UP Election: विधानसभा चुनाव का आधा सफर पूरा, अब पूर्वांचल पर होगा फोकस, पांचवें चरण में 61 सीटों पर होगी वोटिंग
27 फरवरी को 12 जिलों की 61 सीटों पर मतदान होगा. अब जिस इलाके में चुनाव बढ़ रहा है, उसमें पूर्वाचल का एक बहुत बड़ा हिस्सा आता है.
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उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में चार चरणों का मतदान पूरा हो चुका है और अब पांचवें चरण की तैयारी है. सूबे की 232 सीटों पर वोट डाले चुके हैं और अब 171 सीटों पर वोट डाले जाने हैं. इनमें से पांचवें चरण में 61 सीटों पर वोटिंग होगी. 27 फरवरी को 12 जिलों की इन सीटों पर मतदान होगा. अब जिस इलाके में चुनाव बढ़ रहा है, उसमें पूर्वाचल का एक बहुत बड़ा हिस्सा आता है. ये पहले ही माना जा रहा था कि बीजेपी के लिए इस बार पश्चिम में राहें आसान नहीं होंगी.
पश्चिमी यूपी में जो वोट पड़ा, उसके बाद जानकारों ने भी ऐसा ही माना है कि यहां बीजेपी के पक्ष में वोटिंग नहीं हुई है. इसीलिए अब सवाल ये है कि क्या पश्चिम में हुए नुकसान की भरपाई बीजेपी पूर्वांचल से कर पाएगी? पूरे पूर्वांचल में 130 विधानसभा की सीटें हैं. बीजेपी ने पिछली बार ही सिर्फ पश्चिम और पूर्वी यूपी से ही मिलकर यूपी में सरकार बना ली थी. यानी उसे बहुमत से ज्यादा सीटें मिल गई थीं.
2017 में पूर्वांचल और पश्चिम यूपी में लहराया था कमल
पूरे उत्तर प्रदेश में विधानसभा की 403 सीटें हैं, जिनमें से पूर्वांचल में 130 और पश्चिमी यूपी में 136 सीटें हैं. इन दोनों ही क्षेत्रों में विधानसभा की 266 सीटें हैं. बीजेपी ने पिछली बार इन दोनों इलाकों में बंपर जीत हासिल की थी और उसे सिर्फ इन्हीं इलाकों से बहुमत मिल गया था. पूर्वांचल से बीजेपी और उसके गठबंधन को 100 सीटें और पश्चिमी यूपी से 109 सीटें मिली थीं. यानी कुल 209 सीटें. जबकि बहुमत के लिए 202 सीटों की जरूरत होती है.
लेकिन इस बार बीजेपी के लिए प्रदर्शन दोहरा पाना मुश्किल होगा, क्योंकि जानकार पहले से ही मान रहे हैं कि पश्चिम में पार्टी को नुकसान हुआ है. दूसरी तरफ पूर्वांचल में भी बीजेपी को अखिलेश यादव से पूरी टक्कर मिल रही है. हालांकि बीजेपी जोर पूरा लगा रही है. बीजेपी ने शुरुआत से ही पूर्वांचल पर पूरा फोकस किया हुआ है.
बीजेपी को बहुत पहले से ये अंदाजा था कि पश्चिम में उसे भारी भरकम नुकसान होगा, इसीलिए पूर्वांचल पर पार्टी का खासा फोकस था. यही वजह है कि तमाम कयासों के बावजूद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर से ही चुनाव लड़ा, जबकि उनके मथुरा और अयोध्या से भी चुनाव लड़ने के कयास थे. लेकिन पूर्वांचल पर फोकस करने के लिए ही उन्हें गोरखपुर से चुनाव लड़वाया गया.
इसके अलावा पूर्वांचल इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का लोकसभा क्षेत्र वाराणसी भी पूर्वांचल का हिस्सा है.पांचवें चरण में बढ़ते चुनाव में हमलों की धार और पैनी हो गई है. उधर योगी आदित्यनाथ और अखिलेश यादव की जुबानी जंग एक नए स्तर तक पहुंच गई है. हर सभा में दोनों के बीच अब पर्सनल अटैक भी हो रहे हैं.
पूर्वांचल उत्तर प्रदेश का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. यहां से देश के प्रधानमंत्री और यूपी के मुख्यमंत्री दोनों आते हैं. देश को पांच-पांच प्रधानमंत्री दे चुका है पूर्वांचल. ऐसे में बीजेपी को उम्मीद है कि इस बार भी वो पूर्वांचल पर एकछत्र राज करेगी और उसे पूरा समर्थन मिलेगा, लेकिन अखिलेश की चुनावी रणनीति उसका समीकरण बिगाड़ सकती है.
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