UP Election: उत्तर प्रदेश में राजनीतिक पारा चरम पर है. क्या बीजेपी क्या सपा और क्या कांग्रेस-बसपा सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत इस चुनाव में झोंक दी है. हर पार्टी एक-एक कदम बहुत सोच समझ कर रख रही है. नए समीकरण और गठबंधन को तवज्जो दी जा रही है. लेकिन इस बार बीजेपी ने अपने दिग्गज नेताओं को भी बड़ा झटका दिया है. पार्टी के कई बड़े नेता अपनी राजनीति को आगे बढ़ाने के लिए अपने बेटा-बेटियों को टिकट देने के ख्वाब संजोए थे. लेकिन उनके अरमानों पर पानी फिर गया है.
बीजेपी ने पुराने नेताओं के बेटा-बेटियों या रिश्तेदारों की जगह संगठन में शामिल नए चेहरों पर दांव चला है. आइए आपको उन दिग्गजों से रूबरू कराते हैं, जिनके बेटा-बेटियों को टिकट मिलने का सपना बीजेपी ने तोड़ दिया.
कलराज मिश्र
कलराज मिश्र राजस्थान के राज्यपाल हैं. उनक बेटे का नाम है अमित मिश्र. उन्होंने देवरिया सीट से चुनाव लड़ने के लिए टिकट मांगा था. यह सीट ब्राह्मण बहुल मानी जाती है. कलराज मिश्र भी इस सीट से सांसद चुके हैं. लेकिन बीजेपी ने उन्हें भाव नहीं दिया और शलभमणि त्रिपाठी को प्रत्याशी बनाया है.
फागू चौहान
फागू चौहान बिहार के राज्यपाल हैं. उनके बेटे रामविलास चौहान ने राजनीतिक विरासत को आगे ले जाने के लिए मधुबन सीट से टिकट मांगा है. इसी सीट पर बीजेपी नेता रामजी के बेटे अरिजीत सिंह ने भी अपनी दावेदारी ठोक रखी है. फिलहाल बीजेपी ने इस सीट से अपना 'सिपाही' घोषित नहीं किया है.
राजेश अग्रवाल
योगी सरकार में वित्त विभाग संभाल चुके राजेश अग्रवाल बरेली कैंट से अपने बेटे आशीष अग्रवाल को चुनाव लड़वाना चाहते थे. लेकिन बीजेपी ने संजीव अग्रवाल को प्रत्याशी बना दिया. संजीव संघ का हिस्सा रहे हैं.
एसपी सिंह बघेल
बीजेपी ने अखिलेश यादव के सामने केंद्रीय राज्य मंत्री एसपी सिंह बघेल को उतारा है. बघेल चाहते थे कि उनकी पत्नी टूंडला सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ें. लेकिन ऐसा हो नहीं पाया.
रीता बहुगुणा जोशी
24 साल कांग्रेस में बिताने के बाद रीता बहुगुणा जोशी बीजेपी में शामिल हुई थीं. प्रयागराज से बीजेपी सांसद हैं. वह बेटे मयंक के लिए बीजेपी से टिकट मांग रही थीं. लेकिन बीजेपी ने बृजेश पाठक को उम्मीदवार बना दिया. रीता बहुगुणा खुद इस सीट से दो बार विधायक रह चुकी हैं.
हृदय नारायण दीक्षित
हृदय नारायण दीक्षित यूपी विधानसभा के अध्यक्ष हैं. उनके बेटे दिलीप दीक्षित ने उन्नाव की पुरवा सीट से टिकट की मांग की थी. लेकिन अरमानों पर पानी फिर गया. बीजेपी ने अनिल सिंह को उम्मीदवार बना दिया. बताया जा रहा था दिलीप दीक्षित की दावेदारी काफी मजबूत मानी जा रही थी. लेकिन पार्टी आलाकमान ने न तो हृदय नारायण को टिकट दिया और न ही उनके बेटे को.
सत्यदेव पचौरी
सत्यदेव पचौरी कानपुर से बीजेपी के सांसद हैं. वह बेटे अनूप के लिए गोविंदनगर सीट से टिकट की मांग कर रहे थे. लेकिन पार्टी ने सुरेंद्र मैथानी को टिकट थमा दिया. सत्यदेव इस सीट से दो बार विधायक रहे हैं. यह सीट ब्राह्मण बहुल मानी जाती है.