेदारी दी है.
मिल्कीपुर सीट का जातीय समीकरण देखें तो यादव, पासी और ब्राह्मण तीन जातियां अहम भूमिका में हैं. यहां 65 हजार यादव मतदाता हैं. यादवों के बाद 60 हजार पासी, ब्राह्मण 50 हजार, मुस्लिम 35 हजार, गैर-पासी दलित 50 हजार, मौर्य 8 हजार और ठाकुर 25 हजार हैं. अवधेश प्रसाद के लोकसभा पहुंचने के बाद उनके बेटे अजीत प्रसाद दावेदार हैं, लेकिन सपा किसी और को लड़वाने पर विचार कर रही है क्योंकि वह अवधेश की जीत से बने जीत के माहौल को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहती. वहीं, बीजेपी के पास मिल्कीपुर के लिए कई दावेदार हैं, जिनमें पूर्व विधायक गोरखनाथ, रामू प्रियदर्शी, नीरज कनौजिया, जिला महामंत्री काशीराम रावत, चंद्रभानु पासवान, राधेश्याम त्यागी, लक्ष्मी रावत और जिला पंचायत सदस्य बबलू पासी हैं.
कटेहरी विधानसभा सीट
अंबेडकरनगर जिले की कटेहरी विधानसभा सीट सपा का किला मानी जाती है, जिस पर बीजेपी को सिर्फ एक बार ही जीत नसीब हुई है. यहां से सांसद रहे सपा विधायक लालजी वर्मा सांसद बन गए हैं इसलिए इस सीट पर उपचुनाव होगा. अंबेडकरनगर में कुल 18 लाख 50 हजार से ज्यादा वोटर्स हैं. इनमें से करीब 4 लाख दलित, तीन लाख 70 हजार मुस्लिम, एक लाख 78 हजार से ज्यादा कुर्मी, 1 लाख 70 हजार यादव, करीब एक लाख 35 हजार ब्राह्मण और लगभग एक लाख ठाकुर मतदाता हैं.
उपचुनाव के लिए सपा की तरफ से कटेहरी में ब्राह्मण या मांझी उम्मीदवार को उतारे जाने की चर्चा है. वहीं, बीजेपी ने यूपी सरकार में मंत्री स्वतंत्र देव सिंह, संजय निषाद और दयाशंकर मिश्र दयालु को यहां की जिम्मेदारी सौंपी है. दावेदारी को लेकर बीजेपी में सबसे ज्यादा धर्मराज निषाद, अवधेश द्विवेदी, पूर्व जिलाध्याक्ष रमाशंकर सिंह, राणा रणधीर सिंह, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष सुधीर सिंह मिंटू के नाम की चर्चा है.
यह भी पढ़ें:-
'नफरत का छौंका लगाना के लिए...', कांवड़ यात्रा को लेकर योगी सरकार के फैसले पर भड़कीं कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनेत