UP Election OBC Voters: उत्तर प्रदेश में राजनीति पिछड़ा बनाम बीजेपी के मुहाने पर आ खड़ी हुई है, बाग़ी विधायक बीजेपी पर पिछड़ा -दलित विरोधी होने के आरोप लगा रहे हैं. पिछले कुछ दिनों से यूपी की सियासत इसी के इर्द-गिर्द घूम रही है. लेकिन बीजेपी ने भी अब इस हमले का तोड़ निकाल दिया है. आइए जानते हैं कैसे.
दलितों का मुद्दा इतना अहम क्यों? क्या कहते हैं आंकड़े
ओबीसी...ये शब्द उस दिन से खूब सुनाई दे रहा है, जिस दिन से बीजेपी के विधायक और मंत्री बागी हुए...जो जा चुके उनका आरोप है कि पिछड़ों और दलितों के लिए योगी सरकार ने कुछ किया ही नहीं. जो बने हुए हैं वो कह रहे हैं कि अगर बीजेपी नहीं होती तो पिछड़ों का कल्याण नहीं होता. ऐसे में तमाम दलों के लिए ये दलितों का मुद्दा इतना अहम क्यों हो चला है, ये कुछ आंकड़े देखकर समझिए.
उत्तर प्रदेश में सवर्ण करीब 17 से 19% हैं, वहीं दलितों की बात करें तो उनका वोट शेयर 21% तक है. उनके अलावा मुस्लिम-19% हैं. लेकिन जिस शब्द ओबीसी को लेकर राजनीति गरम हुई है, उसका आंकड़ा सबसे ज्यादा है. 42 से 43 फीसदी के करीब वोटर अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी का है. जिसने पिछली बार बीजेपी को बंपर वोट दिया था.
ओबीसी वोटों में अखिलेश यादव की सेंधमारी
बीजेपी के प्रचंड बहुमत की सरकार में बड़ा रोल प्ले करने वाले ओबीसी समुदाय के कुछ बड़े नेता बीजेपी छोड़ चुके हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य समेत आधा दर्जन ओबीसी विधायकों को बीजेपी से तोड़कर, अखिलेश ने ओबीसी वोटबैंक में सेंधमारी कर दी है.
अब बीजेपी इस मुद्दे पर पूरी तरह घिर रही थी तो पार्टी की तरफ से अपने अचूक ब्रह्मास्त्र का इस्तेमाल किया गया. यूपी सरकार में मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने कह दिया कि, इस देश के सबसे बड़े ओबीसी नेता पीएम मोदी हैं. यानी एक बार फिर पीएम मोदी के चेहरे को सामने लाकर डैमेज कंट्रोल की कोशिश हो रही है.
मोदी-योगी सरकार में ओबीसी कोटे के मंत्री
बात अब ओबीसी पर आ ही गई है, तो बीजेपी जनता को ये भी याद दिलाएगी कि लखनऊ से लेकर दिल्ली तक उसने ओबीसी कोटे से कितने मंत्रियों को चुना. यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, दोनों ही ओबीसी समाज से आते हैं. स्वतंत्र देव सिंह ने तो कल से ट्विटर पर ये अभियान भी छेड़ रखा है कि उनकी सरकार ने ओबीसी को क्या दिया और कितना दिया. ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा दिए जाने को लेकर भी बीजेपी खुद का बचाव कर रही है.
दलित वोटर्स की दहलीज पर सीएम योगी
लेकिन जो ओबीसी नेता अखिलेश की साइकिल पर सवार हो गए हैं, वो इस वोटबैंक में डेंट जरूर मारेंगे. इसलिए अपने पुराने अंदाज में बीजेपी ने अनुसूचित जाति के लोगों की दहलीज पर हाजिरी लगानी शुरू कर दी है. इसी कड़ी में आज (शुक्रवार) सीएम योगी ने अपने अनुसूचित जाति के कार्यकर्ता के घर पहले सहभोज किया, फिर विरोधियों को आंकड़ों से आईना दिखाया.
फिलहाल ओबीसी नेताओं के पार्टी छोड़ने से बीजेपी बैकफुट पर जरूर नजर आ रही है, लेकिन पिक्चर अभी बाकी है. क्लाइमेक्स आते-आते काफी कुछ बदल सकता है. ये देखना दिलचस्प होगा कि बीजेपी कैसे बाउंसबैक करती है.