उत्तर प्रदेश में तीन चरणों का चुनाव खत्म होने के साथ ही 172 सीटों पर उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला EVM में कैद हो गया. अब चौथे चरण में नौ जिलों की 60 सीटों पर 23 फरवरी को मतदान होना है. इस चरण में कुल 624 उम्मीदवार मैदान में हैं. सभी राजनीतिक दल और जनता चौथे चरण की वोटिंग के लिए तैयारियां कर रही है. पिछले चुनाव में बीजेपी ने इस इलाके से बड़ी बाजी मारी थी.
यूपी चुनाव में तमाम राजनीतिक पार्टियां जाति के आधार पर ही अपनी हार-जीत का समीकरण बिठाने में जुटी हैं. तीसरे चरण में अखिलेश के गढ़ करहल में भी वोटिंग हुई जहां से बीजेपी ने एसपी सिंह बघेल को उनके मुकाबले में खड़ा किया था. अखिलेश के मुताबिक बघेल जाति-बिरादरी के नाम पर वोट बटोरने की कोशिश कर रहे थे. यूपी में जातियों का समीकरण कैसे काम कर रहा है, वो आप ऐसे समझ सकते हैं...
तीसरे चरण में जातियों का गणित
- तीसरे चरण में आने वाले 9 जिले यादव बहुल
- फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, एटा यादव बहुल
- 59 में से करीब 30 सीटें यादव बहुल
- अखिलेश के लड़ने से एसपी को फायदे की उम्मीद
- बीजेपी ने अखिलेश के खिलाफ एसपी सिंह बघेल को उतारा
- एससी समुदाय के बघेल से बीजेपी को फायदे की उम्मीद
यानी हर सीट का जोड़तोड़ बिठाने में जातियों का सहारा लिया गया, इसके बावजूद पार्टियां दावा कर रही हैं कि दूसरी पार्टियां ही जातियों की राजनीति करती हैं. तीन चरणों के चुनाव के बाद अब लड़ाई अवध, बुंदेलखंड और पूर्वांचल की है. माना जा रहा है कि पूर्वांचल तक पहुंचते-पहुंचते जातियों की राजनीति और तेज हो जाएगी. पूर्वांचल में लड़ाई उन सीटों पर होनी है, जहां मौर्य, निषाद और राजभर वोट हार-जीत तय करते हैं. वहां बीजेपी और एसपी गठबंधन में जातियों को ही ध्यान में रखकर सीटों का बंटवारा किया है. अब आगे के मतदान में चुनावी दलों के जातीय समीकरणों की परीक्षा होनी है.
चौथे चरण में अनुसूचित जाति का वोट अहम
चौथे चरण में जिन इलाकों में मतदान होगा, वहां आबादी के लिहाज से अनुसूचित जाति (एससी) वोट काफी अहम माना जा रहा है. अवध क्षेत्र की बात करें तो सीतापुर में सबसे ज्यादा 32 फीसदी एससी मतदाता हैं. वहीं हरदोई , उन्नाव, रायबरेली में 30 फीसदी के करीब वोटर हैं. लखनऊ में सबसे कम 21 फीसदी एससी मतदाता हैं. यानी चौथे चरण में अवध के आधे से ज्यादा जिलो में अनुसचित जाती आबादी 30 फीसदी से ज्यादा है.
अवध में एससी आबादी में बड़ी संख्या गैर जाटव वोट की है और साल 2017 के नतीजे बताते हैं कि अनुसूचित जाति वोट भले ही बसपा के पास हों, लेकिन गैर जाटव वोट बंट चुका है. 2017 चुनावों को देखें तो सबसे ज्यादा 43 फीसदी गैर जाटव वोट समाजवादी पार्टी को मिले हैं. लेकिन 31 फीसदी वोटों के साथ बीजेपी ज्यादा पीछे नहीं है. बीएसपी को गैर जाटव वोट 10 फीसदी के आस पास ही मिले हैं लेकिन जाटव वोट 86 फीसद मिले हैं. इसमें पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, सीतापुर, हरदोई, लखनऊ, उन्नाव, रायबरेली, फतेहपुर और बांदा जिले में शामिल हैं.