Uttar Pradesh Assembly Elections 2022:  52 वर्षीय असदुद्दीन आवैसी (Asaduddin Owaisi) हाल के दिनों में देश में सबसे अधिक पहचाने जाने वाले मुस्लिम नेता के रूप में उभरे हैं. पने पारंपरिक गढ़ हैदराबाद में सात विधानसभा सीटों तक सीमित रहने वाली पार्टी AIMIM अब उत्तर प्रदेश में 100 सीटों पर नजरें गड़ाए हुई है. यूपी चुनाव में असदुद्दीन औवेसी भी बड़ा फर्क ला सकते हैं. AIMIM अध्यक्ष का सबसे दमदार इंटरव्यू ABP न्यूज के कार्यक्रम घोषणापत्र में हुआ. ओवैसी ने साफ कर दिया है कि यूपी चुनाव में उनकी पार्टी अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के साथ गठबंधन नहीं कर रही है.


ऐसे में उनसे सवाल पूछा गया कि यूपी चुनाव में असदुद्दीन आवैसी का मुकाबला योगी से है या अखिलेश यादव से? इसपर ओवैसी ने जवाब दिया, “अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. दोनों जातिवाद में डूबे हुए हैं. एक यादववाद की बात करते हैं और दूसरे ठाकुरवाद की बात करते हैं. बल्कि हम तो यूपी के OBC हिंदू भाइयों से कहेंगे कि आपको हिंदू एकता के नाम पर ठगा गया. हिंदू एकता के के नाम पर आपको यादववाद और ठाकुरवाद मिला.”



ओवैसी से आगे पूछा गया कि क्या आप योगी को ठाकुरवाद का प्रतीक बता रहे हैं? इस पर ओवैसी ने कहा, “देखिए.. वो योगी जरूर हैं, लेकिन पुलिस स्टेशन में ठाकुर ठाकुर ही नजर आता है. दूसराटेनीका मामला देखिए. गोरखपुर में गुप्ता साहब मरते हैं तो मुख्यमंत्री वहां चले जाते हैं. कासगंज अल्ताफ मरता है तो कोई नहीं जाता.”


यूपी का चुनाव जाति और सांप्रदायिकता पर जीता जाता है


ओवैसी से पूछा गया कि यूपी में क्या सिर्फ जाति का राज है सरकार का राज नहीं? इस पर उन्होंने कहा, “अमित शाह ने कहा था निजाम तो हमने कहा राजयोगी राज. हमने कहार से रिश्वत, अ से अपराध या आतंक और ज से जातिवाद. उत्तर प्रदेश में यही हो रहा है. आज यूपी के हर पुलिस थाने में एक ठाकुर अफसर मिल जाएगा. जब अखिलेश थे तब यादव अफसर मिलता था. केंद्र में बीजेपी के पास 300 सांसद हैं लेकिन एक मुसलमान नहीं है. ये सच्चाई है कि यूपी का चुनाव जाति और सांप्रदायिकता दो चीजों पर जीता जाता है. जनता उन लोगों को वोट भी डालती है.”


यह पहली बार नहीं है, जब ऑल इंडिया मजलिस--इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) उत्तर प्रदेश में अपने राजनीतिक भाग्य का परीक्षण कर रही है. साल 2017 में पार्टी ने 403 में से 38 सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे एक भी सीट नहीं मिली थी. उसने जिन सीटों पर चुनाव लड़ा, उन पर उसे करीब दो लाख वोट मिले और उसके केवल चार उम्मीदवार ही अपनी जमानत बचा सके.


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