UP Election Result 2022 : स्थापना के बाद से सबसे अधिक वोट पाकर भी सत्ता से दूर हुई सपा, जानिए अखिलेश यादव की पार्टी को कब कितने वोट मिले
UP Assembly Election Result 2022 : सपा सबसे पहल 1993 के चुनाव में मैदान में उतरी थी. यह चुनाव उसने बसपा के साथ लड़ा था. उस चुनाव में सपा को 17.94 फीसद वोट और 109 सीटों पर जीत मिली थी.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election 2022) के नतीजे आ गए हैं. बीजेपी ने 255 सीटें अकेले के दम पर जीतकर सत्ता में वापसी की है.समाजवादी पार्टी 111 सीटें जीतकर दूसरे नंबर पर है.इस चुनाव में सपा की सीटें भले ही कम आई हों, लेकिन उसने अपना वोट फीसद बढ़ाने में सफलता पाई है. सपा ने 2012 में जितना वोट पाकर सरकार बनाई थी, उससे अधिक वोट पाकर भी वह इस बार सरकार बनाने से चूक गई है. आइए जानते हैं कि सपा ने कब कितनी सीटें और वोट हासिल किए.
पहली बार चुनाव में कब उतरी थी समाजवादी पार्टी
अपनी स्थापना के बाद समाजवादी पार्टी ने अपना पहला चुनाव 1993 में लड़ा था. इस चुनाव में उसने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से गठबंधन किया था. सपा ने उस समय 256 सीटों पर और बसपा ने 164 सीटों पर चुनाव लड़ा था. सपा को 17.94 फीसद वोट और 109 सीटों पर जीत मिली थी. वहीं 164 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली बसपा ने 11.12 फीसद वोट के साथ 67 सीटें जीती थीं.
वहीं 1996 का चुनाव सपा ने 281 सीटों पर लड़ा था.इसमें उसे 21.80 फीसद वोट और 110 सीटें मिली थीं. वहीं 2002 का चुनाव सपा ने 390 सीटों पर लड़ा था. उसे 25.37 फीसद वोट और 143 सीटों पर जीत मिली थी. इसके बाद 2007 में हुए चुनाव में सपा को 25.43 फीसद वोट और 97 सीटें मिली थीं. सपा ने यह चुनाव 393 सीटों पर लड़ा था.
अपने दम पर समाजवादी पार्टी ने कब बनाई सरकार?
समाजवादी पार्टी ने 2012 का चुनाव 401 सीटों पर लड़ा था.उसे 29.13 फीसद वो और 224 सीटों पर विजय मिली थी. सपा ने यह चुनाव 401 सीटों पर लड़ा था. इस चुनाव के बाद ही सपा ने प्रदेश में पहली बार पर अपने दम पर बहुमत की सरकार बनाई थी.
इसके बाद 2017 में हुए चुनाव को सपा ने कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा. उसने 311 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे. उसे 21.82 फीसद वोट और 47 सीटें मिली थीं. इस तरह अपनी स्थापना के बाद से सबसे अधिक वोट पाने के बाद भी समाजवादी पार्टी सरकार बनाने से चूक गई है.
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सपा ने इस बार योगी आदित्यनाथ की सरकार की नीतियों के खिलाफ चुनाव प्रचार किया. जातियों का गठजोड़ बनाया. किसान आंदोलन से पैदा हुए जनआक्रोश को भुनाने के लिए राष्ट्रीय लोक दल से हाथ मिलाया. उसने महंगाई,आवारा पशु,पुरानी पेंशन और बेरोजगारी जैसे मुद्दों को हवा दी. लेकिन जनता उसकी बातों में नहीं आई.
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