UP Assembly Election 2022: अब पडरौना नहीं फाजिलनगर से चुनाव लड़ेंगे स्वामी प्रसाद मौर्य, क्या RPN इफेक्ट है वजह?
UP Assembly Elections 2022: माना जा रहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के बीजेपी छोड़ने से कुशीनगर समेत आसपास के जिलों में जो खालीपन आया है, आरपीएन सिंह के आने से बीजेपी उसकी भरपाई कर लेगी.
UP Assembly Elections 2022: योगी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का दामन थामने वाले स्वामी प्रसाद मौर्या (Swami Prasad Maurya) अब कुशीनगर की फाजिलनगर से विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. इससे पहले वह पडरौना विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने वाले थे. खबर है कि मौर्या अब पडरौना विधानसभा सीट से इसलिए चुनाव नहीं लड़ेंगे, क्योंकि बीजेपी में शामिल होने के बाद आरपीएन सिंह (RPN Singh) का इस सीट से चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है. सवाल है कि क्या आरपीएन इफेक्ट की वजह से ही मौर्या ने अपनी सीट बदली है?
बीजेपी ने आरपीएन सिंह के जरिए की भरपाई!
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आरपीएन सिंह कुशीनगर लोकसभा क्षेत्र से सांसद और पडरौना के विधायक भी रह चुके हैं. पिछड़ी कुर्मी-सैंथवार बिरादरी से आने वाले आरपीएन का नाम पूर्वांचल के दिग्गज नेताओं में शुमार है और माना जा रहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के बीजेपी छोड़ने से कुशीनगर समेत आसपास के जिलों में जो खालीपन आया है, आरपीएन सिंह के आने से बीजेपी उसकी भरपाई कर लेगी.
(केशव प्रसाद मौर्या के साथ आरपीएन सिंह)
साल 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी के विधानमंडल दल के नेता रहे स्वामी प्रसाद मौर्य ने बसपा छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. मौर्य कुशीनगर जिले की पडरौना सीट से ही पिछला चुनाव जीते थे और योगी की अगुवाई वाली सरकार में मंत्री बनाए गए थे. लेकिन अब आरपीएन सिंह के आने से उनकी सीट का समीकरण गड़बड़ा गया है.
आरपीएन सिंह ने पडरौना विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के टिकट पर साल 1996, 2002 और 2007 में जीत दर्ज की थी. इसके बाद वह कुशीनगर से 2009 के लोकसभा चुनाव में जीतकर वह सांसद बने और मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार में गृह राज्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाली. हालांकि, इसके बाद के चुनावों में उन्हें लगातार हार का ही सामना करना पड़ा.
आरपीएन सिंह से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा- कांग्रेस
हालांकि चुनाव में आरपीएन के प्रभाव को खारिज करते हुए उत्तर प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष गोरखपुर निवासी विश्वविजय सिंह ने कहा कि “योगी ने पांच साल तक युवाओं और बेरोजगारों का उत्पीड़न किए और कांग्रेस ने उनके दमन का जवाब दिया.” उन्होंने यह भी कहा कि “राहुल गांधी जी और प्रियंका गांधी जी देश में अतिवादी ताकतों के खिलाफ लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं, आरपीएन सिंह जैसे डरे और सुविधाभोगी लोग इस लड़ाई में साथ नहीं चल सकते, उनका कहीं कोई प्रभाव नहीं रहेगा.”
मौर्य ने आरपीएन सिंह पर साधा था निशाना
इससे पहले जब स्वामी प्रसाद मौर्य से पूछा गया कि बीजेपी ने अगर आरपीएन सिंह को उनके खिलाफ पडरौना विधानसभा सीट से मैदान में उतारा, तो क्या उनके लिए बड़ा खतरा होगा? इस पर मौर्य ने कहा, "आरपीएन सिंह राज महल में पैदा हुए हैं और आम जनता से उनका कोई लेना देना नहीं है. अगर वहां से वह किसी आम कार्यकर्ता को भी सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा दें, तो वह आरपीएन सिंह को हरा देगा." हालांकि ये भी एक सवाल है कि आरपीएन सिंह के आने से बीजेपी को फायदा या नुकसान? एबीपी न्यूज़ ने सी वोटर के साथ मिलकर जब जनता से इस सवाल का जवाब पूछा तो नतीजे चौंकाने वाले थे.
सवाल- आरपीएन सिंह के आने से बीजेपी को फायदा या नुकसान?
फायदा- 35 %
नुकसान- 34 %
पता नहीं- 31 %
(स्वामी प्रसाद मौर्या और अखिलेश यादव)
गौरखपुर कनेक्शन
जानकारों के मुताबिक आरपीएन सिंह का कनेक्शन गोरखपुर क्षेत्र से भी है. जिसके 10 जिलों में करीब 52 फीसद पिछड़ी जातियों के अलावा, 20 फीसदी अनुसूचित जाति के मतदाता हैं. यहां के अलग अलग क्षेत्रों में पिछड़ी कुर्मी-सैंथवार, मौर्य-कुशवाहा, यादव, राजभर, नोनिया- चौहान बिरादरी की निर्णायक संख्या है, जबकि दलितों में जाटव के अलावा पासी, खटीक, बेलदार, धोबी भी कुछ क्षेत्रों में अच्छी तादाद में हैं. सवर्ण बिरादरी में ब्राह्मण और क्षत्रिय के अलावा कायस्थ भी लगभग सभी जिलों में हैं. मऊ, आजमगढ़ और पडरौना समेत करीब 15 विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाता भी अपना दखल रखते हैं. इसलिए इस क्षेत्र में विपक्षी दलों के दिग्गजों के प्रभाव को देखते हुए बीजेपी ने अपनी रणनीति बनाई और आरपीएन सिंह को पार्टी में शामिल किया.
10 मार्च को आएंगे यूपी चुनाव के नतीजे
बता दें कि उत्तर प्रदेश की 403 विधानसभा सीटों के लिए सात चरणों में मतदान 10 फरवरी से शुरू होगा. यूपी में सात चरणों में 10, 14, 20, 23, 27 और 3 और 7 मार्च को वोट डाले जाएंगे. जबकि वोटों की गिनती 10 मार्च को होगी.