UP Election 2022: उत्तर प्रदेश में चुनाव होने वाले. जैसे जैसे तारीख नजदीक आ रहे हैं वैसे ही सभी पार्टियों ने प्रचार की रफ्तार बढ़ा दी है. वहीं आज हम यूपी के ऐसे जिले की बात करेंगे जिसे मिनी हरिद्वार कहते हैं. दरअसल मिनी हरिद्वार कहे जाने वाले यूपी के हापुड़ जिले में इस बार किसकी लगेगी नईया पार ये देखना काफी दिलचस्प होगा.
यह एक ऐसा जिला है जिसमे तीन विधानसभा सीट तो हैं लेकिन लड़ाई हर पार्टी की है. यानी की यहां चुनाव लड़ने और जीत हासिल करने के लिए हर राजनैतिक दल मैदान में उतरा हुआ है. साल 2017 में यहां पर 2 सीटे बीजेपी को मिली थी और 1 बसपा को लेकिन बाद में कवायत बदली और अब सपा के पास है. हालांकि देखना दिलचस्प होगा की इस बार बसपा, आरएलडी, और सपा का यानी की विपक्ष के साथ किस तरह से हो रहा हैं बीजेपी पर वार
गढ़मुक्तेश्वर एक ऐसी सीट जिससे सभी पार्टी को हैं जीत
हापुड़ के आखिरी छोर पर बसे गढ़ मुक्तेश्वर के एक बड़े हिस्से पर पानी का प्रकोप रहता है. हर साल बाढ़ में कई गांवों की फसलें डूब जाती हैं. लेकिन, खादर कहलाने वाले इस क्षेत्र में सियासी फसल खूब लहलहाती है. हालांकि, पिछले बीस साल में पहली बार गढ़ मुक्तेश्वर का सियासी गढ़ बचाने, बरकरार रखने और वापस पाने के लिए जो राजनीतिक दांव पेच नज़र आ रहा है, वो बहुत दिलचस्प है. यूपी में विधानसभा नंबर 60 कहलाने वाली गढ़मुक्तेश्वर सीट पर गज़ब का गणित चल रहा है. BJP के सामने यहां अपनी सीट को एक बार फिर बचाने की चुनौती है, क्योंकि वो 2002 से लेकर 2012 तक लगातार 3 बार समाजवादी पार्टी के नेता मदन चौहान के हाथों हार रही थी.
गढ़मुक्तेश्वर सीट बीजेपी के लिए कितनी जरुरी हैं इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता हैं की वर्त्तमान विधायक को टिकट नहीं दी गयी. डॉक्टर कमल मालिक को 40 प्रतिशत से ज़ीज़दा वोट पिछले चुनाव में मिले थे लेकिन इस बार उनकी टिकट काट दी गयी और टिकट दी गयी हरिंदर सिंह केवटिया को.
हम जीत को लेकर काफी आश्वस्त हैं
हरिंदर सिंह केवटिया ने कहा की "हम जीत को लेकर काफी आश्वस्त हैं. सरकार ने जो काम किया है, उसे हम जनता तक ले जा रहे हैं और जनता का अच्छा समर्थन मिल रहा है. हमारा काम ऐसा है जैसे हमने हाईवे बनाया, राशन कार्ड बनाया, महीने में दो बार राशन बांटा, मुफ्त में सिलेंडर दिया, और बिजली का काम बहुत हो गया, हर गांव को 18 घंटे बिजली मिल रही है. इन्हीं मुद्दों के आधार पर हम जनता के बीच खड़े हैं. फिर समाजवादी पार्टी क्यों बदली? उन्होंने अपना प्रत्याशी भी बदल लिया. सही? तो इसमें कुछ भी नहीं है. यह भारतीय जनता पार्टी है, यह पार्टी किसी एक परिवार की नहीं है. यहां ऐसा नहीं है कि हर चाचा-भतीजा विधायक है. इधर, पार्टी, यह सबकी पार्टी है, यहां कोई मुद्दा नहीं है. हम यह नहीं कह रहे हैं कि हम किसी पर आवाज उठा रहे हैं. यह कुछ भी नहीं है. देखिए, विपक्ष विपक्ष ही रहेगा. कमियों को सामने नहीं लाएंगे तो जनता के बीच कैसे आएंगे? जब खामियां बताएंगे तो जनता के बीच जाएंगे. तो, ऐसा कुछ नहीं है. जनता अभी बहुत खुश है. मैं गांवों से आ रहा हूं, यह एकतरफा है, सब एकतरफा है."
