UP Assembly Election 2022: चौथे राउंड में अवध पहुंची यूपी की चुनावी लड़ाई, किसका पलड़ा भारी? आंकड़ों से समझें सियासी समीकरण
UP Election 2022: तीसरे चरण का प्रचार खत्म होते ही अब अवध की असली जंग शुरू हुई है, और बीजेपी ने इसकी शुरुआत अपने लकी चार्म राम मंदिर के साथ की है. वैसे तो चुनाव कहीं भी हों राम मंदिर भारतीय राजनीति का एवरग्रीन मुद्दा है.
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UP Election: अब यूपी में चौथे चरण का चुनावी बिगुल बज गया है और बीजेपी ने साफ कर दिया है कि अब यूपी का चुनाव भारतीय राजनीति की उस प्रयोगशाला में पहुंच चुका है, जिसने देश की राजनीति की दिशा और दशा दोनों ही प्रभावित की हैं. बात हो रही है अयोध्या की जो उत्तर प्रदेश के अवध का हिस्सा है.
तीसरे चरण का प्रचार खत्म होते ही अब अवध की असली जंग शुरू हुई है और बीजेपी ने इसकी शुरुआत अपने लकी चार्म राम मंदिर के साथ की है. वैसे तो चुनाव कहीं भी हों राम मंदिर भारतीय राजनीति का एवरग्रीन मुद्दा है, लेकिन जब चुनाव अवध का हो तो इस मुद्दे का शोर और भी बुलंद हो उठता है. बीजेपी के तो सक्सेज स्टोरी की नींव ही राम मंदिर है. इसलिए अवध में चुनाव पहुंचने के साथ ही बीजेपी ने राम नाम का नारा तेज कर दिया है.
अयोध्या से निकलेगा सत्ता का रास्ता ?
अयोध्या में जेपी नड्डा ने एक ही दिन में तीन सभाएं कीं, जो ये बताता है कि बीजेपी अब चुनाव को राम मंदिर से जोड़ने में जुट गई है, क्योंकि चौथे और पांचवें चरण में जिन इलाकों में वोट डाले जाएंगे, उसमें ज्यादातर अवध का इलाका है, जो राम मंदिर के मुद्दे का केंद्र हैं. बीजेपी इन इलाकों में भगवान राम के भरपूर आशीर्वाद की उम्मीद कर रही है क्योंकि राम मंदिर ने बीजेपी को कई बार कुर्सी तक पहुंचाया है और यूपी की सत्ता की एक सड़क भी अवध से भी होकर गुजरती है.
यूपी की सियासत में अवध की अहमियत ?
यूपी की सत्ता में अवध की अहमियत राम मंदिर के मुद्दे के अलावा सीटों के गणित से भी बढ़ जाती है. अवध में कुल 21 जिले हैं, जिसमें कुल 118 सीट आती है. हालांकि चौथे चरण में कुल 9 जिलों में मतदान होगा, जिसमें अवध के 7 जिले आते हैं. 118 सीटों वाले इस इलाके में पिछले 2 विधानसभा के नतीजे बताते हैं कि यहां चुनाव में हवा के रुख का काफी असर रहता है और अवध के आशीर्वाद से सरकार बन जाती है.
2017 वाला दांव दोहरा रही है बीजेपी ?
2017 के चुनावों में बीजेपी को 97 सीटें मिली थीं. 2012 में बीजेपी को इसी क्षेत्र में 10 सीटें मिली थीं. मतलब 2017 के चुनावों में बीजेपी ने 87 सीटें ज्यादा जीतीं. वहीं समाजवादी पार्टी को 2012 के तुलना में 2017 में घाटा हुआ. 2012 में समाजवादी पार्टी को 90 सीटें मिली थीं, जो 2017 में घटकर 12 रह गईं. यूपी चुनाव में बीएसपी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता क्योंकि अवध क्षेत्र में वो 10 से 12 सीटों पर दखल रखती है. 2012 में बीएसपी को यहां 10 सीटें मिलीं जो 2017 में घटकर 6 रह गईं और उसका दखल बना रहा. इन सारे आंकड़ों से ये तो साफ है कि जब अवध में साइकिल चली तो अखिलेश की सरकार बनी और जब अवध में कमल खिला तो बीजेपी की सरकार बनी.
