UP Election 2022: यूपी के कुशीनगर में हुआ कितना विकास? जिले की 7 सीटों पर जीत का दावा ठोक रही बीजेपी और सपा
UP Election 2022 Kushinagar: उत्तर प्रदेश चुनाव में कुशीनगर जिला भी काफी अहम है, यहां की 7 विधानसभा सीटों पर बीजेपी और समाजवादी पार्टी की नजरें हैं.
Kushinagar UP: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. प्रदेश में कुशीनगर एक ऐसा जिला है जहां भगवान बुद्ध के दर्शन करने के लिए देश और विदेश से सैलानी आते हैं. लेकिन क्या इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यहां आने से और नए एयरपोर्ट के बन जाने से बीजेपी 7 में से अपनी 5 सीटों को अपने पास रख पाएगी? ये सबसे बड़ा सवाल है.
भगवान बुद्ध को कुशीनगर में महापरिनिर्वाण मिला. यह जगह जितनी ऐतिहासिक है उतनी ही आध्यात्मिक भी. यहां से खुदाई के दौरान भगवान बुद्ध की 21 फीट की मूर्ति निकाली गई थी. इसे आज भी उसी तरह सजाया जाता है. अन्य राज्यों से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग दर्शन करने और अध्यात्म की प्राप्ति के लिए आते हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने से क्या बदला?
दिसंबर के महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुशीनगर आकर एयरपोर्ट का उद्घाटन किया था. महापरिनिर्वाण मंदिर के महंत का कहना है कि, "प्रधानमंत्री के आने के बाद जो मुख्य चीज बदली वो एयरपोर्ट था, जो काफी समय से बंद था. कई देशों के लोग, जो सीधे यहां नहीं आ पाते थे, अब एयरपोर्ट की वजह से यहां आ पा रहे हैं. कुशीनगर में ज्यादा विकास नहीं हुआ है. हम चाहते हैं, जिस तरह काशी और मथुरा में विकास हुआ है, महापरिनिर्वाण मंदिर, कुशीनगर में भी इस तरह का विकास दिखना चाहिए.
कुशीनगर जिले में उद्योग का हाल
कुशीनगर जिले में केले के उत्पाद बनाए जाते हैं. इस फल से जुड़े सभी उत्पाद जैसे योगा मैट, दरी... और इसी तरह की बाकी चीजें. केले के चिप्स या अन्य उत्पाद जो इसकी शाखाओं से बने होते हैं जैसे कि इसके रेशे जैसे करी, बैग, पर्स बनाने के लिए उपयोग किए जाते हैं. इसे बनाने की प्रक्रिया में समय भी लगता है और यह आसान भी नहीं है.
इस व्यापर से जुड़े लोगों ने बताया कि, सरकार की ओर से इसके लिए 5 लाख का लोन दिया जा रहा था तो हम 5-6 लोगों ने कंपनी शुरू की. जब हमने लोन के लिए आवेदन किया, तो बैंक ने हमें बहुत परेशान किया. हमने केले के चिप्स और बिस्किट बनाना शुरू किया. उसके लिए, जब हम जाते हैं तो हमारे पास सरकार से हस्तशिल्प कार्ड होते हैं. एक कार्ड के लिए सामग्री लेने के लिए हमें 10,000 रुपये मिलते हैं. हम इसे डीआईसी में डालते हैं और हमारे पास एक परमिट है जो सरकार द्वारा प्रदान किया जाता है."
कुशीनगर का यह कुटीर उद्योग कई लोगों को रोजगार देने में सक्षम है. केले के चिप्स, केले के तने के उत्पाद, मैट पारंपरिक तरीके से निर्मित होने के बाद भी बैग आदि आधुनिकता से जुड़े हुए हैं. समाज का हर वर्ग यहां निर्मित उत्पादों का उपयोग करता है. केले के अनुपयोगी हिस्से से कलाकृतियां, दैनिक उपयोग की वस्तुएं और साथ ही जैविक खाद बनाई जाती है.
क्या है कुशीनगर की खासियत?
