Dara Singh Chauhan resign: यूपी में चुनाव से पहले बीजेपी को एक के बाद एक बड़े झटके लग रहे हैं. मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे के बाद बीजेपी डैमेज कंट्रोल में जुटी थी, तभी एक और मंत्री दारा सिंह चौहान ने भी इस्तीफा सौंप दिया. जिसके बाद यूपी की सियासत और गरमा गई है. एबीपी न्यूज के साथ खास बातचीत में दारा सिंह चौहान ने कहा कि सरकार में दलितों और पिछड़ों की आवाज नहीं सुनी जा रही थी. जिसके चलते उन्होंने ये इस्तीफा दिया है.
दलितों और पिछड़ों को नहीं मिला इंसाफ
एबीपी न्यूज के साथ इंटरव्यू में मंत्री पद से इस्तीफा दे चुके दारा सिंह चौहान ने कहा कि, मैंने आहत होकर अपना इस्तीफा दिया है. बीजेपी की सरकार बनाने के लिए पिछड़े समाज के लोगों ने बिना कुछ देखे उन्हें समर्थन और सहयोग दिया. प्रदेश के नौजवानों ने साथ दिया. मैं भी पिछड़े समाज से आता हूं. लेकिन पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने के बाद भी दलितों को इंसाफ और अधिकार नहीं मिल पाया है. इसीलिए मैंने इस्तीफा देने का फैसला लिया.
पांच साल तक सरकार में रहने के बाद चुनाव से ठीक पहले इस्तीफे के सवाल पर दारा सिंह चौहान ने कहा कि, दलितों और गरीबों ने सरकार को बनाया, लेकिन उनके नाम पर पिछले पांच साल तक सभी लोग मलाई खाते रहे. गरीबों के कटोरे में कुछ भी नहीं गया. उन तक कोई मलाई नहीं पहुंच पाई, तभी मैंने आहत होकर ये फैसला लिया है.
स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ नहीं हुई कोई बात
दारा सिंह चौहान ने कहा कि उनका स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ कोई भी संपर्क नहीं हुआ था. वो गरीबों की आवाज नहीं सुने जाने के चलते काफी परेशान थे, इसीलिए उन्होंने ये फैसला लिया है. जब दारा सिंह से सवाल किया गया कि क्या उनके बाद कई और बड़े चेहरे भी बीजेपी का साथ छोड़ सकते हैं? इस पर उन्होंने कहा कि, मैं किसी के भी दिल की बात कैसे बता सकता हूं. लेकिन डेमोक्रेसी में सभी का अधिकार है कि वो अपना पक्ष रखे. कोई भी किसी भी पार्टी में जा सकता है.