उत्तर प्रदेश में सात में से छह चरणों का विधानसभा चुनाव हो चुका है. बाकी एक चरण का मतदान आगामी सात मार्च को होगा. छठे चरण के चुनाव में गुरुवार को 10 जिलों की 57 सीटों पर 55.79 फीसदी वोटिंग हुई है. अब तक के सभी चरण में पूर्वांचल वोटिंग के मामले में फिसड्‌डी रहा है. पूर्वांचल में छठे चरण के चुनाव में अब तक हो चुके छह चरण की तुलना में सबसे कम वोटिंग हुई है.



  • पहले चरण के चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 58 विधानसभा सीटों पर 10 फरवरी को औसतन 62.43% मतदान हुआ था जो साल 2017 के 63.47% के मुकाबले एक फीसदी से ज्यादा कम था.

  • 14 फरवरी को हुए दूसरे चरण के मतदान में 64.42 फीसदी मतदान हुआ और यह भी पिछली बार के मुकाबले 1.11 प्रतिशत कम रहा

  • तीसरे चरण में 62.28% मतदान हुआ जो पिछली बार के मुकाबले 0.07 प्रतिशत ज्यादा था

  • चौथे चरण में 23 फरवरी को राजधानी लखनऊ समेत प्रदेश की 59 सीटों पर औसतन करीब 61.52% मतदान हुआ जो 2017 में हुए 62.55 फीसदी से 1.03% कम रहा

  • पांचवें चरण में अयोध्या, प्रयागराज, अमेठी और रायबरेली समेत विभिन्न जिलों की 61 विधानसभा सीटों पर औसतन 57.32% मतदान हुआ. यह भी 2017 के मुकाबले लगभग एक फीसदी कम रहा

  • छठे चरण में 55.79 प्रतिशत मतदान हुआ. 2017 के चुनावों में इन 57 सीटों पर 56.47 फीसदी मतदान हुआ था.


पिछले विधानसभा चुनाव के लगभग बराबर ही है वोटिंग प्रतिशत


उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के सात में से पांच चरणों के मतदान के दौरान डाले गए वोटों का प्रतिशत पिछले विधानसभा चुनाव के लगभग बराबर ही है. ऐसे में राजनीतिक पार्टियां और प्रेक्षक इस पसोपेश में हैं कि इसे सत्ता के पक्ष में मतदान माना जाए या सत्ता विरोधी लहर का असर.


साल 2019 के लोकसभा चुनाव में हुए मतदान के प्रतिशत पर भी नजर डालें तो कोई खास फर्क नहीं दिखाई देता. जहां मतदान का प्रतिशत नहीं बढ़ने के पीछे कोविड-19 महामारी को एक प्रमुख वजह के तौर पर देखा जा रहा है, वहीं कुछ लोगों का कहना है कि मतदाताओं ने चुनाव में अब तक सभी पार्टियों को आजमा लिया है लिहाजा उनमें अब मतदान के प्रति वह जोशोखरोश नहीं रहा.


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