कुशीनगर (जिसे कुशीनगर, कुशीनारा, कसिया और कसिया बाजार के नाम से भी जाना जाता है) एक तीर्थ शहर है. जैसा कि महाकाव्य रामायण में कहा गया है, जिले का नाम भगवान राम के पुत्र कुश के नाम पर रखा गया है. यह भी माना जाता है कि जिले में कुश नामक एक प्रकार की घास प्रचुर मात्रा में पाई जाती है, इसलिए जिले का नाम कुशीनगर पड़ा.
कुशीनगर में बीजेपी और समाजवादी पार्टी में टक्कर
कुशीनगर ज़िले में 7 विधान सभा सीट हैं. पांच सीटों पर बीजेपी का कब्जा है, इस बार फिर से पार्टी अपना झंडा गाड़ने का प्रयास कर रही है, लेकिन समाजवादी पार्टी को भी भरोसा है कि सेंध लग सकती है. सदर के विधायक रजनीकांत मणि ने अपनी जीत का दावा करते हुए कहा कि, "जीत का आधार विकास है और सातों सीट जीतेंगे. विकास के आधार पर हम लोग बात कर रहें है और इतना ही अच्छा काम कर रही थी समाजवादी सरकार तो 2017 में उसको भारी पराजय का सामना नहीं करना पड़ता. निश्चित तौर पे जनता उनको नकार चुकी है. आज की तारीख़ में भी मैं बता रहा हूं कि आज चुनाव हो जाएं तो पूर्ण बहुमत की सरकार बनेगी, साढ़े तीन सौ से ऊपर सीटें हम ले जाएंगे."
वहीं समाजवादी पार्टी के विजय पांडेय को भी इस बार जीत की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि, "2012 से लेकर 2017 तक समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव जी के कार्यकाल की उल्लेखनीय उपलब्धियां सभी के सामने हैं. वहीं 2017 से 2022 तक भारतीय जनता पार्टी के शासन काल में भूख, प्यास, ग़रीबी, अशिक्षा, अज्ञानता, झूठ और महंगाई, बेरोज़गारी से जनता त्रस्त है...इसके बाद भी सत्ताधारी पार्टी के लोग सातों विधानसभा सीट पर जीत का दावा कर रहें है. जनता ने इन्हें खारिज कर दिया है और जनता इंतज़ार कर रही है कि कब वो शुभ घड़ी आए जब हमें साइकिल पर बटन दबाने का मौका मिले."
बीजेपी विधायक बोले- महंगाई तो आती जाती रहती है
बीजेपी विधायक रजनीकांत मणि बोले, "महंगाई थोड़ी बहुत ऊपर नीचे आती-जाती रहती है अगर कोई चीज़ महंगी होती है तो कोई चीज़ सस्ती भी होती है. कोई सुविधा हम देते हैं तो उसमें व्यवस्थाओं का परिवर्तन भी होता है. सब कुछ सस्ता है. क्या चीज़ सस्ता नहीं है हमारा? आज बिजली का दाम भी आधा हो गया. इन लोगों के ज़माने में गरीब नहीं थे? उनके लिए मुफ़्त राशन की कोई व्यवस्था ये कर पाए थे क्या? उनके आवास की व्यवस्था ये कर पाए थे क्या? उनके शौचालय की व्यवस्था कर पाए थे क्या? उनके लिए रसोई गैस की व्यवस्था कर पाए थे क्या?"
इस पर समाजवादी पार्टी के विधायक ने कहा कि, "रसोई गैस उज्ज्वला जो इनका अभियान था, उसमें ग़रीबों को सिलिंडर दिया गया, उसकी क़ीमत एक हज़ार कर दी गई. आज ग़रीबों के घर ख़ाली सिलिंडर डोल रहा है, उसमें गैस फिर से भरना नहीं हो पा रहा है. पांच किलो के बैग में, जो अन्न दिया जा रहा है, ये साबित करता है की 75 वर्षों के आज़ादी के बाद भी ग़रीबी दूर नहीं हुई है. गरीबी पर लेबल लगाने का काम हो रहा है."