UP Election: क्यों यूपी चुनाव में बीजेपी के लिए दूसरे चरण की ये 55 सीटें हैं बड़ा 'सिरदर्द', ये है वजह
UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश में 403 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव के दूसरे चरण में 55 क्षेत्रों में 14 फरवरी को मतदान होगा और इसके लिए 21 जनवरी को अधिसूचना जारी होगी.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में बीजेपी के लिए चुनौतियां पहले के मुकाबले ज्यादा होंगी क्योंकि दूसरे चरण में मतदान वाली 55 सीटों में से ज्यादातर में मुस्लिम आबादी की बहुलता है और चुनावों के दौरान बरेलवी (बरेली) और देवबंद (सहारनपुर) के मुस्लिम धर्म गुरुओं की भी सक्रियता बढ़ जाती है.
उत्तर प्रदेश में 403 सदस्यीय विधानसभा के लिए चुनाव के दूसरे चरण में 55 क्षेत्रों में 14 फरवरी को मतदान होगा और इसके लिए 21 जनवरी को अधिसूचना जारी होगी. इनमें पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, बिजनौर, अमरोहा, संभल, मुरादाबाद, रामपुर के अलावा रुहेलखंड के बरेली, बदायूं, शाहजहांपुर जिलों के 55 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं.
साल 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में इस इलाके की 55 सीटों में से 38 सीटें बीजेपी को, 15 सीटें समाजवादी पार्टी (सपा) को 15 और दो सीटें कांग्रेस को मिली थीं. पिछला विधानसभा चुनाव सपा और कांग्रेस ने मिलकर लड़ा था. सपा के खाते में आईं 15 सीटों में से 10 पर पार्टी के मुस्लिम उम्मीदवार जीते थे. जबकि पहले चरण की 58 सीटों में बीजेपी ने 53 सीटें जीतीं और सपा तथा बहुजन समाज पार्टी को दो-दो तथा राष्ट्रीय लोकदल को एक सीट ही मिली थी.
बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष व विधान पार्षद विजय बहादुर पाठक ने न्यूज एजेंसी पीटीआई से दावा किया कि दूसरे चरण में भी बीजेपी पहले से अधिक सीटें जीतेगी क्योंकि केंद्र और प्रदेश की बीजेपी सरकार ने सभी वर्गों के विकास को प्राथमिकता दी और यह बात लोग महसूस करते हैं. राज्य में लंबे समय तक कांग्रेस के शासन और फिर 15 वर्षों तक लगातार सपा-बसपा के शासन में लूट, खसोट और भ्रष्टाचार से पीड़ित जनता इन दलों को दोबारा मौका नहीं देगी. अखिलेश यादव कांग्रेस, बसपा सभी से गठबंधन कर देख चुके हैं और उन्हें जनता सबक सिखा चुकी है.
सपा ने 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ और 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा और राष्ट्रीय लोकदल के साथ गठबंधन किया. दोनों चुनावों में इन 55 सीटों पर बीजेपी के मुकाबले गठबंधन की सियासत को लाभ मिला. पर, इस बार सपा, बसपा और कांग्रेस तीनों के अलग-अलग चुनाव मैदान में होने से राजनीतिक समीक्षकों का दावा है कि मतों का बिखराव होगा और बीजेपी को इसका लाभ मिल सकता है. बसपा ने भी इस इलाके में मुस्लिम उम्मीदवार उतारे हैं और अपनी सक्रियता भी बढ़ाई है.
पिछले विधानसभा चुनाव में जहां सपा और कांग्रेस को कुल 17 सीटों पर जीत मिली वहीं लोकसभा चुनाव में इस इलाके की 11 सीटों में सात सीटें बसपा-सपा गठबंधन के हिस्से आयीं. इनमें से चार सीटों (सहारनपुर, नगीना, बिजनौर और अमरोहा) पर बसपा जीती जबकि सपा को मुरादाबाद, संभल और रामपुर में तीन सीटों पर जीत मिली थी. इससे एक बात साफ है कि इस गढ़ में मुस्लिम, जाट और दलित मतदाताओं के गठजोड़ का फॉर्मूला कामयाब हुआ था.
इस बार सपा ने पश्चिमी उप्र में सक्रिय राष्ट्रीय लोकदल और महान दल के साथ गठबंधन किया है जिनका जाट, शाक्य, सैनी, कुशवाहा, मौर्य, कोइरी बिरादरी में प्रभाव माना जाता है. यादव बिरादरी पर प्रभाव रखने वाली सपा अपने पक्ष में रामपुर के सांसद और पूर्व मंत्री आजम खान की गिरफ्तारी को लेकर भी एक महत्वपूर्ण समीकरण बनाने के प्रयास में है जो जमीन पर कब्जा करने सहित विभिन्न आपराधिक मामलों में करीब दो वर्ष से सीतापुर जेल में बंद हैं.