UP Assembly Election 2022: यूपी की लखनऊ कैंट सीट विधानसभा चुनाव शुरू होने से पहले ही सुर्खियों में आ गई थी, जब यहां विभिन्न दलों के नेता टिकट के लिए होड़ करते नजर आए थे. माना जाता है कि मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव ने समाजवादी पार्टी (सपा) छोड़कर बीजेपी में शामिल होने का निर्णय केवल इसलिए लिया क्योंकि उन्हें लखनऊ कैंट से टिकट नहीं दिया गया था, जहां वह 2017 में हार गई थीं. ये और बात है कि बीजेपी ने उन्हें टिकट भी नहीं दिया.
बीजेपी की ओर से बृजेश पाठक हैं मैदान में
बीजेपी सांसद रीता बहुगुणा जोशी ने भी अपने बेटे मयंक जोशी के लिए यहां से टिकट की पैरवी की, लेकिन असफल रहीं. बीजेपी ने अब यूपी के मंत्री बृजेश पाठक को मैदान में उतारा है, जो अपनी लखनऊ सेंट्रल सीट से शिफ्ट हो गए हैं. बीजेपी ने मौजूदा विधायक सुरेश तिवारी को टिकट देने से इनकार कर दिया. पाठक ने 2017 का चुनाव केवल 5000 मतों के अंतर से जीता था. बड़ी बात यहा है कि साल 1991 से अब तक यहां सिर्फ साल 2012 में कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी ने बीजेपी को हराया था. इसके अलावा हर चुनाव में बीजेपी का ही परचम लहराया है.
ब्राह्मण, दलित और सिख तय करते हैं हार जीत
लखनऊ कैंट सीट को प्रतिष्ठित माना जाता है, क्योंकि इसमें राज्य की राजधानी के व्यापारिक केंद्र शामिल हैं. इसकी मिश्रित आबादी 6.3 लाख है, जिसमें रक्षा दिग्गज, ब्राह्मण, दलित, सिख और बड़ी संख्या में उत्तराखंड के लोग शामिल हैं. साल 1980, 1985 और 1989 में कांग्रेस की प्रेमवती तिवारी और 2012 (आईएनसी) और 2017 (बीजेपी) में दो बार निर्वाचन क्षेत्र जीतने वाली रीता बहुगुणा जोशी इन दो महिला विधायकों ने 1980 से पांच बार निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया है. कांग्रेस ने कम से कम आठ बार सीट जीती है.
सपा, बसपा और कांग्रेस ने स्थानीय कारोबारियों को टिकट दिया
व्यापारियों और ट्रेडर्स का समर्थन हासिल करने के लिए सपा, बसपा और कांग्रेस ने स्थानीय कारोबारियों को टिकट दिया है. सपा ने 49 साल के राजू गांधी को मैदान में उतारा है, जबकि बसपा ने ब्राह्मण व्यवसायी अनिल पांडेय ने 49 को उम्मीदवार बनाया है. कांग्रेस ने 36 वर्षीय सिख व्यवसायी दिलप्रीत सिंह विर्क को मैदान में उतारा है. ये सभी पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं, आम आदमी पार्टी ने भारतीय नौसेना में सेवा दे चुके इंजीनियर अजय कुमार को मैदान में उतारा है.