UP Assembly Election 2022: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में ऐसे कई दिग्गज हैं, जिन्हें अपने रिकार्ड कायम रखने की चुनौती है. यह ऐसे धुरंधर जो अभी तक रिकार्ड मतों से जीतते रहे हैं. इनमें से प्रतापगढ़ सीट से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया, अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव, सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान और बसपा विधायक उमाशंकर सिंह शामिल हैं.
रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया
रघुराज प्रताप सिंह साल 1993 से लगातार निर्दल प्रत्याशी के रूप में निर्वाचित होते आ रहे हैं, साल 2007 के चुनाव में रघुराज प्रताप सिंह ने 73 हजार 732 वोट हासिल करके बसपा प्रत्याशी शिव प्रकाश सेनानी को 53 हजार 128 वोटों से हराया था. शिव प्रकाश को 20 हजार 604 वोट मिले थे. साल 2012 में रघुराज प्रताप सिंह का जीत का अंतर बढ़ गया. इस चुनाव में वह 1 लाख 11 हजार 392 वोट पाकर चुनाव जीते. बसपा प्रत्याशी शिव प्रकाश सेनानी को 88 हजार 255 वोटों से हराया. शिव प्रकाश को 23 हजार 137 वोट मिले थे.
साल 2017 के चुनाव में राजा भैया ने रिकार्ड कायम करते हुए 1,03,353 वोटों से जीत दर्ज की. 1,36,223 वोट पाकर उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार शी जानकी शरण पांडेय को हराया. जानकी को 32 हजार 870 वोट और तीसरे स्थान पर रहे बसपा प्रत्याशी परवेज अख्तर को 17 हजार 176 मत मिले थे. पिछले तीन चुनावों में सपा ने उन्हें समर्थन दिया था. इस बार बीजेपी, कांग्रेस और बसपा की तरह सपा ने उनके खिलाफ प्रत्याशी उतारा है. इस बार पांचवे चरण में उनका चुनाव होगा.
शिवपाल सिंह यादव
जसवंतनगर सीट समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ने 1996 में अपने छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव के लिए छोड़ी थी. उस समय शिवपाल ने नेताजी के कट्टर प्रतिद्वंद्वी कहे जाने वाले स्वर्गीय दर्शन सिंह यादव को करीब 11 हजार वोटों से हराकर जीत हासिल की थी. इसके बाद से वे लगातार इस सीट पर काबिज हैं, साल 2012 में मनीष यादव पतरे को करीब 81 हजार मतों से हराकर रिकार्ड कायम किया था.
शिवपाल सिंह यादव लगातार छठवीं बार जीत हासिल करने के लिए इटावा की जसवंतनगर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. साल 2017 के चुनाव में पारिवारिक झंझावत में शिवपाल को कड़ा मुकाबला करना पड़ा. इस चुनाव में उन्हें करीब 75 हजार वोटों से मिली थी. बीजेपी ने इटावा की जसवंतनगर सीट से विवेक शाक्य को टिकट दिया है. इस सीट से युवा नेता विवेक शाक्य अखिलेश के चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव को टक्कर देंगे. कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा है, जबकि बसपा की ओर से ब्रजेंद्र प्रताप सिंह उम्मीदवार हैं.
उमाशंकर
प्रदेश के अंतिम छोर पर स्थित बलिया से बसपा ने उमाशंकर में एक बार फिर दांव लगाया है. रसड़ा से उमाशंकर सिंह पहली बार 2012 में विधायक बने थे, वह 2012 में 84436 वोट पाकर चुनाव जीते और सपा के सतनाम को मात्र 31611 वोट ही मिले. साल 2017 के चुनाव में उन्हें 92272 यानी 48.16 फीसदी और बीजेपी के राम इकबाल सिंह को 58385 यानी 30.47 फीसदी वोट मिले. इस बार भी उनके सामने अपना रिकार्ड बनाएं रखने की चुनौती है.
अब्दुल्ला आजम खान
अब्दुल्ला आजम खान, आजम खान के बेटे हैं. 31 साल के अब्दुल्ला जनवरी में जेल से बाहर आए हैं. उन पर 40 से ज्यादा केस दर्ज हैं. सपा के टिकट पर इस बार स्वार सीट से मैदान में हैं. ये 25 साल की उम्र में एमएलए बने थे. लेकिन बाद में मालूम हुआ कि उन्होंने फर्जी दस्तावेज बनाकर अपनी उम्र 25 साल दिखाई थी. इसके बाद इनकी विधायिकी को निरस्त कर दिया गया और फिर जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया गया. आजम खान भी 2 साल से रामपुर जेल में कैद हैं.
मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास
यूपी के सबसे बड़े बाहुबली के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले मुख्तार अंसारी ने यूपी विधानसभा चुनाव से खुद को पीछे कर लिया है. चर्चा थी की मुख्तार अंसारी जेल के अंदर से ही मऊ सदर सीट से चुनाव लड़ेंगे. अब उन्होंने अपनी राजनीतिक विरासत बेटे अब्बास को सौंप दी है. अब्बास पिता की जगह सुभासपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.
धनंजय सिंह और अभय सिंह
सांसद और विधायक रह चुके धनंजय सिंह का नाम पूर्वांचल के बाहुबलियों में शुमार है. धनंजय सिंह इस बार का चुनाव जौनपुर की मल्हनी सीट से जदयू के टिकट पर लड़ रहे हैं. अभय सिंह भी यूपी के बाहुबली नेता हैं. अभय सिंह समाजवादी पार्टी के टिकट पर फैजाबाद की गोसाईगंज सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.