पश्चिमी उत्तर प्रदेश (Western Uttar Pradesh) के जाट नेताओं (Jat Leaders) के साथ बुधवार को बीजेपी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने बैठक की. यह बैठक दिल्ली से बीजेपी के सांसद प्रवेश वर्मा (Parvesh Verma) के आवास पर हुई और इसे ‘‘सामाजिक भाईचारा बैठक’’ का नाम दिया गया था. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, शाह (Amit Shah) ने जाट नेताओं को संबोधित करते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कानून व व्यवस्था में सुधार से लेकर किसानों की समस्याओं के मद्देनजर केंद्र और राज्य की सरकारों की ओर से लिए गए फैसलों का जिक्र किया. 


बैठक में वेस्टर्न यूपी के 250 से ज्यादा जाट नेताओं (Jat Leaders) ने हिस्सा लिया. मीटिंग में मेरठ, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर, नोएडा और बिजनौर जैसे जिलों के नेता थे. इसके अलावा विकास बैंकों के चेयरमैन, बार काउंसिल के अध्यक्ष और सचिव और 7 जिला पंचायत अध्यक्ष भी बुलाए गए थे.


सूत्रों के मुताबिक अमित शाह (Amit Shah) ने यह भी कहा कि बीजेपी ने तीन-तीन जाट नेताओं (Jat Leaders) को राज्यपाल बनाया और सबसे अधिक विधायक और सांसद दिए. बैठक में शामिल एक नेता के मुताबिक, अमित शाह ने जाट नेताओं से विधानसभा चुनाव में बीजेपी को जीताने की अपील करते हुए कहा कि उन्होंने उत्तर प्रदेश से ही राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखा और जाट समुदाय ने हमेशा उनकी अपील का सम्मान किया.




सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बैठक में आरएलडी (RLD) के समाजवादी पार्टी (सपा) से गठबंधन का उल्लेख करते हुए अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) गलत घर में चले गए हैं. वहीं इसके बाद प्रवेश वर्मा ने बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत के दौरान राष्ट्रीय लोक दल के अध्यक्ष जयंत चौधरी को बीजेपी गठबंधन में आने का प्रस्ताव दिया और कहा कि बीजेपी के दरवाजे उनके लिए खुले हैं.




उन्होंने कहा, ‘‘यह बात तय है कि चुनाव बाद बीजेपी की सरकार बनेगी. जयंत चौधरी ने एक अलग रास्ता चुना है. जाट समाज के लोग उनसे बात करेंगे, उन्हें समझाएंगे. चुनाव के बाद संभवनाएं हमेशा खुली रहती हैं. हमारा दरवाजा आपके लिए खुला है.’’ जयंत चौधरी ने यूपी चुनाव में समाजवादी पार्टी से गठबंधन किया है.


वहीं केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने भी कहा कि मैं मांगता हूं कि जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) गलत रास्ते पर हैं, लेकिन उनका क्या रूप होगा यह वह खुद तय करेंगे. अब वह हमारे साथ आएंगे या नहीं आएंगे यह तो वह अपनी पार्टी के अध्यक्ष उन्हें ही तय करना है.


साथ ही उन्होंने कहा कि पश्चिमी यूपी का जाट समुदाय 2014 से अभी तक बीजेपी के साथ ही है और आगे भी रहेगा. संजीव बालियान ने कहा कि कितनी बार लिटमस टेस्ट लोगे, 14,17, 19 और इस बार भी रहेगा. पश्चिमी यूपी अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनता हुआ नहीं देख सकता है. 


जयंत चौधरी ने ठुकराया ऑफर


इन बयानों के ठीक बाद जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) ने ट्वीट कर ऑफर को ठुकरा दिया. उन्होंने कहा, ‘‘न्योता मुझे नहीं, उन +700 किसान परिवारों को दो जिनके घर आपने उजाड़ दिए!!’’




बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट समुदाय की भूमिका हमेशा अहम होती है और वह परिणामों को प्रभावित करने की ताकत रखता है. इस क्षेत्र में रालोद का खासा प्रभाव है. जयंत (Jayant Chaudhary) के दादा चौधरी चरण सिंह देश के प्रधानमंत्री रह चुके हैं जबकि उनके पिता दिवंगत अजीत सिंह भी केंद्र सरकार में मंत्री रहे हैं. 