दांव पर कई दिग्गजों की किस्मत
चौथे चरण के मतदान में उम्मीदवारों के साथ-साथ केंद्र सरकार के कई मंत्रियों का भी टेस्ट होगा, क्योंकि इस चरण में जिन जिलो में वोट डाले जा रहे हैं, वहां से मोदी सरकार के चार मंत्री आते हैं. पहला नाम है रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का, जिनका संसदीय क्षेत्र लखनऊ है. दूसरा नाम है स्मृति ईरानी का, जिनका संसदीय क्षेत्र अमेठी है. इसके अलावा मोहनलालगंज के सांसद कौशल किशोर और लखीमपुर से सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के इलाकों में भी चौथे चरण में मतदान होना है.
इन चारों के इलाकों में विधानसभा की 21 सीटें हैं. इसलिए ये इनके लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं हैं. यूपी में जुबानी जंग भले ही सबसे ज्यादा अखिलेश और बीजेपी में छिड़ी हो, लेकिन चौथे चरण में बीएसपी फैक्टर को कमजोर नहीं आंका जा सकता क्योंकि अवध के इलाके में बीएसपी का एक बड़ा वोट बैंक है और बीएसपी के वोटर को इस बार साइलेंट माना जा रहा है.
चौथे चरण का जातीय समीकरण ?
चौथे चरण में जिन इलाकों में मतदान होगा, वहां आबादी के लिहाज से SC वोट काफी अहम हो जाता है. अवध क्षेत्र की बात करें तो सीतापुर में सबसे ज्यादा 32 फीसद SC वोटर हैं. वहीं हरदोई , उन्नाव, रायबरेली में 30 फीसद के करीब. वहीं लखनऊ में सबसे कम 21 फीसद SC वोटर हैं. यानी चौथे चरण में अवध के आधे से ज्यादा जिलो में SC आबादी 30 फीसदी से ज्यादा है.
जाटव- गैर जाटव वोट की लड़ाई ?
2017 के नतीजे बताते हैं कि SC वोट भले ही BSP के पास हों, लेकिन गैर जाटव वोट बंट चुका है. 2017 चुनावों को देखें तो सबसे ज्यादा 43 फीसद गैर जाटव वोट समाजवादी पार्टी को मिले हैं. लेकिन 31 फीसद वोटों के साथ बीजेपी ज्यादा पीछे नहीं है. बीएसपी को गैर जाटव वोट 10 फीसद के आस पास ही मिले हैं लेकिन जाटव वोट 86 फीसद मिले हैं. अवध में SC आबादी में बड़ी संख्या गैर जाटव वोट की है और जिस तरह से गैर जाटव बंटा हुआ है, उसे देखते हुए अवध की लड़ाई में गैर जाटव वोट पर भी कब्जे का घमासान और तेज होगा.
अवध की ताकत
जिले- 21
सीट- 118
चौथे चऱण में कुल जिले- 9
चौथे चरण में अवध के जिले- 7
अवध की ताकत
(कुल 118)
2012 2017
बीजेपी 10 97
एसपी 90 12
बीएसपी 10 06
चौथे चरण में केंद्रीय मंत्रियों की परीक्षा
राजनाथ सिंह लखनऊ
स्मृति ईरानी अमेठी
कौशल किशोर मोहनलालगंज
अजय मिश्रा टेनी लखीमपुर खीरी
चौथे चरण में SC वोट की ताकत (अवध रीजन)
जिले SC आबादी
सीतापुर 32%
हरदोई 31%
उन्नाव 31%
रायबरेली 30%
लखीमपुर 26%
लखनऊ 21%
यूपी में SC वोट पैटर्न (2017)
BJP SP BSP
जाटव 9% 3% 86%
गैर जाटव 31% 43% 10%
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