UP Election: उत्तर प्रदेश चुनाव का पहला चरण गुजर चुका है. अब बारी है दूसरे चरण की, जहां पार्टियों की परीक्षा पश्चिमी यूपी और रुहेलखंड इलाके की मुस्लिम बेल्ट वाली सीटों पर है. इस चरण में कुछ सीटें तो ऐसी हैं, जहां मुस्लिम मतदाताओं की आबादी 40-50 फीसदी है. 9 जिलों की 55 सीटों पर 586 उम्मीदवार चुनावी रण में हैं और वोटिंग 14 फरवरी यानी सोमवार को होगी. ये चरण बीजेपी के लिए सबसे मुश्किल माना जा रहा है. 


किन सीटों पर डाले जाएंगे वोट


दूसरे चरण के दौरान 9 जिलों की अमरोहा, हसनपुर, गुन्नौर, बिसौली, सहसवान, बिलसी, बदायूं, शेखपुर, दातागंज, बहेरी, मीरगंज, भोजीपुरा, नवाबगंज, फरीदपुर, बिथारी चैनपुर, ओनला, कतरा, जलालबादतिहार, पोवायण, मुरादाबाद रूलर, मुरादाबाद नगर, कुन्दरकी, बिलारी, चंदौसी, असमोली, संभल, सुआर, चमरुआ, बिलासपुर रामपुर, मिलक, धनेरा, नौगाव सादत, बेहट, नाकुर, सहारनपुर नगर, सहारनपुर, देवबंद, रामपुर मनिहरन, गंगोह, नाजिबाबाद, नगीना, बरहापुर, धामपुर, नेहटौर, बिजनौर, चांदपुर, नूरपुर, कांठ, ठाकुरद्वारा, शाहजहांपुर और ददरौल विधानसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे.  


मुस्लिम वोटर बेहद अहम


जिन सीटों पर पार्टियों के सिपाही लड़ेंगे. उसका लेखा-जोखा जानना बेहद जरूरी है. इन 55 सीटों पर मुस्लिम वोटर काफी अहम हैं. मुसलमानों और जाटों के अलावा लोधी और कुर्मी मतदाता किसी भी प्रत्याशी का खेल बना या बिगाड़ सकते हैं. तो वहीं मौर्य-सैनी और दलित वोटर किंगमेकर की भूमिका में हैं. इस इलाके में समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है. 2017 के विधानसभा चुनाव में सपा ने कांग्रेस और 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा-रालोद के साथ गठबंधन किया था. इन दोनों चुनाव में गठबंधन को इन 55 सीटों पर फायदा मिला था. 


दूसरे चरण की सीटों पर मुस्लिम वोटरों का प्रभाव


मुरादाबाद की 6 में 5 सीटों पर 50-55 प्रतिशत तक मुस्लिम मतदाता
बिजनौर की 8 सीटों पर 40 से 50 प्रतिशत मुस्लिम वोटर
रामपुर की 5 सीटों पर 50 प्रतिशत मुस्लिम वोटर
संभल की 4 सीटों पर यादव और मुस्लिम वोट 60 फीसदी से ज्यादा
बरेली में 8 सीटों पर 40 प्रतिशत तक मुस्लिम मतदाता
अमरोहा की 4 सीटों पर 50 प्रतिशत मुस्लिम वोटर
बदायूं की 6 सीटों में 40 से 45 फीसदी तक मुस्लिम वोटर


2017 में क्या थी स्थिति


दूसरे चरण में वेस्ट यूपी के बिजनौर, अमरोहा और सहारनपुर जिले की सीटों पर वोट पड़ेंगे. वहीं रुहेलखंड इलाके की मुरादाबाद, बदायूं, शाहजहांपुर, बरेली, रामपुर, मुरादाबाद और संभल की सीटों पर मतदान होगा. जिन 55 सीटों पर दूसरे चरण में वोट डाले जाएंगे, उनमें से फिलहाल 38 सीटें बीजेपी के खाते में हैं. सपा ने 15 सीट जीती थीं. कांग्रेस को दो पर जीत मिली थी. जबकि बसपा ओपनिंग ही नहीं कर पाई थी.


2017 में जो चुनाव हुए थे, वो कांग्रेस और सपा ने मिलकर लड़ा था. नतीजतन, मुरादाबाद डिविजन में सपा का प्रदर्शन शानदार रहा. लेकिन बाकी जगह बीजेपी ने बाजी मारी. बरेली में तो सपा खाता तक न खोल पाई. 2017 में सपा-कांग्रेस 17 सीटों पर जीती थीं. इनमें से 16 मुस्लिम थे. 


लोकसभा चुनाव में भी गठबंधन का दिखा था असर


2019 के लोकसभा चुनाव में इन इलाकों की 11 लोकसभा सीटों में से 7 पर सपा-बसपा गठबंधन ने जीत का परचम लहराया था. सपा ने मुरादाबाद, संभल और रामपुर में जीत हासिल की थी. वहीं बसपा ने सहारनपुर, नगीना, बिजनौर और अमरोहा में बाजी मारी थी. इससे ये तो साफ हो गया था कि इलाके में मुस्लिम, जाट और दलित वोटर्स का कॉम्बिनेशन का फॉर्मूला हिट है.


लेकिन इस बार के चुनाव में सपा-बसपा और कांग्रेस का एक दूसरे के साथ कोई गठबंधन नहीं है. बसपा ने जहां अधिकतर सीटों पर मुसलमानों पर दांव खेला है. वहीं कांग्रेस और ओवैसी की एआईएमआईएम ने भी मुस्लिम प्रत्याशी ही उतारे हैं.


बिखराव का क्या मिलेगा बीजेपी को फायदा?


चार अलग-अलग पार्टियों से 55 सीटों पर 77 मुस्लिम उम्मीदवार चुनावी अखाड़े में हैं.  सपा से 18, बसपा से 23, कांग्रेस से 21 और एआईएमआईएम से 15 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में हैं. हालांकि कहा ये भी जा रहा है कि पिछली बार की तरह चार पार्टियों के मुस्लिम उम्मीदवारों के कारण वोटों में बिखराव हो सकता है, जिसका फायदा बीजेपी को ही मिलेगा. 


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