उत्तर प्रदेश में  चुनावी दौर का माहौल चल रहा है. अखिलेश यादव से नाराज होकर अलग पार्टी बनाने वाले शिवपाल सिंह यादव इस बार समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. चाचा शिवपाल को समाजवादी पार्टी ने अपना स्टार प्रचारक भी बनाया है. लेकिन अभी हाल ही में इटावा के जसवंतनगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे शिवपाल यादव ने कहा है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में उनका मुख्य मुकाबला अखिलेश यादव के साथ है.


20 फरवरी को अपने गांव सैफई में मतदान करने के बाद आईएएनएस से बात करते हुए शिवपाल यादव ने कहा कि वो इससे पहले पांच बार जसवंतनगर विधानसभा से चुनाव जीत चुके हैं और हर बार जीत का अंतर बढ़ता ही जा रहा है लेकिन इस बार उनका मुख्य मुकाबला बगल की सीट करहल से विधानसभा चुनाव लड़ रहे अपने ही भतीजे अखिलेश यादव के साथ है.


क्या अखिलेश के खिलाफ हैं शिवपाल यादव?
नहीं, बिल्कुल नहीं. दरअसल, शिवपाल यादव अपनी जसवंतनगर सीट और अखिलेश की करहल सीट के बीच मुकाबला कर रहे हैं. शिवपाल ने दावा किया कि समाजवादी पार्टी जसवंतनगर (जहां से वो खुद चुनाव लड़ रहे है) और करहल (जहां से अखिलेश यादव चुनाव लड़ रहे है) दोनों ही विधानसभा सीटें एक लाख से ज्यादा के अंतर से जीतने जा रही है. दोनों में यह मुकाबला चल रहा है कि कौन ज्यादा मतों से चुनाव जीतता है. हालांकि इसके साथ ही शिवपाल यादव ने यह दावा भी किया कि उन्होंने इस बार करहल के मतदाताओं से अपील की है कि वो अखिलेश को ज्यादा मतों से विजयी बनाए.


करहल सीट की यह लड़ाई राजनीतिक तौर पर इतनी दिलचस्प हो गई है कि बसपा को छोड़ कर अन्य सभी दलों ने मैदान खाली छोड़ दिया है. करहल से सिर्फ 3 उम्मीदवार ही चुनावी मैदान में उतरे. सपा के अखिलेश यादव और बीजेपी के एसपी सिंह बघेल के बीच चल रही चुनावी लड़ाई में बसपा उम्मीदवार के तौर पर कुलदीप नारायण भी अपनी मौजूदगी दर्ज कराने के लिए चुनावी मैदान में है. बीजेपी करहल में नंदीग्राम और अमेठी का इतिहास दोहराना चाहती है वहीं सपा इस सीट को जीतकर किसी भी तरह से अपना गढ़ बचाना चाहती है. करहल सीट पर 20 फरवरी को मतदान हो चुका है.


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