UP Election 2022: राजनीति दांव-पेच का खेल है. कोई कम उम्र में सियासी गुर सीख लेता है तो कोई सियासत में बरसों रहकर भी खास मुकाम हासिल नहीं कर पाता. उत्तर प्रदेश समेत 5 राज्यों में चुनावी बिगुल बज चुका है. बीजेपी, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, बसपा व अन्य दल 'चुनावी कुरुक्षेत्र' में तंबू डाल चुके हैं. दिग्गजों की इस जंग में कई ऐसे युवा नेता भी हैं, जिन्होंने कम उम्र में ही अपने सियासी पंजे पैने कर लिए और आज यूपी की राजनीति में उनका अलग मुकाम है. 


सूबे में कई ऐसी सीट हैं, जहां युवा अपना कमाल दिखाते रहे हैं. इन सीटों पर युवाओं ने लगातार जीत हासिल की और कुल वोटर्स के करीब 25 फीसदी युवाओं पर अच्छी पकड़ रही है. आज आपको वाकिफ कराएंगे ऐसे ही युवा नेताओं से जो राजनीति में नई इबारत लिख रहे हैं. 


राजीव तरारा


पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अमरौहा मंडी धनौरा विधानसभा सीट से विधायक हैं राजीव तरारा. वह जिले की राजनीति का सबसे युवा चेहरा हैं. 35 साल की उम्र में ही पंचायत सदस्य पद के चुनाव में जीत हासिल की थी. 2017 में सिर्फ 36 साल की उम्र में रिकॉर्ड 38 हजार से ज्यादा वोटों से जीतकर विधायक बने. एमए, बीएड और एलएलबी की डिग्री भी रखते हैं. इनके पिता तोताराम साल 1996 से 2022 तक विधायक रहे थे. राजनीति में आने से पहले राजीव बीजेपी जिला कार्यकारिणी में महासचिव पद पर काम कर चुके हैं.   


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चौधरी बशीर


चौधरी बशीर सिर्फ 26 साल की उम्र में विधायक बन गए थे. आगरा के मुस्लिम नेता बशीर 2002 में 26 साल की उम्र में बसपा के टिकट पर आगरा छावनी से जीते थे. सियासी समीकरण ऐसे बने कि सपा की मुलायम सिंह यादव की सरकार में मंत्री भी बने. हालांकि बाद में घरेलू विवादों के कारण किसी चुनाव में जीत नहीं मिली. लेकिन मुस्लिमों के बड़े वर्ग में उनकी खासी पॉपुलैरिटी है. 


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अजय कुमार लल्लू


फिलहाल यूपी के कांग्रेस अध्यक्ष हैं. 33 साल की उम्र में कुशीनगर की तमकुहीराज सीट से 2012 में विधायक चुने गए थे. उन्हें जमीनी स्तर का नेता माना जाता है. वह गंडक नदी में जल सत्याग्रह से चर्चा में आए थे. साल 2017 में भी उन्होंने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की थी. 




अब्दुल्ला आजम खान


यूपी के पूर्व कैबिनेट मंत्री और सपा के बड़े मुस्लिम नेता आजम खान के बेटे हैं अब्दुल्ला आजम खान. नोएडा की गल्गोटिया यूनिवर्सिटी से बीटेक की डिग्री लेने के बाद अब वो पिता का सियासी साया बन गए हैं. साल 2017 में स्वार विधानसभा सीट से सपा के टिकट पर लड़े और पांच बार के विधायक व पूर्व मंत्री नावेद मियां को शिकस्त दी.


हालांकि दो जन्म प्रमाणपत्रों के विवाद में अल्पायु के चलते हाईकोर्ट ने उनका निर्वाचन ही रद्द कर दिया था. उन्होंने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जो फिलहाल विचाराधीन है. सांसद आजम खान इस बार पत्नी तजीन फात्मा की जगह खुद चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं. 



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