बात बिलकुल साफ़ है जहा एक तरह यहां समीकरण बदल रहे है यानी की समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री अब बसपा पर शामिल हो गयी हैं मदन चौहान तो वही दूसरी ओर एस पी - आर एल डी गढ़बंधन ने भी अपना नया उमीदवार उतार दिया है. अब नए उमीदवारो के समीकरण में एक ऐसा पंचकोण बन रहा हैं जिसमे कांग्रेस और AIMIM को भी गंभीरता से लेना चाहिए. उसका कारण यह है की जो मुस्लिम वोट है वो अगर बट गए तो फायदा किसी और को हो जायेगा. यही वजय हैं हर दल अपना पूरा प्रयास कर रहा है इस सीट अपर अपना परचम लहराने के लिए.
लंबी कतारों में खड़े होकर 1200 रुपये में गैस सिलेंडर खरीदते थे
दिन प्रतिदिन भड़ते दामों पर बोले बीजेपी प्रत्याशी कहा "कीमतों में बढ़ोतरी अब वे यह भी कह रहे हैं कि रसोई गैस महंगी हो गई है. सिलेंडर अब महंगे हो गए हैं. पहले लोग लंबी कतारों में खड़े होकर 1200 रुपये में गैस सिलेंडर खरीदते थे. अब इसे घरों तक पहुंचाया जा रहा है. वे मोटरसाइकिल पर 100 रुपये का पेट्रोल पीते थे और एक व्यक्ति सिलेंडर पकड़कर ले जाता था. वे शायद यह नहीं कह रहे होंगे. लेकिन रेट में भी कमी आई है. डीजल की कीमत में भारी गिरावट आई है तो सरकार करेगी. कोरोना महामारी हो गई है इसलिए विपक्ष शायद यह न कह रहा हो कि कोरोना के दौरान रोज कमाने-खाने वाले दिहाड़ी मजदूरों को महीने में दो बार राशन दिया गया है. वे शायद यह नहीं कह रहे होंगे. मुझे ऐसा नहीं लगता. जनता आपको केवल बताएगी कि यह क्या है. मैं अभी-अभी निकला हूं और जनता कितनी उत्साहित है और वे खुद यहां जमा हो रहे हैं."
BJP ने जिस सिटिंग विधायक कमल सिंह मलिक का टिकट काटा है, उसने 15 साल बाद समाजवादी पार्टी से छीनकर वो सीट जिताई थी. कमल मलिक को 2017 में 91,086 वोट मिले थे. दरअसल, गढ़ मुक्तेश्वर सीट पर सबसे ज़्यादा समय तक विधायक रहने वाले मदन चौहान की वजह से समाजवादी पार्टी, BJP और BSP तीनों ने अपना चुनावी गणित बदलना पड़ा.
15 साल बाद भगवा का झंडा फिर एक बार लहराया था
पिछले चुनाव में मोदी लहर ने गढ़ मुक्तेश्वर पर BJP को 15 साल बाद भगवा का झंडा फिर एक बार लहराया था. परन्तु समाजवादी पार्टी के एक दांव ने यहां भारी उथल-पुथल मचा दी है. दरअसल, समाजवादी पार्टी ने अपने 3 बार के विधायक और 2012 में राज्य मंत्री रहे मदन चौहान का टिकट काट दिया. समाजवादी पार्टी के लिए लगातार 3 बार सेफ़ सीट बन चुकी गढ़मुक्तेश्वर विधानसभा में पार्टी ने इस बार एक प्रयोग किया. मदन चौहान का टिकट काटकर मेरठ के पूर्व सांसद हरीश पाल तोमर के बेटे नीरज पाल को टिकट देने का फ़ैसला किया. कुछ विवादों की वजह से उनकी पत्नी नैना देवी का टिकट फ़ाइनल कर दिया.
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