Uttar Pradesh Assembly Elections 2022: यूपी विधानसभा चुनाव के प्रचार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) भी पूरी तरह से चुनाव प्रचार में उतर चुके हैं. पीएम मोदी ने आज एक बार फिर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पांच जिले मेरठ, गाजियाबद, अलीगढ़, हापुड़ और नोएडा की जनता और पार्टी के कार्यकर्ताओं को वर्चुअल रैली के माध्यम से संबोधित किया. उन्होंने कहा, 'साल 2017 से पहले जो सरकार थी उसने एक्सप्रेस-वे के नाम पर कैसी लूट मचाई ये आप मुझसे ज्यादा जानते हैं. योगी जी की सरकार में पूर्वांचल और दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेस-वे पूरे हो चुके हैं और पांच एक्सप्रेस-वे पर तेज से काम चल रहा है. जब प्रयास ईमानदार हो तो काम ऐसे ही असरदार होता है.'


पीएम मोदी ने आगे कहा, आज यूपी में कोरोना वैक्सीन की पहली डोज शत-प्रतिशत लोगों को लग चुकी है. 70% से अधिक लोगों को दूसरी डोज भी लग चुकी है. ये यूपी के लोगों का, उन लोगों को करारा जवाब है, जो अफवाएं फैलाकर वैक्सीन पे question mark लगा देते थे.


पीएम मोदी के भाषण की मुख्य बातें-



  • मुझे याद है, इस साल की शुरुआत में, मेरा पहला दौरा मेरठ का ही हुआ था. उस दिन मौसम खराब था, इसलिए मुझे सड़क मार्ग से आना पड़ा था. लेकिन मेरठ एक्सप्रेसवे की वजह से मैं एक घंटे से भी कम समय में दिल्ली से मेरठ पहुंच गया था.

  • आज़ादी के बाद यूपी ने अनेक चुनाव देखे हैं, अनेक सरकारें बनती-बिगड़ती देखी हैं. लेकिन ये चुनाव सबसे अलग है. ये चुनाव यूपी में शांति के स्थायित्व के लिए है, विकास की निरंतरता के लिए है, प्रशासन में सुशासन के लिए है, यूपी के लोगों के तेज़ विकास के लिए है.

  • 2017 में डबल इंजन की सरकार बनने के बाद गरीब के घर बनाने की स्पीड कई गुना बढ़ी है. कनेक्टिविटी के इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण की स्पीड डबल हुई है. मेट्रो कनेक्टिविटी इक्का-दुक्का शहरों से आज उत्तर प्रदेश के 10 शहरों तक पहुंच रही है.

  • इसी कोरोना काल में अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप जी के नाम पर विश्वविद्यालय बनना शुरू हुआ. मेरठ में मेजर ध्यानचंद जी के नाम पर खेल विश्वविद्यालय का शिलान्यास भी हो चुका है.

  • यूपी में पहले की सरकार में विकास सिर्फ कागजी था. ये सिद्ध हो चुका है कि समाजवादी सिर्फ और सिर्फ परिवारवादी है. जबकि डबल इंजन की सरकार ने यूपी में जमीन पर काम किया.

  • ये कागजी समाजवादी, जो शत प्रतिशत परिवारवादी हैं और इनके सहयोगी इतने सालों तक सत्ता में रहे, लेकिन खेती की समस्या और किसानों की परेशानी को इन्होंने समझा ही नहीं. दशकों से खेती की जो व्यवस्था चली आ रही थी, जिससे किसान परेशान था, उसको सुधारने का साहस इन्होंने जुटाया ही नहीं.


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