उत्तर प्रदेश में सात चरणों में मतदान होना है. पहले चरण में 10 फरवरी को 11 जिलों की 58 सीटों पर मतदान होगा. इसमें शामली, मुजफ्फरनगर, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, गौतमबुद्ध नगर, हापुड़, बुलंदशहर जिले प्रमुख हैं. दूसरे चरण में 14 फरवरी को नौ जिलों की 55 विधानसभा सीटों पर मतदान होगा. इसमें सहारनपुर, बिजनौर, मुरादाबाद, संभल, रामपुर, बरेली, अमरोहा, पीलीभीत प्रमुख जिले हैं.


पहले दोनों चरणों में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अधिकांश इलाकों में मतदान होगा. पिछले चुनावों में बीजेपी ने इस इलाके में अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन इस बार समीकरण कुछ गड़बड़ाए हुए हैं और इसकी एक बड़ी वजह है किसान आंदोलन. 




एक साल से ज्यादा वक्त तक हरियाणा पंजाब और पश्चिमी यूपी के किसान दिल्ली को घेरे बैठे रहे. आखिर में सरकार को झुकना पड़ा और जब किसान आंदोलन का अंत हुआ तो सबसे बड़ा चेहरा राकेश टिकैत का था, जो खुद पश्चिमी यूपी के एक जाट नेता हैं. वो खुद बीजेपी से खासे खफा हैं. 


इसी को देखते हुए अमित शाह (Amit Shah) बृहस्पतिवार को मथुरा और गौतमबुद्धनगर नगर में घर-घर प्रचार अभियान करेंगे. वह मथुरा में बांके बिहारी मंदिर में पूजा अर्चना भी करेंगे. इसी दिन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह बागपत और गाजियाबाद में पार्टी के प्रचार अभियान की कमान थामेंगे. शाह 29 जनवरी को सहारनपुर और उसके बाद अन्य जिलों का भी दौरा करेगे.


पश्चिमी यूपी का गणित
पश्चिमी यूपी के 26 जिलों में कुल  136 विधानसभा सीटें हैं, जिनमें से पिछली बार यानी 2017 में बीजेपी को 109 सीटें मिली थीं, जबकि समाजवादी पार्टी को सिर्फ 21 सीटें मिली थीं. पश्चिमी यूपी की इन्हें बंपर सीटों की वजह से बीजेपी को 300 से ज्यादा सीटें मिलीं. दरअसल, इस क्षेत्र में 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के बाद समीकरण बदल गए. मुसलमानों और जाटों के बीच गहरी खाई हो गई. जिसका राजनीतिक फायदा बीजेपी ने उठाया.


पश्चिमी यूपी में करीब 17% जाट हैं. यूपी की 120 सीटों पर इनका असर है और 45-50 सीटों पर जाट हार-जीत तय करते हैं. इन्हीं जाट वोटों की बदौलत चौधरी अजित सिंह केन्द्र में किंगमेकर बनते थे, लेकिन 2014 में वो खुद बागपत से चुनाव हार गए और 2019 में उनके बेटे भी यहां से चुनाव हारे. अब किसान आंदोलन के बाद RLD को भी अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा पाने की संभावना दिख रही है. यही वजह है कि उन्होंने अखिलेश यादव से गठबंधन किया है.


राकेश टिकैत क्या बोले?


अमित शाह (Amit Shah) की बैठक को लेकर राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने गुरुवार को एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा, "चुनाव से पहले क्यों नहीं मान रहे... हमने अभी पिछले 10 दिनों में दो बार मैसेज (संदेश) करवाया. वे मीटिंग करने को तैयार नहीं है. आज उन्होंने कौन से किसान बुला लिए? हम उनसे कह रहे हैं कि आप वक्त दो (मिलने का), बात करना चाहते हैं. जो दिल्ली में समझौता हुआ है उसे वो लागू नहीं करना चाहते."




उन्होंने कहा, ''भारत सरकार या राज्य में किसी की भी सरकार आएगी और अगर वो किसान खिलाफ कोई कानून बनाएगी हमको उसका विरोध करना है. वो सरकार किसी की भी आए. किससे किसका गठबंधन हो रहा है उससे हमारा कोई मतलब नहीं."


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